अध्याय 1 : राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय / Political Theory An Introduction

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 राजनीति का अर्थ राजनीति क्या है? राजनीति विज्ञान दर्शन चितंन राजनीति सिद्धांत की उत्पत्ति का विकास राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य राजनीतिक सिद्धान्त में हम क्या पढ़ते है? राजनीतिक सिद्धांतों को व्यवहार में उतारना हमें राजनीतिक सिद्धांत क्यों पढ़ना चाहिए?

 

राजनीतिक सिद्धांत : एक परिचय :-

 

★ राजनीति सिद्धांत ( Political Theory ) :-

● राजनीतिक सिद्धांत को अंग्रेजी भाषा में ‘Political Theory’ कहा जाता है। उत्पत्ति ग्रीक भाषा के ‘Theria’ शब्द से हुई है। ‘Theria’ शब्द का अर्थ, ‘समझने की दृष्टि से, चिन्तन की अवस्था में प्राप्त किसी सुकेन्द्रित मानसिक दृष्टि से है, जो उस वस्तु के अस्तित्व एवं कारणों को प्रकट करती है।

● राजनीतिक सिद्धांत एक ऐसा पदबन्ध है जिसे राजनीतिक चिन्तन, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचार, राजनीतिक विश्लेषण, राजनीतिक परीक्षण, राजनीतिक विचारधारा, राजनीतिक व्यवस्था के सिद्धांत आदि।

 

★ राजनीतिक सिद्धांत परिघटना :-

राजनीतिक सिद्धांत → परिघटना → राजनीतिक व्यवस्था →सामाजिक व्यवस्था →अवधि → परिवेश

 

★ राजनीति सिद्धांत की उत्पत्ति :-

● प्रचीन यूनान :- राज्य के नैतिक लक्ष्यों को पहचान की चिन्ता ( प्लेटो , अरस्तु )।

● मध्य काल :- राजनीति सिद्धांत र्धम से सम्बन्ध था। व्यक्ति को प्रशिक्षित करने की अपेक्षा राज्य से रही है।

● आधुनिक काल :- राज्य की उत्पत्ति सम्बन्धी परिकल्पनाओं एवं राज्य संगठन तथा कार्यों पर विचार।

● 21 वीं सदी में :- उन मूल्यों के प्रति संवेदनशील जो मानवता के लिए आवश्यक है।

 

 

राजनीति ( Politics ) :-

● अंग्रेजी शब्द ‘ पोलिटिक्स ( Politics ) की शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द ‘ पोलिस ‘ से हुई है , जिसका अभिप्राय है – नगर राज्य।

● प्राचीन यूनान में नगर राज्य के सम्पूर्ण नागरिक जीवन का अध्ययन करने वाले विषय को ‘ राजनीति ‘ कहा जाता है।

 ● राजनीति को अंग्रजी में (Politics) कहते हैं, “पॉलिटिक्स” शब्द ग्रीक भाषा के “पोलिस” शब्द से बना है, जिसका अर्थ ” नगर राज्य ” है।

● प्राचीन यूनानी लेखक अरस्तू ने अपने महान ग्रंथ “पालिटिक्स” का आरंभ इस वाक्य से किया था कि “मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक प्राणी है।”

 

◆ राजनीति के सम्बन्ध में यूनानी विद्वानो के मत :-

● यूनानी विचारको का यह मानना था कि जीवन को अच्छा बनाने में परिवार, शिक्षा, संस्थाए, न्याय, कानून और सरकार, ये सब महत्वपूर्ण भूमिका है और इसलिए ये सभी ” राजनीति ” के विषय है।

● गार्नर के अनुसार :- “राजनीति शास्त्र राज्य से आरम्भ होता है तथा राज्य पर समाप्त होता है।”

गेटल के अनुसार :- “राजनीति राज्य के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन है।”

 

 

