अध्याय 12 : विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

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जलवायु का वर्गीकरण तीन वृहत् उपगमनों द्वारा किया गया है।

 

1) आनुभविक वर्गीकरण प्रेक्षित किए गए विशेष रूप से तापमान एवं वर्णन से संबंधित आँकड़ों पर आधारित होता है।

 

2) जननिक वर्गीकरण जलवायु को उनके कारणों के आधार पर संगठित करने का प्रयास है।

 

3) जलवायु का अनुप्रयुक्त वर्गीकरण किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए किया जाता है।

 

 

 

 

कोपेन की जलवायु वर्गीकरण

 

कोपेन का जलवायु वर्गीकरण आनुभविक पद्धति का सबसे व्यापक उपयोग किया है। वर्षा एवं तापमान के मध्यमान वार्षिक एवं मध्यमान मासिक आँकड़ों पर आधारित यह एक आनुभविक पद्धति है

● कोपेन ने वनस्पति के वितरण और जलवायु के बीच एक घनिष्ठ संबंध की पहचान की। उन्होंने तापमान तथा वर्षण के कुछ निश्चित मानों का चयन करते हुए उनका वनस्पति के वितरण से संबंध स्थापित किया

●उन्होंने जलवायु के समूहों एवं प्रकारों की पहचान करने के लिए बड़े तथा छोटे अक्षरों के प्रयोग का आरंभ किया

 

 

कोपेन ने पाँच प्रमुख जलवायु समूह निर्धारित किए जिनमें से चार तापमान पर और एक वर्षण पर आधारित है।

 

बड़े अक्षर A, C, D तथा E आई जलवायु को तथा B अक्षर शुष्क जलवायु को निरूपित करता है। जलवायु समूहों को तापक्रम एवं वर्षा की मौसमी विशेषताओं के आधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है। शुष्कता वाले मौसमों को छोटे अक्षरों f.m.wऔर द्वारा गित किया गया है।

 

 

 

 समूह A उष्णकटिबंधीय जलवायु

 

उष्णकटिबंधीय जलवायु कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पाई जाती है। संपूर्ण वर्ष सूर्य के ऊर्ध्वाधर तथा अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की उपस्थिति के कारण यहाँ की जलवायु कृष्ण एवं आई रहती है।

 

उष्णकटिबंधीय समूह को तीन प्रकारों में बाँटा गया है ।

 

 उष्णकटिबंधीय आई जलवायु (Af)

उष्णकटिबंधीय आद्र जलवायु विषुवत् वृत्त के निकट पाई जाती है। वर्ष के प्रत्येक माह में दोपहर के बाद गरज और बौछारों के साथ प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है। तापमान समान रूप से ऊँचा और वार्षिक तापांतर नगण्य होता है।

किसी भी दिन अधिकतम तापमान लगभग 30 सेल्सियस और न्यूनतम तापमान लगभग 20° सेल्सियस होता है। इस जलवायु में सघन वितान तथा व्यापक जैव-विविधता वाले उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन पाए जाते हैं।

प्रमुख क्षेत्र दक्षिण अमेरिका का अमेजन बसिन, पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका तथा दक्षिणी पूर्वी एशिया के द्वीप है।

 

उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु (Am)

उष्णकटिबंधीय मानूसन जलवायु भारतीय उपमहाद्वीप दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग तथा उत्तरी आस्ट्रेलिया में पाई जाती है। भारी वर्षा अधिकतर गर्मियों में होती है। शीत ऋतु शुष्क होती है।

 

 

उष्णकटिबंधीय आद्र एवं शुष्क जलवायु (Aw)

इस जलवायु में वार्षिक वर्षा (Af) तथा (Am) जलवायु प्रकारों की अपेक्षा काफी कम तथा विचरणशील है। आद्र ऋतु छोटी और शुष्क ऋतु भीषण व लंबी होती है। तापमान वर्ष भर ऊँचा रहता है और शुष्क ऋतु में दैनिक पर सर्वाधिक होते हैं। इस जलवायु में पर्णपाती वन और पेड़ों से ढकी घासभूमियाँ पाई जाती है

