अध्याय 1: सत्ता की साझेदारी | Power Sharing

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सत्ता की साझेदारी। श्रीलंका में जातीय संघर्ष और गृहयुद्ध। बेल्जियम में भाषाई संघर्ष।
बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी।सत्ता की साझेदारी के रूप।

 

सत्ता की साझेदारी ऐसी शासन व्यवस्था होती है जिसमें समाज के प्रत्येक समूह और समुदाय की भागीदारी होती है। सत्ता की साझेदारी ही लोकतंत्र का मूलमंत्र है। लोकतांत्रिक सरकार में प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी होती है, जो भागीदारी के द्वारा संभव हो पाती है।

 

❍ श्रीलंका :- श्रीलंका 1948 में स्वतंत्र राष्ट्र बना। श्रीलंका के पुराना नाम सीलोन था।

• श्रीलंका में सिंहली की जनसंख्या 74 फ़ीसदी है।

• श्रीलंका में तमिलों की जनसंख्या में 18 फ़ीसदी है।

• तमिलों की संख्या में 13% श्रीलंकाई मूल के तमिल और 5% हिंदुस्तानी तमिल है।

• श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फ़ीसदी है।

 

○ श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद :- श्रीलंका में सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा।

1.राजभाषा :-1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।

2. बौद्ध धर्म :- सिंहली के बौद्ध धर्म संरक्षण मिला। तमिलों की अनदेखी की गयी।

3. प्राथमिकता :- विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली।

4. अधिकार :- राजनीतिक पाटियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।

5. नीतियाँ :- संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारो से वंचित कर रही हैं।

 

 

 ○ गृहयुद्ध :- दो समुदायों के बीच अविश्वास, सिंहली और तमिल संघर्ष में बदल गया । शिक्षा हासिल करने में एक आधिकारिक भाषा के रूप में तमिल को मान्यता देने, क्षेत्रीय स्वायत्तता और अवसर की समानता के लिए संघर्ष।गृहयुद्ध 1983 से 2009 तक चला

 

 ○ श्रीलंकाई तमिल :- तमिलों ने अपनी राजनीतिक पतियाँ बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने , क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा                                          शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया।

 • 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।

 

 

 ○ बेल्जियम :- बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है , क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा है। इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड , जर्मनी और लक्समबर्ग से लगती है।

  देश की कुल आबादी का 59 फीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। शेष 40 फ़ीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं।

राजधानी ब्रुसेल्स के 80 फ़ीसदी लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20 फ़ीसदी लोग डच भाषा।

1. अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक रूप से ज़्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं।

2. आर्थिक विकास और शिक्षा का लाभ पाने वाले डच-भाषी लोगों को इस स्थिति से नाराज़गी थी।

3. 1950-1960 के दशक में फ्रेंच और डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ने लगा।

4. डच बोलने वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत ज्यादा थे लेकिन धन और समृद्धि के मामले में कमज़ोर और अल्पमत में थे।

5. इन दोनों समुदायों के टकराव के कारण तनाव पैदा हो गया।

 

❍ बेल्जियम की समझदारी :- बेल्जियम के नेताओं ने श्रीलंका से अलग रास्ता अपनाने का फ़ैसला किया। उन्होंने क्षेत्रीय अंतरों और सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार किया।

1. 1970 और 1993 के बीच उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन किए।

2. संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी।

3. केंद्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं।

4. ब्रुसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।

5. केंद्रीय और राज्य सरकार के अलावा एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है यानी सामुदायिक सरकार

 

❍ सत्ता की साझेदारी के रूप :-

1.शासन के विभिन्न अंग , जैसे विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बंटवारा रहता है।

2. सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा हो सकता है।

देश के लिए – केंद्र सरकार
राज्य के लिए – राज्य सरकार
गाँव के लिए – स्थानीय सरकार

3. सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों , मसलन , भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है।

उदाहरण – समुदायिक सरकार

4. सत्ता के बंटवारे का एक रूप हम विभिन्न प्रकार के दबाव-समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं।

व्यापारी , उद्योगपति , किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित हिट-समूहों को भी सक्रिय देखते हैं।

 

 

 

अध्याय 2 : संघवाद

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