परिवहन तथा संचार
परिवहन तथा संचारका उपयोग एक वस्तु की उपलब्धता वाले स्थान से उसके उपयोग वाले स्थान पर लाने-ले जाने की हमारी आवश्यकता पर निर्भर करता है। मानव विभिन्न वस्तुओं, पदार्थों और विचारों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए भिन्न विधियों का प्रयोग करता है
स्थल परिवहन :
● आर्थिक तथा प्रौद्योगिक विकास के साथ भारी मात्रा में सामानों तथा लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए पक्की सड़कों तथा रेलमार्गों का विकास किया गया है।
● केबिल मार्गों तथा पाइप लाइनों जैसे साधनों का विकास विशिष्ट सामग्रियों को विशिष्ट परिस्थितियों में परिवहन की माँग को पूरा करने के लिए किया गया।
सड़क परिवहन :
भारत का सड़क जाल विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क जाल है। कुल लंबाई – 62.16 लाख कि.मी. (वार्षिक रिपोर्ट 2020-21)
● सड़कों द्वारा लगभग 85 प्रतिशत यात्री तथा 70 प्रतिशत भार यातायात का परिवहन किया जाता है।
● भारत में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तक आधुनिक प्रकार का सड़क परिवहन अत्यंत सीमित था। पहला गंभीर प्रयास 1943 में ‘नागपुर योजना बनाकर किया गया
निर्माण एवं रख-रखाव के उद्देश्य से सड़कों को निन्न प्रकार से बाँटा गया है।
राष्ट्रीय महामागों (NH),
राज्य महामार्गों ( SH ),
प्रमुख जिला सड़कों
ग्रामीण सड़कों
1) राष्ट्रीय महामार्ग (NH)
● वे प्रमुख सड़कें, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा निर्मित एवं अनुरक्षित किया जाता है. राष्ट्रीय महामार्ग के नाम से जानी जाती है। इन सड़कों का उपयोग अंतर्राज्यीय परिवहन तथा सामरिक क्षेत्रों तक रक्षा सामग्री एवं सेना के आवागमन के लिए होता है।
● ये महामार्ग राज्यों की राजधानियों, प्रमुख नगरों, महत्वपूर्ण पत्तनों तथा रेलवे जंक्शनों को भी जोड़ते हैं।
● राष्ट्रीय महामार्गों की लंबाई 1951 में 19.700 कि.मी. से बढ़कर 2020 में 136,440 कि.मी. हो गई है। राष्ट्रीय महामागों की लंबाई पूरे देश की कुल सड़कों की लंबाई की मात्र 2 प्रतिशत है;
● भारतीय राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एन.एच.ए.आई.) का प्रचालन 1995 में हुआ था। यह भूतल परिवहन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्तशासी निकाय है।
राज्य महामार्ग
● इन मार्गों का निर्माण एवं अनुरक्षण राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। ये राज्य की राजधानी से जिला मुख्यालयों तथा अन्य महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ते हैं।
● ये मार्ग राष्ट्रीय महामार्गों से जुड़े होते हैं। इनके अंतर्गत देश की कुल सड़कों की लंबाई का 4 प्रतिशत भाग आता है।
2) जिला सड़कें
ये सड़कें जिला मुख्यालयों तथा जिले के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों के बीच संपर्क मार्ग का कार्य करती हैं। इनके अंतर्गत देश-भर की कुल सड़कों की लंबाई का 14 प्रतिशत भाग आता है।
3) ग्रामीण सड़कें
● ये सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों को आपस में जोड़ने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।
● भारत की कुल सड़कों की लंबाई का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण सड़कों का है।
● ग्रामीण सड़कों के घनत्व में प्रादेशिक विषमता पाई जाती है क्योंकि ये भूभाग ( terrain) की प्रकृति से प्रभावित होती हैं।
अन्य सड़कें :
4) अन्य सड़कों
अन्य सड़कों के अंतर्गत सीमांत सड़कें एवं अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग आते हैं।