Aw जलवायु दक्षिण अमेरिका में स्थित ब्राजील के वनों के उत्तर और दक्षिण में बोलिविया और पैरागुए के निकटवर्ती भागों तथा सूडान और मध्य अफ्रीका के दक्षिण में पाई जाती

 

 

 

शुष्क जलवायु-B

 

शुष्क जलवायु की विशेषता अत्यंत न्यून वर्षा है जो पादपों की वृद्धि के लिए पर्याप्त नहीं होती। यह जलवायु मुख्यरूप से विषुवत् वृत्त से 15 से 60″ उत्तर व दक्षिणी अक्षाशों के बीच विस्तृत है। 15 से 30° के निम्न अंक्षाशों में यह उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब क्षेत्र में पाई जाती है।

 

जहाँ तापमान का अवलन और उत्क्रमण, वर्षा नहीं होने देते। महद्वीपों के पश्चिमी सीमांतों पर ठंडी धाराओं के आसन्न क्षेत्र,विशेषत: दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर यह जलवायु विषुवत् त को और अधिक विस्तृत है

 

 

उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी (BSh) एवं उपोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल (BWh) जलवायु

 

● आर्द्र एंव शुष्क जलवायु के संक्रमण क्षेत्र में अवस्थित होने के कारण उपोष्ण कटिबंधीय स्टेपी जलवायु में मरूस्थल जलवायु की अपेक्षा वर्षा थोड़ी ज्यादा होती है जो विरल घासभूमियों के लिए पर्याप्त होती है।

 

वर्षा दोनों ही जलवायु में परिवर्तनशीलता होती है। वर्षा की परिवर्तनशीलता मरूस्थल की अपेक्षा स्टेपी में जीवन को अधिक प्रभावित करती है। मरूस्थलों में वर्षा थोड़ी किंतु गरज के साथ तीव्र बौछारों के रूप में होती है, जो मुदा में नमी पैदा करने में अप्रभावी सिद्ध होती है।

 

ग्रीष्मऋतु में अधिकतम तापमान बहुत ऊँचा होता है। लीबिया के अल-अजीजिया में 13 सितंबर 1922 को उच्चतम तापमान 58° सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस जलवायु में वार्षिक और दैनिक तापांतर भी अधिक पाए जाते हैं।

 

 

 

कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु – C

 

कोष्ण शीतोष्ण (मध्य अक्षांशीय) जलवायु 30° से 50° अक्षांशों के मध्य मुख्यतः महाद्वीपों के पूर्वी और पश्चिमी सीमांतों पर पाई जाती है। इस जलवायु में ग्रीष्म ऋतु कोष्ण और शीत ऋतु मृदुल होती है।

 

इस जलवायु को 4 भागो में बाँटा गया है । :-

 

आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु (Cwa)

यह जलवायु कर्क एवं मकर रेखा से ध्रुवों की ओर मुख्यतः भारत के उत्तरी मैदान और दक्षिणी चीन के आंतरिक मैदानों में पाई जाती है। यह जलवायु Aw जलवायु जैसी ही है, केवल इतना अपवाद है कि इसमें सर्दियों का तापमान कोष्ण होता है।

 

 

भूमध्यसागरीय जलवायु (Cs)

यह भूमध्य सागर के चारों ओर तथा उपोष्ण कटिबंध से 30° से 40° अक्षांशों के बीच महाद्वीपों के पश्चिमी तट के साथ-साथ पाई जाती है।

ये क्षेत्र ग्रीष्म ऋतु में उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब तथा शीत ऋतु में पछुआ पवनों के प्रभाव में आ जाते हैं। इस प्रकार उष्ण व शुष्क गर्मियाँ तथा मृदु एवं वर्षायुक्त सर्दियाँ इस जलवायु की विशेषताएँ हैं। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान 25° सेल्सियस के आस पास तथा शीत ऋतु में 10° सेल्सियस से कम रहता है। वार्षिक वर्षा 35 से 90 से.मी. के बीच होता है।

 

आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु (Cfa)

