❍ कृषि पद्धतियाँ :- लगभग 10,000 ई.पू पहले हिम युग का अंत हुआ। बढ़ती हुई जनसंख्या को भोजन प्रदान करने के लिए हमें विश्ष्टि कृषि पद्धतियों को अपनाया होता है।
○ फसल :- जब एक ही किस्म के पौधे किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं , तो इसे फसल कहते हैं। जैसे – अन्न , सब्जियाँ एवं फल ।
• यहाँ ताप , आर्द्रता , और वर्षा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न है।
❍ फसल के प्रकार :- फसल को दो वर्गों में बँटा जा सकता है।
○ खरीफ़ फ़सल :- वह फसल जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है, खरीफ़ फ़सल कहलाती है। भारत में वर्षा ऋतु जून से सितम्बर तक होती है। धान , मक्का , सोयाबीन , मूँगफली आदि
○ रबी फ़सल :- वह फसल जिन्हें शीत ऋतु में बोया जाता है। भारत में शीत ऋतु अक्टूबर से मार्च तक होती है। गेंहूँ , चना , मटर , सरसों आदि।
❍ कृषि पद्धतियाँ :- फसल उगाने के लिए किसान को अनेक क्रियाकलाप सामयिक अवधि में करने पड़ते हैं।
1. मिट्टी तैयार करना।
2. बुआई
3. खाद एवं उवर्रक देना
4. सिंचाई
5. खरपतवार से सुरक्षा
6.कटाई
7. भंडारण
❍ जुताई :- मिट्टी को उलटने-पलटने की प्रक्रिया जुताई कहलाती है।
○ हल :- प्रचीन काल जुताई के लिए हल का प्रयोग किया जाता था।
○ कुदाली :- जिसका उपयोग खरपतवार निकालने के लिए किया जाता है।
○ कल्टीवेटर :- आजकल जुताई ट्रैक्टर द्वारा संचालित कल्टीवेटर से की जाती है।
❍ बुआई :- बुआई फसल उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण चरण है।
○ परम्परागत औज़ार :- ये सिरे मिट्टी को भेदकर बीज को स्थापित कर देते हैं।
○ सीड-ड्रिल :- आजकल बुआई के लिए द्वारा संचालित सीड-ड्रिल का उपयोग होता है।
❍ खाद एवं उवर्रक मिलाना :- मिट्टी में पोषक स्तर बनाए रखने खाद एवं उवर्रक मिलाया जाता है।
○ कम्पोस्टिंग :- रसोई घर के अपशिष्ट सहित पौधों एवं जंतु अपशिष्टों को खाद में परिवर्तित करना कम्पोस्टिंग कहलाता है।
○वर्मीकम्पोस्टिंग :- रसोइ घर के कचरे को कृमी अथवा लाल केंचुओं द्वारा कंपोस्ट में परिवर्तित करना वर्मीकम्पोस्टिंग कहलाता हैं।
❍ सिंचाई :- निश्चित अंतराल पर खेत में जल देना ।
○ सिंचाई के स्रोत :- कुऍं , तालाब , नदियाँ , बाँध आदि।
○ आधुनिक विधियाँ :– छिड़काव , ड्रिप तंत्र आदि
❍ खरपतवार से सुरक्षा :- खेत में कई अन्य अवांछित पौधों को खरपतवार कहते है।
○ निराई :- खरपतवार को हटाने को निराई कहते है।
○ रसायन :- खरपतवार पर नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।
❍ कटाई :- फसल पक जाने के बाद उसे काटना कटाई कहलाता है।
○ हार्वेस्टर :- फसल की हाथ या मशीन से कटाई की जाती हैं।
○ थ्रेशिंग :- काटी गई फसल से बीजों को भूसे से अलग करना होता है।
❍ भंडारण :- उत्पाद का भंडारण एक महत्वपूर्ण कार्य है।
○ बीजों को पीड़कों एवं सूक्ष्मजीवों से संरक्षित करने के लिए उचित भण्डारण आवश्यक है।
अध्याय 2 : सूक्ष्मजीव , मित्र और शत्रु | Microorganisms : Friend and Foe