● मई 1960 में सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) को देश की उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी सीमा से सटी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों के तीव्र और समन्वित सुधार के माध्यम से आर्थिक विकास को गति देने एवं रक्षा तैयारियों को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था
● इसने अति ऊँचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में चंडीगढ़ को मनाली तथा लेह लद्दाख) से जोड़ने वाली सड़क बनाई है। यह सड़क समुद्र तल से औसतन 4,270 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
● सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कें बनाने व अनुरक्षण करने के साथ-साथ बी.आर.ओ. अति ऊँचाइयों वाले क्षेत्रों में बर्फ हटाने की ज़िम्मेदारी भी सँभालता है।
विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग अटल टनल (9.02 किलोमीटर) सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गयी है। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति, घाटी से जोड़ती है। पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। यह सुरंग हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊँचाई पर अति आधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है
रेल परिवहन
● भारतीय रेल की स्थापना 1853 में हुई तथा मुंबई (बंबई) से थाणे के बीच 34 कि.मी. लंबी रेल लाइन निर्मित की गई।
●भारतीय रेल जाल विश्व के सर्वाधिक लंबे रेल जालों में से एक है। यह माल एवं यात्री परिवहन को सुगम बनाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि में भी योगदान देता है। देश में भारतीय रेल सरकार का विशालतम उद्यम है। भारतीय रेल जाल की कुल लंबाई 67956 कि.मी. है भारतीय रेल को 16 मंडलों में विभाजित किया गया है।
● मेट्रो रेल ने भारत में नगरीय परिवहन व्यवस्था में क्रांति ला दी है। डीज़ल चालित बसों की जगह सी. एन. जी. चालित वाहनों ने प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारतीय रेल के तीन वर्ग बनाए गए हैं।
1) बड़ी लाइन (Broad Guage)
ब्रॉड गेज में रेल पटरियों के बीच की दूरी 1.616 मीटर होती है। ब्रॉड गेज लाइन की कुल लंबाई 63950 कि.मी. थी (2019-20)
2) मीटर लाइन (Meter Guage) इसमें दो रेल पटरियों के बीच की दूरी एक मीटर होती है। इसकी कुल
लंबाई 2402 कि.मी. थी (2019-20)।
3) छोटी लाइन (Narrow Guage) इसमें दो रेल पटरियों के बीच की दूरी 0.762 मीटर या 0.610 मीटर होती है। इसकी कुल लंबाई 1604 कि.मी. थी (2019-20)। यह प्रायः पर्वतीय क्षेत्रों तक सीमित है।
भारतीय रेल ने मीटर तथा नैरो गेज रेलमार्गों को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अतिरिक्त वाष्पचालित इंजनों के स्थान पर डीज़ल और विद्युत इंजनों को लाया गया है।
कोंकण रेलवे
1998 में कोंकण रेलवे का निर्माण भारतीय रेल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह 760 कि.मी. लंबा रेलमार्ग महाराष्ट्र में रोहा को कर्नाटक के मंगलौर से जोड़ता है। इसे अभियांत्रिकी का एक अनूठा चमत्कार माना जाता है। यह रेलमार्ग 146 नदियों व धाराओं तथा 2000 पुलों एवं 91 सुरंगों को पार करता है। इस मार्ग पर एशिया की सबसे लंबी 6.5 कि.मी. की सुरंग भी है। इस उद्यम में कर्नाटक, गोवा तथा महाराष्ट्र राज्य भागीदार हैं।
जल परिवहन
●भारत में जलमार्ग यात्री तथा माल वहन, दोनों के लिए परिवहन की एक महत्वपूर्ण विधा है।
● यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है
● भारी एवं स्थूल सामग्री के परिवहन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
● ईंधन दक्ष तथा पारिस्थितिकी अनुकूल परिवहन प्रणाली है।