इस प्रदेश में वायुराशियाँ प्रायः अस्थिर रहती हैं और पूरे वर्ष वर्षा करती हैं। यह जलवायु पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिणी तथा पूर्वी चीन, दक्षिणी जापान, उत्तर-पूर्वी अर्जेंटीना, तटीय दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर पाई जाती है। औसत वार्षिक वर्षा 75 से 150 से.मी. के बीच रहती है। ग्रीष्म ऋतु में तड़ितझंझा और शीतऋतु में वाताग्री वर्षण सामान्य विशेषताएँ हैं। ग्रीष्म ऋतु में औसत मासिक तापमान लगभग 27° सेल्सियस होता है

 

 

समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु (Cfb)

महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर भूमध्य सागरीय जलवायु से ध्रुवों की ओर पाई जाती है। प्रमुख क्षेत्र है – उत्तर-पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका का पश्चिमी तट उत्तरी कैलिफोर्निया, दक्षिण चिली, दक्षिण-पूर्वी आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड यहाँ समुद्री प्रभाव के कारण तापमान मध्यम होते हैं और शीत ऋतु में अपने अक्षांशों की तुलना में कोष्ण होते हैं। वार्षिक और दैनिक तापातर कम पाया जाता है। वर्षण साल भर होती है लेकिन यह सर्दियों में अधिक होती है। वर्षण 50 से.मी. से 250 से.मी. के बीच होती है ।

 

 

 

शीत हिम-वन जलवायु (D)

 

उत्तरी गोलार्द्ध में 40° से 70 अक्षांशों के बीच यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका के विस्तृत महाद्वीपीय क्षेत्रों में पाई जाती है। शीत हिम वन जलवायु को दो प्रकारों में विभक्त किया जाता है

 

 

आद्र जाड़ो से युक्त ठंडी जलवायु (Df)

आद्र जाड़ो से युक्त ठंडी जलवायु समुद्री पश्चिम तटीय जलवायु और मध्य अक्षांशीय स्टैपी जलवायु से ध्रुवों की और पाई जाती है।

जाड़े ठंडे और बर्फीले होते तुषार मुक्त ऋतु छोटी होती है। वार्षिक तापांतर अधिक होता है। मौसमी परिवर्तन आकस्मिक और अल्पकालिक होते हैं। ध्रुवों की ओर सर्दियाँ अधिक उम्र होती हैं।

 

 

 शुष्क जड़ों से युक्त ठंडी जलवायु (DW)

 

शुष्क जाड़ों से युक्त ठंडी जलवायु मुख्यतः उत्तर-पूर्वी एशिया में पाई जाती है। जाड़ों में प्रतिचक्रवात का स्पष्ट विकास तथा ग्रीष्म ऋतु में उसका कमजोर पड़ना इस क्षेत्र में पवनों के प्रत्यावन को मानसून जैसी दशाएँ उत्पन्न करते हैं। ध्रुवों की ओर गर्मियों में तापमान कम होते हैं और जादों में तापमान अत्यंत न्यून होती है।

 

 

 

ध्रुवीय जलवायु (E)

ध्रुवीय जलवायु 70° अक्षांश से परे ध्रुवों की ओर पाई जाती है। ध्रुवीय जलवायु दो प्रकार की होती है

 

 

टुण्ड्रा जलवायु (ET)

टुण्ड्रा जलवायु का नाम काई लाइकान तथा पुष्पी पादप जैसे छोटे वनस्पति प्रकारों के आधार पर रखा गया है।

यह स्थायी तुषार का प्रदेश है जिसमें अधोभूमि स्थायी रूप से जमी रहती हैं। लघुवर्धन काल और जलाक्रांति छोटी वनस्पति का ही पोषण कर पाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में टुण्ड्रा प्रदेशों में दिन के प्रकाश की अवधि लंबी होती है।

 

 

 

हिमटोप जलवायु (EF)

हिमटोप जलवायु ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के आंतरिक भागों में पाई जाती हैं। गर्मियों में भी तापमान हिमांक से नीचे रहता है। इस क्षेत्र में वर्षा थोड़ी मात्रा में होती है। तुषार एवं हिम एकत्रित होती जाती है जिनका बढ़ता हुआ सि दबाव हिम परतों को विकृत कर देता है।

