अध्याय 11 : अंतराष्ट्रीय व्यापार

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अंतराष्ट्रीय व्यापार 

 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभी देशों के लिए परस्पर लाभदायक हैं, चूँकि कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने मात्रा, संघटन के साथ-साथ व्यापार की दिशा के संबंध में आमूल परिवर्तनों का अनुभव किया है।

 

विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी कुल मात्रा का केवल एक प्रतिशत है तथापि विश्व की अर्थव्यवस्था में इसकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 1950-51 में भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1,214 करोड़ रुपए था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 44,29,762 करोड़ रुपए हो गया।

 

विदेशी व्यापार में इस तीव्र वृद्धि के अनेक कारण हैं जैसे कि विनिर्माण के क्षेत्र में संवेगी (गतिशील) उठान, सरकार की उदार नीतियाँ तथा बाजारों की विविधरूपता आदि।

 

 

भारत के निर्यात संघटन के बदलते प्रारूप

 

● भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वस्तुओं के संघटकों में बदलाव आया है।

● कृषि तथा समवर्गी उत्पादों का हिस्सा घटा है, जबकि पेट्रोलियम तथा अपरिष्कृत उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं में वृद्धि हुई है।

● अयस्क खनिजों तथा निर्मित सामानों का हिस्सा वर्ष 2009-10 से 2010-11 तथा 2015-16 से 2016-17 तक व्यापक तौर पर लगातार स्थिर-सा रहा है।

 

परंपरागत वस्तुओं के व्यापार में गिरावट का कारण मुख्यतः

1) कड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा

2) कृषि उत्पादों के अंतर्गत कॉफ़ी, काजू, दालों आदि जैसी परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट

3) पुष्पकृषि उत्पादों ताज़े फलों, समुद्री उत्पादों तथा चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि

4) वर्ष 2016-17 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र ने भारत के कुल निर्यात मूल्य में अकेले 73.6 प्रतिशत की भागीदारी

5) चीन तथा अन्य पूर्व एशियाई देश हमारे प्रमुख प्रतिस्पर्धी है।

6) भारत के विदेश व्यापार में मणि रत्नों तथा आभूषणों की एक व्यापक हिस्सेदारी

 

 

भारत के आयात संघटन के बदलते प्रारूप :

 

भारत ने 1950 एवं 1960 के दशक में खाद्यान्नों की गंभीर कमी का अनुभव किया है। उस समय आयात की प्रमुख वस्तुएँ खाद्यान्न, पूँजीगत माल, मशीनरी एवं उपस्कर आदि थे

1970 के दशक के बाद हरित क्रांति में सफलता मिलने पर खाद्यान्नों का आयात रोक दिया गया। 1973 में आए ऊर्जा संकट से पेट्रोलियम (पदार्थों) के मूल्य में उछाल आया फलतः आयात बजट भी बढ़ गया। खाद्यान्नों के आयात की जगह उर्वरकों एवं पेट्रोलियम ने ले ली।

 

पेट्रोलियम तथा इसके उत्पादों के आयात में तीव्र वृद्धि हुई है। इसे न केवल ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है बल्कि इसका प्रयोग उद्योगों में एक कच्चे माल के रूप में भी होता है। खाद्य तेलों के आयात में आई गिरावट के साथ खाद्य तथा समवर्गी उत्पादों के आयात में कमी आई है।

भारत के आयात में अन्य प्रमुख वस्तुओं में मोती तथा उपरत्नों, स्वर्ण एवं चाँदी, धातुमय अयस्क तथा धातु छीजन, अलौह धातुएँ तथा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ आदि आते हैं।

 

 

 

 व्यापार की दिशा :

 

भारत के व्यापारिक संबंध विश्व के अधिकांश देशों एवं प्रमुख व्यापारी गुटों के साथ हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान क्षेत्रानुसार एवं उपक्षेत्रानुसार व्यापार भारत का उद्देश्य आगामी पाँच वर्षों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपनी हिस्सेदारी को दुगुना करने का है।

 

इसने इस दिशा में, पहले से ही आयात उदारीकरण, आयात करों में कमी, डि-लाइसेंसिंग (विअनुज्ञाकरण) तथा प्रक्रिया से उत्पाद के एकस्व (पेटेंट) में बदलाव आदि अनुकूल उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं

 

भारत का अधिकतर विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायु मार्गों द्वारा संचालित होता है। हालांकि, विदेशी व्यापार का छोटा सा भाग सड़क मार्ग द्वारा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान जैसे पड़ोसी राज्यों में सड़क मार्ग द्वारा किया जाता है।

 

 

 

समुद्री पत्तन- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में

 

भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है और प्रकृति ने हमें एक लंबी तटरेखा प्रदान की है। जल सस्ते परिवहन के लिए एक सपाट तल प्रदान करता है।