◆ राजनीति के सम्बन्ध में प्राचीन भारतीय विचारक के मत :-

● प्राचीन भारतीय विचारक के अनुसार राजनीति को ‘राजधर्म अथवा दण्डनीति’ कहा गया है।

● यानी कि प्राचीन भारत के समय राजनीति का अर्थ राज्यों का अध्ययन करना नही था बल्कि राज्यधर्म और दण्डनीति था।

● प्राचीन भारत मे राजनीति का अध्ययन काफी विकसित अवस्था मे था। प्राचीन भारतीय आचार्यों मे मनु और कौटिल्य के नाम उल्लेखनीय है।

 

★ राजनीति के प्रमुख तत्त्व :-

● राजनीति एक मानवीय क्रिया है।

● राजनीति संघर्ष का परिणाम है।

● राजनीति परिवर्तनशील क्रिया है।

● राजनीति शक्ति के लिए एक संघर्ष है।

 

◆ राजनीति की तीन आधारभूत संकल्पनाएँ :-

1. शक्ति :- इसमें वैधता , प्राधिकार सम्मिलित हैं।

2. व्यवस्था :- इसमें राज्य , सरकार आदि सम्मिलित हैं।

3. न्याय :- इसमें कानून , नियम आदि सम्मिलित हैं।

 

 

★ राजनीति सिद्धांत ( Political Theory ) :-

● राजनीतिक सिद्धांत को अंग्रेजी भाषा में ‘Political Theory’ कहा जाता है। उत्पत्ति ग्रीक भाषा के ‘Theria’ शब्द से हुई है। ‘Theria’ शब्द का अर्थ, ‘समझने की दृष्टि से, चिन्तन की अवस्था में प्राप्त किसी सुकेन्द्रित मानसिक दृष्टि से है, जो उस वस्तु के अस्तित्व एवं कारणों को प्रकट करती है।

● राजनीतिक सिद्धांत एक ऐसा पदबन्ध है जिसे राजनीतिक चिन्तन, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचार, राजनीतिक विश्लेषण, राजनीतिक परीक्षण, राजनीतिक विचारधारा, राजनीतिक व्यवस्था के सिद्धांत आदि।

 

 

 

★ राजनीति सिद्धांत :-

1. राजनीतिक दर्शन ( Political Philosophy ) :- राजनीतिक दर्शन , सम्पूर्ण राजनीति नही है बल्कि उसका एक भाग है । ये कल्पना और तर्क पर आधारित है तथा इसमें नैतिकता और मूल्यों पर अधिक बल दिया जाता हैं।

2. राजनीतिक चितंन ( political Thought ) :- राजनीतिक चिंतन किसी विशेष अवधि में सम्पूर्ण समाज के राजनीतिक मनन का अध्ययन हैं। ये कल्पना कृतियों एवं विचारों को ही राजनीतिक सिद्धांत मानते हैं।

3. राजनीतिक विश्लेषण ( Political Analysis ) :- राजनीतिक विश्लेषण की पूर्ण-प्रक्रिया या गतिविधि है। इसमें तथ्यों के उचित , स्वरूप और सम्बन्धो पर विचार किया जाता है।

4. राजनीतिक विचारधारा ( Political Ideology ) :- राजनीतिक विचारों और विश्वासों का ऐसा समुच्य है जो एक सुनिश्चित विश्व दृष्टि पर आधारित हो और अपने को अपने आप में पूर्ण मानती हैं।

 5. राजनीति विज्ञान ( Political Science ) :- सीले , विलोबी , गार्नर आदि विद्धान इस विषय को राजनीति विज्ञान शब्द से संबोधित करते हैं। ये तर्क एवं प्रयोग को उचित ठहराते हैं।

 

 

 

★ राजनीतिक सिद्धांत का विकास :-

● औद्योगिक क्रान्ति के बाद इंग्लैण्ड व अमेरिका में संविधानों व संवैधानिक कानूनों के विकास पर जोर दिया जाने लगा।