अंटार्कटिक में 79° दक्षिण अक्षांश पर प्लेट्यू स्टेशन पर भी यही जलवायु पाई जाती है।

 

 

 

उच्च भूमि जलवायु (F)

 

उच्च भूमि जलवायु भौम्याकृति द्वारा नियंत्रित होती है। ऊँचे पर्वतों में थोड़ी-थोड़ी दूरियों पर मध्यमान तापमान में भारी परिवर्तन पाए जाते हैं। उच्च भूमियों में वर्षण के वि प्रकारों व उनकी गहनता में भी स्थानिक अंतर पाए जाते हैं। पर्वतीय वातावरण में ऊँचाई के साथ जलवायु प्रदेशों के स्तरित ऊर्ध्वाधर कटिबंध पाए जाते हैं।

 

 

जलवायु परिवर्तन

 

90 के दशक में चरम मौसमी घटनाएँ घटित हुई हैं। 1990 के दशक में शताब्दी का सबसे गर्म तापमान और विश्व में सबसे भयंकर बाढ़ों को दर्ज किया है। सहारा मरुस्थल के दक्षिण में स्थित साहेल प्रदेश में 1967 से 1977 के दौरान आया विनाशकारी सूखा ऐसा ही एक परिवर्तन था।

 

1930 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के बृहत मैदान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, जिसे ‘धूल का कटोरा’ कहा जाता है, भीषण सूखा पड़ा। फसलों की उपज अथवा फसलों के विनाश, बाढ़ों तथा लोगों के प्रवास संबंधी ऐतिहासिक अभिलेख परिवर्तनशील जलवायु के प्रभावों के बारे में बताते हैं।

 

यूरोप अनेकों बार उष्ण, आर्द्र, शीत एवं शुष्क युगों से गुजरा है। इनमें से महत्त्वपूर्ण प्रसंग 10 वीं और 11 वीं शताब्दी की उष्ण एवं शुष्क दशाओं का है, जिनमें वाइकिंग कबीले ग्रीनलैंड में जा बसे थे।

 

 

 

 जलवायु परिवर्तन के कारण

 

जलवायु परिवर्तन के अनेक कारण हैं। इन्हें खगोलीय और पार्थिव कारणों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

 

1) खगोलीय कारण :- सौर कलंकों से संबंधित है सौर कलक सूर्य पर काले धब्बे होते है । जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं सौर कलकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठंडा और आद्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है। सीर फलकों की संख्या घटने से उष्ण एवं शुष्क दशाएँ उत्पन्न होती हैं

 

 

2) ज्वालामुखी क्रिया जलवायु परिवर्तन का एक अन्य कारण है।  जलवायु पर पढ़ने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण मानवोभवी कारण वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता सांद्रण है। इससे भूमंडलीय उष्मन हो सकता है।

 

 

 

 ग्रीनहाउस प्रभाव

 

ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति के कारण वायुमंडल एक ग्रीनहाउस की भांति व्यवहार करता है। वायुमंडल प्रवेश सौर विकिरण का पोषण भी करता है किंतु पृथ्वी की सतह से ऊपर की और उत्सर्जित होने वाली अधिकतम् दीर्घ तरंगों को अवशोषित कर लेता है। वे गैस जो विकिरण को दीर्घ तरंगों का अवशोषण करती है, ग्रीन हाउस गैसें कहलाती है। वायुमंडल का तापन करने वाली प्रक्रियाओं को सामूहिक रूप से ग्रीनहाउस प्रभाव (Green house effect) कहा जाता है।

 

 

 

ग्रीनहाउस गैस (GHGs)

 

मुख्य ग्रीनहाउस गैसे

कार्बन डाईऑक्साइड (CO)

क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स (CFCs)
मीथेन (CH)
नाइट्रस ऑक्साइड (NO)
ओज़ोन (O)

कुछ अन्य गैसे जैसे नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) कार्बन मोनोक्साइड (CO)

 

 

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