 

भारत में समुद्री पत्तनों का एक रोचक तथ्य यह है कि इसके पूर्वी तट की अपेक्षा पश्चिमी तट पर अधिक पत्तन हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में पत्तनों का उभरना यूरोपीय व्यापारियों का आगमन तथा अंग्रेजी द्वारा भारत के उपनिवेशीकरण के बाद महत्त्वपूर्ण बना

 

भारत में 12 प्रमुख और 200 छोटे या मझोले पत्तन हैं। प्रमुख पत्तनों के संबंधों में केंद्र सरकार नीतियाँ बनाती है तथा नियामक क्रियाओं को निभाती हैं। छोटे पत्तनों के लिए राज्य सरकारें नीतियाँ बनाती है व नियामक क्रियाएँ निभाती हैं। प्रमुख पत्तन कुल यातायात के बड़े हिस्से का निपटान करती हैं।

 

भारतीय पत्तन विशाल मात्रा में घरेलू के साथ-साथ विदेशी व्यापार का निपटान कर रहे हैं। अधिकतर पत्तन आधुनिक अवसंरचना से लैस हैं। पहले पत्तनों के विकास एवं आधुनिकीकरण की जिम्मेदारी सरकारी अभिकरणों पर थी, लेकिन काम के बढ़ने और इन पत्तनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पत्तनों के समकक्ष बनाने की आवश्यकता ने भारत की पत्तनों के आधुनिकीकरण के लिए निजी उद्यमियों को आमंत्रित किया।

 

आज भारतीय पत्तनों की नौभार निपटान की क्षमता 1951 में 20 मिलियन टन से 2016 में 837 मिलियन टन से अधिक बढ़ गई थी।

 

 

 

महत्वपूर्ण भारतीय पत्तन :

 

 

कांडला बंदरगाह
गुजरात में कच्छ की खाड़ी के तट पर स्थित यह एक ज्वारीय बंदरगाह है यहां पर सरकार ने मुफ्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया है 4 अक्टूबर 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बंदरगाह का नाम परिवर्तित कर दीनदयाल बंदरगाह कर दिया गया है

 

मुंबई बंदरगाह
यह देश का सबसे बड़ा वर्ष पर्यंत खुला रहने वाला प्राकृतिक बंदरगाह है जो प्राकृतिक कटान में साल सेठ जी पर स्थित है यहां से मुख्यता सूती एवं ऊनी कपड़े चमड़े का सामान पेट्रोलियम मैगजीन मशीन इंजीनियरिंग सामान आदि का निर्यात किया जाता है यह देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है

 

नहावा सेवा न्यू मुंबई बंदरगाह
इसका नामकरण जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह है यह पूर्णतया यंत्र चलित बंदरगाह है जो मुंबई मुंबई बंदरगाह पर दबाव करने हेतु न्यू मुंबई में आधुनिक शैली से विकसित बंदरगाह है इसे वर्ष 1988-1989 में देश का बारवा बड़ा बंदरगाह घोषित किया गया है या भारत का विशालतम कंटेनर पतन है

 

मार्मागाओ बंदरगाह
गोवा की जुआरी नदी को ऐसे चोरी में स्थित या बंदरगाह वर्ष 1977 तक देश का सबसे बड़ा निर्यात करता बंदरगाह था क्योंकि पूर्व में जापान को लौह अयस्क का ही निर्यात होता था किंतु वर्तमान में मैगजीन सीमेंट उर्वरक काफी नारियल काजू नमक खनिज नमक आदि का भी निर्यात होता है

 

न्यू मंगलौर बंदरगाह
मार्गो गांव में कोच्चि के मध्य कर्नाटक में स्थिति है बंदरगाह आकार की दृष्टि में अपेक्षाकृत छोटा है यहां से मुख्यतः लौह अयस्क कर्नाटक की केंद्र मुख खान में विकसित ग्रेनाइट, काजू, कहवा, लकड़ी, मछली, चंदन का तेल आदि का निर्यात होता है

 

कोच्चि बंदरगाह
देवना दयाल जी से अरब सागर की रानी क्वीन ऑफ अरेबियन सी के लोकप्रिय नाम से जाना जाता है इस के मुहाने पर स्थित कोच्चि पतंग एक प्राकृतिक पतन है इस पतन को स्वच्छ कोलंबो मार्ग के पास अवस्थित होने का लाभ प्राप्त है पूर्व का वेनिस कहा जाने वाला यह बंदरगाह केरल के मालाबार तट के वेलिंगटन द्वीप द्वीप पर स्थित है इसकी गोदी वर्ष भर खुली रहती है इस बंदरगाह के निकट एक जलयान निर्माण शाला में पेट्रोलियम शोधनशाला स्थापित की गई है

 

तूतीकोरिन बंदरगाह
भारत के दक्षिणी पूर्वी छोर पर तमिलनाडु में स्थिति है 27 जनवरी 2011 को तूतीकोरिन पोर्ट का ट्रस्ट का नाम बदलकर चिदंबर नार पोर्ट ट्रस्ट किया गया श्री चिदंबरम लेने 1906 में प्रथम स्वदेशी भारतीय नौवहन सेवा तूतीकोरिन से कोलंबो के बीच प्रारंभ की थी

 

चेन्नई बंदरगाह
भारत के प्राचीनतम बंदरगाहों में से एक है यह एक कुतरिम पतन है जिसे वर्ष अट्ठारह सौ उनसठ में बनाया गया था तट पर पानी की कमी रहने के कारण बड़े जलयान तट तक नहीं आ पाते थे जिसे बाद बाद में कृत्रिम रूप से गहरा किया गया यहां से पेट्रोलियम उत्पाद उर्वरक लौह अयस्क मैगजीन अभ्रक कोयला मशीनें सूती और रेशमी कपड़े चमड़ा रबड़ तंबाकू तेल हल्दी आदि का आयात निर्यात किया जाता है

 

विशाखापट्टनम बंदरगाह
काकीनाडा चैट पर आंध्र प्रदेश में स्थित इस बंदरगाह के पास पहुंच निर्माण व मरम्मत उद्योग भी स्थापित हैं यहां से लौह –अयस्क पेट्रोलियम उत्पाद, पूर्वक लकड़ी कोयला, चमड़ा आदि का आयात निर्यात किया जाता है यह सबसे गहरा बंदरगाह माना जाता है

 

पारादीप बंदरगाह
यह उड़ीसा राज्य में कटक से 100 किलोमीटर की दूरी पर महा नदी के डेल्टा पर स्थित है यहां से मुख्यतः जापान को कच्चा लोहा निर्यात किया जाता है यह निर्यात प्रधान बंदरगाह है इसका पोताश्रय सबसे गहरा है

 

कोलकाता हल्दिया बंदरगाह

यह बंदरगाह हुगली नदी पर व्यवस्थित है जो बंगाल की खाड़ी से 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मुंबई पतन की भांति इसका विकास भी अंग्रेजों द्वारा किया गया था हल्दिया कोलकाता से 105 किलोमीटर दूर स्थित है यह पूर्णतया प्राकृतिक बंदरगाह है यह एक नदिया पतंग भी है कांडला की भांति यह भी एक ज्वारीय पतन है इस बंदरगाह पर जल के स्तर को बढ़ाने के लिए फरक्का नामक स्थान पर एक बांध बनाया गया है

 

एन्नोर बंदरगाह
यह तमिलनाडु के तट पर चेन्नई के उत्तर में स्थित है इसका परिचालन सन 2001 से शुरू हुआ या देश का सबसे बड़ा कंप्यूटराइज्ड बंदरगाह है और देश का प्रथम पब्लिक कंपनी मिनी रत्न बंदरगाह है यह देश का प्रथम निजी क्षेत्र में स्थापित बंदरगाह है यह चेन्नई से 24 किलोमीटर उत्तर में स्थित है 21 फरवरी 2014 को एन्नोर बंदरगाह का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी में आधुनिक तमिलनाडु के निर्माता के कामकाज के नाम पर कामराज पोर्ट लिमिटेड बंदरगाह किया गया है

 

पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह को केंद्र सरकार ने एक जून 2010 से बड़े बंदरगाहों की श्रेणी में सम्मिलित किया इससे देश में बड़े बंदरगाह के कुल संख्या अब 13 हो गई है इन बंदरगाहों का प्रबंधन मैनेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत पोर्ट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है

 

 

 

हवाई अड्डे

 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन्हें लंबी दूरी वाले उच्च मूल्य वाले या नाशवान सामानों को कम से कम समय में ले जाने व निपटाने के लिए लाभ प्राप्त होते हैं।

 

यह भारी और स्थूत वस्तुओं के जहान करने के लिए बहुत महँगा और अनुपयुक्त होता है।

 

देश में 25 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडे कार्य कर रहे हैं (वार्षिक रिपोर्ट 2016-17) अंतर्राष्ट्रीय हवाईनों के अंतर्गत अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, गुवाहाटी, हैदराबाद कोच्चि, कोलकाता, मुंबई ,श्रीनगर जयपुर ,कालीकट ,नागपुर, कोयम्बटूर, लखनऊ, पुणे, चण्डीगढ़, मंगलुरु, इंदौर, तिरुअनंतपुरम, विशाखापट्नम, पटना, भुवनेश्वर और कन्नूर है

 

 

 

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