जल परिवहन दो प्रकार का होता है-
(क) अन्तः स्थलीय जलमार्ग
(ख) महासागरीय जलमार्ग
1) अंतः स्थलीय जलमार्ग :
● रेलमार्गों के आगमन से पहले यह परिवहन की प्रमुख विधा थी । हालाँकि, इसे रेल व सड़क परिवहन के साथ कठिन प्रतियोगिता का सामना करना पड़ा।
● इस समय भारत में 14500 कि.मी. लंबा जलमार्ग नौकायन हेतु उपलब्ध है जो देश के परिवहन में लगभग 1% का योगदान देता है
● इसके अंतर्गत नदियाँ, नहरें, पश्च जल तथा सँकरी खाड़ियाँ आदि आती हैं। वर्तमान में 5,685 कि.मी. प्रमुख नदी जलमार्ग चपटे तल वाले व्यापारिक जलपोतों द्वारा नौकायन योग्य है
1986 में अंतः स्थलीय जलमार्ग प्राधिकरण स्थापित किया गया था।
निम्नलिखित जलमार्ग सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए गए हैं
●अंतः स्थलीय जलमार्ग प्राधिकरण ने 10 अन्य जलमार्गों की भी पहचान की है जिनका कोटि उन्नयन किया जा सकेगा।
● अंतः स्थलीय जलमार्गों में अपना एक विशिष्ट महत्व है। ये परिवहन का सस्ता साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ केरल में भारी संख्या में पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं। यहाँ की प्रसिद्ध नेहरू ट्रॉफी नौकादौड़ (वल्लामकाली) भी इसी पश्च जल में आयोजित की जाती है।
2) महासागरीय मार्ग
● भारत के पास द्वीपों सहित लगभग 7.517 कि.मी. लंबा व्यापक समुद्री तट है। 12 प्रमुख तथा 185 गौण पत्तन इन मार्गों को संरचनात्मक आधार प्रदान करते हैं।
● भारत की अर्थव्यवस्था के परिवहन सेक्टर में महासागरीय मार्गों की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में भार के अनुसार लगभग 95% तथा मूल्य के अनुसार 70% विदेशी व्यापार महासागरीय मार्गों द्वारा होता है।
वायु परिवहन
● वायु परिवहन एक स्थान से दूसरे स्थान तक गमनागमन का तीव्रतम साधन है
● भारत में वायु परिवहन की शुरुआत 1911 में हुई, जब इलाहाबाद से नैनी तक की 10 कि.मी. की दूरी हेतु वायु डाक प्रचालन संपन्न किया गया था।
● भारतीय वायु प्राधिकरण (एयर अथॉरिटी ऑफ इंडिया) भारतीय वायुक्षेत्र में सुरक्षित, सक्षम वायु यातायात एवं वैमानिकी संचार सेवाएँ प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है।
● भारत में वायु परिवहन का प्रबंधन – एयर इंडिया द्वारा किया जाता है। यह अपनी सेवाओं द्वारा विश्व के सभी महाद्वीपों को जोड़ता है। अब अनेक निजी कंपनियों ने भी यात्री सेवाएँ देनी प्रारंभ कर दी हैं।
पवन हंस एक हेलीकॉप्टर सेवा है जो पर्वतीय क्षेत्रों में सेवारत है और उत्तर-पूर्व सेक्टर में व्यापक रूप से पर्यटकों द्वारा उपयोग में लाया जाता है।
तेल एवं गैस
पाइप लाइन
● पाइप लाइनें गैसों एवं तरल पदार्थों के लंबी दूरी तक परिवहन हेतु अत्यधिक सुविधाजनक एवं सक्षम परिवहन प्रणाली है
● पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासन के अधीन स्थापित आयल इंडिया लिमिटेड (ओ.आई.एल.) कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के अन्वेषण, उत्पादन और परिवहन में संलग्न है।
● 1959 में एक कंपनी के रूप में निगमित किया गया था। एशिया की पहली 1157 कि.मी. लंबी देशपारीय पाइपलाइन (असम के नहरकरिटया तेल क्षेत्र से बरौनी के तेल शोधन कारखाने तक) का निर्माण आई. ओ. एल. ने किया था। इसे 1966 में और आगे कानपुर तक विस्तारित किया गया।
● गेल (इंडिया) लिमिटेड की स्थापना 1984 में एक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में प्राकृतिक गैस के परिवहन, प्रसंस्करण और उसके आर्थिक उपयोग के लिए उसका विपणन करने के लिए की गयी थी।
