अध्याय 3 : मुद्रा और साख | Currency and Credit

Spread the love

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम। मुद्रा के आधुनिक रूप करेंसी , बैंकों में निक्षेप। बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ।भारत में औपचारिक क्षेत्रक और अनौपचारिक क्षेत्रक में साख।

मुद्रा का इस्तेमाल हमारे रोजाना के जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। मुद्रा का इतिहास और विभिन्न समयों में मुद्रा के अलग-अलग रूप अपने अपने आप में एक रोचक कहानी पेश करते हैं। भारत की मौजूदा स्थिति में बैंकिग प्रणाली के कम्युटरीकरण से मुद्रा के नये रूपों का धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है

 

☆ मुद्रा :- मुद्रा एक माध्यम है जिसके जरिये हम किसी भी चीज को विनिमय द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में मुद्रा के बदले में हम जो चाहें खरीद सकते हैं। मुद्रा के तौर पर सबसे पहले सिक्कों का प्रचलन शुरु हुआ। शुरु में सिक्के सोने-चांदी जैसी महँगी धातु से बनाये जाते थे। जब महंगी धातु की कमी होने लगी तो साधारण धातुओं से सिक्के बनाये जाने लगे। बाद में सिक्कों के स्थान पर कागज के नोटों का इस्तेमाल होने लगा। आज भी कम मूल्य वाले सिक्के इस्तेमाल किये जाते हैं।

☆ भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इन नोटों को जारी किया जाता है।

 

○ रिर्जव बैंक के कार्य :-

•मुद्रा जारी करना ।
•बैंक व स्वयं सहायता सूमहों की

•कार्यप्रणाली पर नजर रखना ।
•ब्याज की दरों को निर्धारित करना ।
•मौद्रिक नीति की समीक्षा करना ।
•बैंको की कुछ राशि का नकद संचयन करना ।

 

 

○मुद्रा के आधुनिक रूप :-

•कागज के नोट
•सिक्के
•चेक
•यू.पी. आई
•क्रेडिट कार्ड
•डेबिट कार्ड
• डिजिटल
•मोबाईल एवं नेट बैंकिग

 

☆ मुद्रा का प्रयोग :
मुद्रा का प्रयोग एक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है ।
मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्राप्त करने में भी किया जा सकता है जैसे वकील से परामर्श लेने में या डॉक्टर की सलाह लेने में अदि ।

मुद्रा की सहायता से कोई भी अपनी चीजें बेच भी सकता है और हमसे एक दूसरी चीजें खरीद भी सकता है ।
इसी प्रकार में मुद्रा से सेवाओं का भी लेनदेन कर सकता है मुद्रा में भुगतान करने में बड़ी आसानी रहती है ।
लोग बैंकों में अतिरिक्त नकद अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते है । खातों में जमा धन की मांग जरिए निकाला जा सकता है जिसे मांग जमा कहाँ जाता है ।

चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतान करने का आदेश देता है ।

 

☆साख :- साख एक ऐसा समझौता है जिसके तहत ऋणदाता उधारकर्ता को धनराशि , वस्तु एवं सेवाएँ इस आश्वासन पर उधार देता है कि वह भविष्य में उसका भुगतान कर देगा ।

 

 

○साख संपत्ति के रूप में :-

• त्यौहारों के दौरान जूता निर्माता सलीम , को एक महीने के अंदर भारी मात्रा में जूता बनाने का आदेश मिलता है ।

• इस उत्पादन को पूरा करने के लिए वह अतिरिक्त मजदूरों को काम पर ले आता है और उसे कच्चा माल खरीदना पड़ता है ।

• वह आपूर्तिकता को तत्काल चमड़ा उपलब्ध कराने के लिए कहता है और उसके बाद में भुगतान करने का आश्वासन देता है ।

• उसके बाद वह व्यापारी से कुछ उधार लेता है । महीने के अंत तक वह ओदश पूरा कर पाता है , अच्छा लाभ कमाता है और उसने जो भी उधार लिया होता है , उसका भुगतान कर देता है ।

 

○ बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियाँ :-

•भारत में बैंक जमा का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखते है ।
•इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है ।
•बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते है ।
•ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है ।

 

○ ऋण की शर्ते :-
ब्याज की दर
समर्थक ऋणाधार
आवश्यक कागजात
भुगतान के तरीके
विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की शर्ते अलग – अलग है ।

 

○ भारत में औपचारिक क्षेत्रक में साख :- बैंक और सहकारी समितियों से लिए कर्ज औपचारिक क्षेत्रक ऋण कहलाते है ।

 

 

○अनौपचारिक क्षेत्रक में साख :-

• साहूकार , व्यापारी , मालिक , रिश्तेदार , दोस्त इत्यादि ऋण उपलब्ध कराते है ।

•ऋणदाताओं की गतिविधियों की देखरेख करने वाली कोई संस्था नहीं है ।

• ऋणदाता ऐच्छिक दरों पर ऋण देते है ।

• नाजायज तरीकों से अपना ऋण वापिस लेते है ।

 

○ मुद्रा और साख में अंतर

मुद्रा जिसका उपयोग साख पत्रों के आधार पर वे वस्तुएं एवं सेवाओं के विक्रय-क्रय में विनिमय के माध्यम का कार्य करते है अतः साख पात्र ठीक मुद्रा की तरह कार्य करते है किन्तु इसका प्रमुख अंतर् यह है की मुद्रा क़ानूनी ग्राह्र होते है जबकि साख पत्रों को क़ानूनी मान्यता प्राप्त नहीं होती है अतः साख पत्रों को लेन-देन के कार्य

1. मुद्रा साख का आधार है क्योंकि इसी को आधार बनाकर साख-पत्र जारी होता है।

2.यह सामाजिक आय के वितरण का भी आधार है।

3. मुद्रा द्वारा शोधन क्षमता की गारंटी प्रदान की जाती है।

4.मुद्रा निर्णय का वाहक है क्योंकि इसके द्वारा किसी भी सेवा या वस्तु का क्रय किया जा सकता है।

 

 

 

अध्याय 4 : वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *