❍विधुत :- किसी चालक में विद्युत आवेशों के बहाव से उत्पन्न ऊर्जा को विद्युत कहते है।
❍ विधुत के प्रकार :- स्थिर विद्युत आवेश के रूप में होता हैं और इसे अधिक मात्रा में उतपन्न नही कर सकते है। गतिशील विद्युत का उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में किया जा सकता हैं।
❍ विद्युत सेल:
❍ घनात्मक :- विद्युत सेल में धातु की टॉपी धनात्मक सिरा कहलाता है।
❍ ऋणात्मक :- धातु की डिस्क ऋणात्मक सिरा कहलाता है।
❍ विद्युत-सेल में संचित रासायनिक पदार्थों से सेल विद्युत उत्पन्न करता है।
❍ तंतु :- प्रकाश उत्सर्जित करने वाले पतले तार को बल्ब का तंतु कहते हैं।
❍ विधुत – परिपथ :- वह पथ जिसमे इलेक्ट्रॉन एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक प्रवाहित हो सके, विद्युत परिपथ कहलाता है।
विधुत परिपथ चार प्रकार के होते है –
1.खुला परिपथ
2.बंद परिपथ
3.लघु परिपथ
4.लीकेज परिपथ
विधुत -परिपथ विद्युत् -धारा की विद्युत् – सेल के (+) टर्मिनल से ( -) टर्मिनल की ओर होती हैं।
जब बल्ब टर्मिनलों को तार के द्वारा विद्युत् – सेल के टर्मिनलों से जोड़ा जाता है तो बल्ब के तंतु से होकर विद्युत् -धारा प्रवाहित होती है। यह बल्ब को दीप्तिमान करती है।
❍ विधुत – स्विच :- विद्युत् -बल्ब को ‘ ऑन ‘ अथवा ‘ ऑफ ‘ करने में विद्युत् – सेल की नोक से स्पर्श कराते अथवा हटाते है।
❍ विधुत – चालक :- जिन पदार्थों से होकर -धारा प्रवाहित हो सकती है , विद्युत् – चालक कहलाते हैं।
उदाहरण – चांदी, तांबा, एल्युमीनियम आदि ।
❍ विधुत अचालक :- वे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है, अचालक पदार्थ कहलाते हैं तथा इनमें मुक्त इलेक्ट्राॅन नहीं (न के बराबर) होते है ।
उदाहरण – रबर, प्लास्टिक, कांच आदि ।
❍ विधुत – रोधक :- जिन पदार्थों से होकर -धारा प्रवाहित नही हो सकती , वे विद्युत् – रोधक कहलाते हैं।
उदाहरण :- लकड़ी, रबर, कांच, कागज, वायु इत्यादि.