● यह प्रक्रिया 19वीं सदी के अन्त तक प्रचलित रही। 20वीं सदी के आरम्भ में राजनीतिक सिद्धांत को एक विशिष्ट क्षेत्र माना जाने लगा।

● अब राज्य, कानून, प्रभुसत्ता, अधिकार और न्याय की संकल्पनाओं के साथ-साथ सरकारों की कार्यविधियों को भी परखने की चेष्टा की जाने लगी।

● अब राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के विषय राजनीतिक संस्थाएं, राज्य के लक्ष्य, न्याय, सुरक्षा, स्वतन्त्रता , समानता , शक्ति, विकास, आदि को भी राजनीतिक सिद्धांत के दायरे में ला दिया गया।

● 1903 में अमेरिकन पॉलिटिकल साइन्स एसोसिएशन (American Political Science Association) ने राजनीतिक सिद्धांत को राजनीति-विज्ञान का महत्वपूर्ण विषय स्वीकार किया और इसके अध्ययन व विकास के प्रयास तेज किए।

 

 

 ★ परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत :-

● प्लेटो व अरस्तु से लेकर व्यवहारवादी क्रान्ति की शुरूआत होने तक का समय परम्परागत राजनीतिक-सिद्धांत का है।

●परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत में व्यवहारवादी क्रान्ति से पूर्व प्रचलित विचार-सामग्री, राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन, विचारधाराओं तथा राजनीतिक विचारों के विश्लेषण को शामिल किया जाता है।

● राज्य, राज्य की प्रकृति तथा उसका आधार, सरकार, कानून, नैतिकता, प्राकृतिक विधि, राजनीतिक संस्थाएं आदि परम्परागत राजनीतिक-सिद्धांत के महत्वपूर्ण विषय रहे हैं।

● परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत के विकास में प्लेटो, अरस्तु, हॉब्स, लॉक, हीगल, कार्ल मार्क्स तथा मान्टेस्कयू आदि राजनीतिक विचारकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

 

 

 

★ आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत :-

 ● 1990 के बाद जॉन डन्न, स्टीवन लूकेज, डेविड हैल्ड आदि विद्वानों ने राजनीतिक-सिद्धांत का विकास किया। आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की विशेषताएं इस प्रकार है ।

● प्रथम विश्व युद्ध के प्रारम्भ होते ही परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत को खतरे का आभास होने लगा जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वास्तविकता में बदल गया, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न जटिल राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियों में परम्परागत सिद्धांत अप्रसांगिक लगने लगा।

● इन जटिल परिस्थितियों में राजनीतिक- शास्त्र के साथ-साथ राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र में भी परिवर्तन आना अवश्यम्भावी था। अब राजनीतिक विज्ञान में अध्ययन की नई-नई तकनीकों, तथ्यों, विश्लेषण की इकाईयों तथ एक सुव्यवस्थित सिद्धांत की मांग जोर पकड़ने लगी।

 

 

 

★ राजनीतिक सिद्धांत का महत्व :-

● राजनीतिक सिद्धांत ही वह साधन है जो राजनीतिक तथ्यों एवं घटनाओं, अध्ययन पद्धतियों तथा मानव-मूल्यों में एक गत्यात्मक सन्तुलन स्थापित कर सकता है।

● राजनीति के रहस्यों, प्रतिक्षण परिवर्तनशील घटनाओं तथा जटिल अन्त:सम्बन्धों तक पहुंचने के लिए राजनीतिक सिद्धांत एक सुरंग की तरह कार्य करता है।

●  यह राजनीति विज्ञान में एक दिशा मूलक की तरह कार्य करता है। इसी पर इस विषय में एकीकरण सामंजस्य, पूर्वकथनीयता एवं वैज्ञानिकता लाना एवं शोद्य सम्भावनाएं निर्भर हैं।

● आज राजनीतिक सिद्धांत एक स्वतन्त्र अनुशासन की दिशा में गतिमान है। राजनीतिक सिद्धांत की आवश्यकता इस बात में है कि यह राजनीति विज्ञान के एक अनुशासन के रूप में परम् आवश्यक है।

● बिना सिद्धांत के न तो रजनीति-विज्ञान का विकास संभव है और न ही कोई शोद्य कार्य, अवधारणात्मक विचारबद्ध के रूप में राजनीतिक सिद्धांत राजनीति विज्ञान में तथ्य संग्रह एवं शोद्य को प्रेरणा एवं दिशा प्रदान करता है।

● राजनीतिक सिद्धांत में राज्य, सरकार, शक्ति, सत्ता, नीति-निर्माण, राजनीतिक विकास, राजनीतिक आधुनिकीकरण, राजनीतिक दल, मताधिकार, चुनाव, जनमत, राजनीतिक संस्कृति, राजनीतिक अभिजनवाद, अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध व संस्थाएं, क्षेत्रीय संगठन, नारीवाद आदि का अध्ययन किया जाता है।

 

 

 

★ राजनीतिक सिद्धांत में हम क्या पढ़ते हैं?

● जैसे-जैसे हमारी दुनियाँ में परिवर्तन हो रहा है, हम स्वतंत्रता एवं स्वतंत्रता पर संभावित खतरों के नये-नये आयामों की खोज कर रहे हैं।

● यह कानून के शासन, अधिकारों का विभाजन और न्यायिक पुनरावलोकन जैसी नीतियों की सार्थकता की जाँच करता हैं।

● राजनीतिक सिद्धांत उन विचारों और नीतियों के व्यवस्थित रूप को प्रतिबिंबित करता है, जिनसे हमारे सामाजिक जीवन, सरकार और संविधान ने आकार ग्रहण किया है।

● विभिन्न तर्कों की खोज-बीन के साथ-साथ राजनीतिक सिद्धांतकार हमारे वर्तमान राजनीतिक अनुभवों का अध्ययन कर भावी रुझानों एवं सम्भावनाओं को चिह्नित करते हैं।

● राजनीतिक सिद्धान्त में हम विभिन्न अवधारणाओं जैसे–स्वतंत्रता, समानता, लोकतन्त्र और धर्म निरपक्षता के व्यावहारिक क्रियान्वयन एवं इससे जुड़े दस्तावेजों व संस्थाओं आदि का अध्ययन करते हैं।

 

 

 ★ राजनीतिक सिद्धांतों को व्यवहार में उतारना :-

● राजनीतिक अवधारणाओं के अर्थ को राजनीतिक सिद्धांतकार यह देखते हुए स्पष्ट करते हैं कि आम भाषा में इसे कैसे समझा और बरता जाता है।

● राजनीतिक सिद्धांतकार विविध अर्थों और रायों पर विचार-विमर्श तथा उनकी जाँच-पड़ताल भी सुव्यवस्थित तरीके से करते हैं।

 

 

★ हमें राजनीतिक सिद्धांत क्यों पढ़ना चाहिए :-

● राजनीतिक सिद्धान्त हमें न्याय या समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच से अवगत कराते हैं।

● राजनीतिक सिद्धान्त हमें राजनीतिक चीजों के विषय में अपने विचारों और भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है।

● राजनीतिक सिद्धांतों का अध्ययन नागरिकों के लिए आवश्यक है क्योंकि शिक्षित और सचेत नागरिक राजनीति करने वालों को जनाभिमुख बना देते हैं।

● राजनीतिक सिद्धांतों का अध्ययन राजनेताओं, नीति निर्माताओं, नौकरशाहों, शिक्षकों, वकीलों, न्यायाधीशों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों आदि के लिए प्रासंगिक है।

● स्वतन्त्रता, समानता और धर्मनिरपेक्षता हमारे जीवन के छिपे हुए पक्ष नहीं हैं। प्रतिदिन परिवारों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, व्यावसायिक केन्द्रों आदि में हम इन्हें अनुभव करते हैं।

 

 

 

 ★ राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य:-

नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्क संगत ढंग से सोचने और सामाजिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आंकने का प्रशिक्षण देना है। गणित के विपरीत जहाँ त्रिभुज या वर्ग की निश्चित परिभाषा होती है राजनीतिक सिद्धांत में हम समानता

 

 

★ राजनितिक सिद्धांत के अध्ययन का महत्त्व :-

● अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान ।

● मस्तिष्क की तार्किक क्षमता में वृद्धि करता है ।

● हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को समझने के लिए।

● राजनितिक सिद्धांत हमारे दृष्टिकोण को उदार बनाते हैं ।

 

 

★ हमें राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन क्यो करना चाहिए :-

● नैतिक समस्याओं को हल करने के लिए।

● हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को समझने के लिए।

● यह समझाने के लिए कि हमारे आसपास क्या चल रहा है।

● यह तय करने के लिए कि क्या होना चाहिए या क्या नहीं होना चाहिए।

● दुनिया में राजनीतिक विकास और राजनीतिक संकट को समझने के लिए।

 

 

★ राजनीतिक सिद्धांत के कार्य :-

● राजनीतिक सिद्धांत यह समझने में मदद करता है कि वास्तव में हमारे आसपास और दुनिया भर में क्या हो रहा है।

● महिलाओं के विरोध का अध्ययन करते हैं, तो हम अधिकतम समय समानता, सशक्तिकरण, अधिकार, न्याय आदि जैसे वैचारिक ढांचे का उपयोग करते हैं।

● राजनीतिक सिद्धांत का मुख्य लक्ष्य हमारे समाज से सच्चाई का पता लगाना है। वह सत्य कितना अच्छा और कितना बुरा है, इसकी कसौटी राजनीतिक सिद्धांत भी देता है।

 ● यह हमें अच्छी व्यवस्था वाले समाज और राजनीति से संबंधित कुछ भी गलत हो रहा है तो क्या होगा सबसे अच्छा समाधान भी राजनीतिक सिद्धांत द्वारा दिया गया है।

● राजनीतिक सिद्धांत मनुष्यों की कार्रवाई को सही ठहराता है। इसके माध्यम से मानव क्रिया की व्याख्या की जा सकती है और यह उन कार्यों के लिए उचित कारण प्रदान करता है।

 

 

 

★ मुख्य बिन्दू :-

● राजनीति एक प्रकार की जनसेवा है।

● गांधी जी ने अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में वास्तविक स्वतंत्रता या स्वराज के अर्थ विवेचना की।

● कार्ल मार्क्स ने तर्क दिया कि समानता भी उतनी ही निर्णायक होती है जितनी कि स्वतंत्रता। की

● आधुनिक काल में सबसे पहले रूसो ने सिद्ध किया कि स्वतंत्रता मानव मात्र का मौलिक अधिकार है।

● राजनीति का जन्म इस बात से होता है कि हमारे और हमारे समाज के लिए क्या उचित एवं वांछनीय है और क्या नहीं।

● मनुष्य दो मामलों में अद्वितीय है- उसके पास विवेक होता है और अपनी गतिविधियों में उसे व्यक्त करने की योग्यता होती है।

● अंबेडकर जी ने जोरदार तरीके से तर्क रखा कि अनुसूचित जातियों को अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए और उन्हें विशेष संरक्षण मिलना चाहिए।

● राजनीतिक सिद्धांत, राजनीतिक जीवन को अनुप्राणित करने वाले स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे मूल्यों के बारे में सुव्यस्थित रूप से विचार करता है।

● राजनीतिक सिद्धांत उन विचारों और नीतियों को व्यवस्थित रूप को प्रतिबिंबित करता है, जिनसे हमारे सामाजिक जीवन, सरकार और संविधान ने आकार ग्रहण किया है। और यह स्वतंत्रता, समानता, न्याय, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसी अवधारणाओं का अर्थ  

 

 

 

 

 

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