● गेल द्वारा निर्मित पहली 1,700 किलोमीटर लंबी हजीरा – विजयपुर – जगदीशपुर (एचवीजे) क्रॉस कंट्री गैस पाइपलाइन ने मुंबई हाई और बसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत में विभिन्न उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ा है
● कुल मिलाकर भारत के गैस बुनियादी ढाँचे का विस्तार क्रॉस कंट्री पाइपलाइनों के 1700 किलोमीटर से बढ़कर 18500 किलोमीटर तक दस गुना से अधिक हो गया है
संचार जाल :
● आरंभ में संचार के साधन ही परिवहन के साधन होते थे। डाकघर, तार, प्रिंटिंग प्रेस, दूरभाष तथा उपग्रहों की खोज ने संचार को बहुत त्वरित एवं आसान बना दिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास ने संचार के क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वैयक्तिक संचार तंत्र
सभी वैयक्तिक संचार तंत्रों में इंटरनेट सर्वाधिक प्रभावी एवं अधुनातन है।
● यह उपयोगकर्ता को ई-मेल के माध्यम से ज्ञान एवं सूचना की दुनिया में सीधे पहुँच बनाने में सहायक होता है। यह ई-कॉमर्स तथा मौद्रिक लेन-देन के लिए अधिकाधिक प्रयोग में लाया जा रहा है।
● इंटरनेट विभिन्न मदों पर विस्तृत जानकारी सहित आँकड़ों का विशाल केंद्रीय भंडारागार जैसा होता है।
● इंटरनेट तथा ई-मेल के माध्यम से यह नेटवर्क अपेक्षाकृत कम लागत में सूचनाओं को अभिगम्यता प्रदान करता है।
जनसंचार तंत्र :
रेडियो
● भारत में रेडियो का प्रसारण सन् 1923 में रेडियो क्लब ऑफ बाम्बे द्वारा प्रारंभ किया गया था। यह जनसंचार का सबसे लोकप्रियता साधन है।
● 1930 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम के अंतर्गत इस लोकप्रिय संचार माध्यम को अपने नियंत्रण में ले लिया। 1936 में इसे ऑल इंडिया रेडियो और 1957 में आकाशवाणी में बदला दिया गया
● ऑल इंडिया रेडियो सूचना, शिक्षा एवं मनोरंजन से जुड़े विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को प्रसारित करता है। विशिष्ट अवसरों जैसे संसद तथा राज्य विधानसभाओं के सत्रों के दौरान विशेष समाचार बुलेटिनों को भी प्रसारित किया जाता है।
टेलीविज़न (टी.वी.)
● टेलीविजन प्रसारण एक अत्यधिक प्रभावी दृश्य-श्रव्य माध्यम रहा है। प्रारंभिक दौर में टी.वी. सेवाएँ केवल राष्ट्रीय राजधानी तक सीमित थीं, जहाँ इसे 1959 में प्रारंभ किया गया था। 1972 के बाद कई अन्य केंद्र चालू हुए
● 1976 में टी.वी. को ऑल इंडिया रेडियो (ए.आई.आर.) से विगलित कर दिया गया और इसे दूरदर्शन (डी.डी.) के रूप में । एक अलग पहचान दी गई।
● इनसैट (INSAT) 1ए (राष्ट्रीय टेलीविज़न डीडी-1) के चालू होने के बाद समूचे नेटवर्क के लिए साझा राष्ट्रीय कार्यक्रमों (सीएनपी) की शुरुआत की गयी।
उपग्रह संचार :
● उपग्रह, संचार की स्वयं में एक विधा हैं और ये संचार के अन्य साधनों का भी नियमन करते हैं।
● उपग्रह से प्राप्त चित्रों का मौसम के पूर्वानुमान, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, सीमा क्षेत्रों की चौकसी आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है।
भारत की उपग्रह प्रणाली को समाकृति तथा उद्देश्यों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1) इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम (INSAT)
● इनसैट (INSAT), जिसकी स्थापना 1983 में हुई थी. एक बहुउद्देश्यीय उपग्रह प्रणाली है जो दूरसंचार, मौसम विज्ञान संबंधी अवलोकनों तथा विभिन्न अन्य आँकड़ों एवं कार्यक्रमों के लिए उपयोगी है।
2) इंडियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट सिस्टम (IRS)।
● आई आर एस उपग्रह प्रणाली मार्च 1988 में रूस के वैकानूर से आई आर एस वन ए (IRS IA) के प्रक्षेपण के साथ आरंभ हो गई थी।
हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) आँकड़ों के अधिग्रहण एवं प्रक्रमण की सुविधा उपलब्ध कराती है।