अध्याय 4 : कार्यपालिका / Executive

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कार्यपालिका क्या है संसदीय शासन प्रणाली राष्ट्रपति नियुक्ति कार्य शक्तियां उपराष्ट्रपति नियुक्ति कार्य शक्तियां प्रधानमंत्री नियुक्ति कार्य शक्तियां मंत्री परिषद नियुक्ति कार्य शक्तियां नौकरशाही नियुक्ति कार्य शक्तियां स्थायी कार्यपालिका राजनीतिक कार्यपालिका अखिल भारतीय सेवा लोक सेवा आयोग

 

★ संविधान के अनुसार सरकार के तीन अंग हैं – विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका

● विधायिका :- ये हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं।

● कार्यपालिका :- जो कानूनों को लागू करने और शासन चलाने का काम देखते हैं।

● न्यापालिका :- न्यायालयों की व्यवस्था को न्यायपालिका कहा जाता है।

 

 

★ कार्यपालिक :सरकार के उस अंग से है जो कायदे कानूनों को संगठन में रोजाना लागू करते है ।

● सरकार का वह अंग जो नियमों कानूनों को लागू करता है और प्रशासन का काम करता है कार्यपालिका कहलाता है ।

● कार्यपालिका विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है ।

● कार्यपालिका में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री य मंत्री ही नहीं होते बल्कि इसके अंदर पूरा प्रशासनिक ढांचा (सिविल सेवा के सदस्य ) भी आते है ।

 

 

★ कार्यपालिका के कार्य :-

1.सरकार की नीतियों को लागु करना एवं विधायी निकायों द्वारा बनाये गए कानूनों को अमल में लाना |

2. कार्यपालिका कानून निर्माण प्रक्रिया में सरकार की सहायता करता है।

3. कार्यपालिका राज्यों के साथ संबंधों का संचालन करता है ।

4.विभिन प्रकार के संधियों एवं समझौतों का निष्पादन करता है

5.सभी देशों में राज्य का अध्यक्ष देश की सशस्त्र सेना का सर्वोच्य कमांडर होता है परंतु वह किसी युध्य में भाग नहीं लेता है ।

 

 

 ★ कार्यपालिका के प्रकार :-

1. संसदीय सरकार संसदीय प्रणाली वाले देशों में :-

कार्यपालिका का कार्य राजा या राष्ट्रपति के नाम से किया जाता है किन्तु उनकी शक्तियाँ केवल नाममात्र की होती है। वे औपचारिक रूप से कार्य करते हैं। वास्तविक कार्यपालिका मंत्री परिषद् होता है जो राजा या राष्ट्रपति के नाम पर शासन चलाते है।उदाहरण ब्रिटेन, भारत, कनाडा और जापान।

2. अध्यक्षीय सरकार अध्यक्षीय प्रणाली में :-

राष्ट्रपति ही वास्तविक शक्तियों का प्रयोग करता है। ऐसे देशों में जहाँ अध्यक्षीय प्रणाली कार्य कर रही है वहाँ सचिव या मंत्रीगण राष्ट्रपति के सलाहकार मात्र होते हैं। केवल राष्ट्रपति ही केन्द्रीय प्रशासन के उतरदायी होता है। जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका,ब्राजील, पेरू, कोस्टारिका आदि

3. अर्ध- अध्यक्षीय प्रणाली अर्ध-अध्यक्षीय :-

प्रणाली संसदीय और अध्यक्षीय दोनों प्रणालियों के संयोजन से बना है। रूस, फ्रांस और श्रीलंका में ये प्रणाली कार्य कर रही है। इसमें प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति के पास व्यापक शक्तियाँ होती है। | वह प्रधान मंत्री की नियुक्ति करता है जो संसद से लिया जाता है। दोनों के बीच शक्ति का संतुलन होता है।

 

 

 ★ संसदीय प्रणाली और अध्यक्षीय प्रणाली में अंतर :-

◆ संसदीय प्रणाली

1. प्रधान-मंत्री और उसके सहयोगी वास्तविक कार्यपालिका की रचना करते है ।

2. प्रधान मंत्री और उसके मंत्रीगण विधानमंडल के सदस्य होते हैं ।

3. मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं ।

4. निचला सदन (लोकसभा) को कभी भी राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है।

5. मंत्रिमंडल को किसी भी समय सदन के अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।

 

 

◆ अध्यक्षीय प्रणाली

1. राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है।

2. मंत्री विधानमंडल के सदस्य नहीं होते है ।

3. मंत्रिमंडल के सदस्य विधानमंडल के प्रति उतरदायी नहीं होते हैं

4. राष्ट्रपति किसी भी सदन को भंग नहीं कर सकता है।

5. विधानमंडल को मंत्रिमंडल में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने का कोई अधिकार नहीं हैं। 

 

 

★ राजनीतिक कार्यपालिका :- राजनीतिक कार्यपालिका में सरकार के प्रधान और उनके मंत्रियों को सम्मिलित किया जाता है ये सरकार की सभी नीतियों के लिए उत्तरदायी होते है राजनीतिक अधिकारी निर्वाचित होते है।

 

★ स्थायी कार्यपालिका :- स्थायी कार्यपालिका में जो लोग रोज-रोज के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते है, को सम्मिलित किया जाता है। ये सिविल सेवक है जैसे IAS, IPS आदि ।

 

 

★ संघ की कार्यपालिका :-

◆ संविधान के भाग में अनुच्छेद 52 से 78 तक संघ की कार्यपालिका से संबंधित उपबन्ध है।

1. राष्ट्रपति
2. उपराष्ट्रपति
3. प्रधानमंत्री
4. मंत्रिपरिषद
5. महान्यायवादी

 

 

 ★ राष्ट्रपति :- अनुच्छेद 52 :- संविधान के अनुच्छेद 52 में उपबन्ध है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा (There Shall be a President of India)

◆ संघ की कार्यपालिका शक्ति :-

● अनुच्छेद 53 (1) में उपबन्ध है कि संघ की कार्यपालिक शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।

 ● अनुच्छेद 53 (2) के अनुसार संघ के रक्षा बलों का सर्वोच्च समादेश राष्ट्रपति में निहित है। किंतु राष्ट्रपति अपनी सैन्य शक्ति का प्रयोग संसद द्वारा निश्चित कानून के अनुसार ही कर सकता है।

 

 

◆ राष्ट्रपति का निर्वाचन (Election of President ) :-

● अनुच्छेद 54 में यह उपबन्ध है की राष्ट्रपति का निर्वाचन  संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य , और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होंगें।

● 70वाँ संविधान संशोधन ,1992 द्वारा अनुच्छेद 54 और 55 में ‘ राज्य ‘ के अंतर्गत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र और पुडुचेरी संघराज्य क्षेत्र को भी माना गया है।

● राष्ट्रपति का निर्वाचक मंडल जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यों से युक्त होता है। इसलिए इसे अप्रत्यक्ष निर्वाचन कहा जाता हैं।

● अनुच्छेद 53 (3) में उपबन्ध है कि राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार ‘ एकल संक्रमणीय मत ‘ द्वारा होगा।

 

● विधानसभा सदस्य के मत का मूल्य निकालने का सूत्र :-

राज्य की जनसंख्या

__________________ ÷100
राज्य विधानसभा के निर्वाचित
सदस्यों की कुल संख्या

 

● प्रत्येक संसद सदस्य के मत का मूल्य सूत्र :-

समस्त राज्य विधानसभाओं के मतों का योग
_________________________________÷100
संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या

 

 

◆ संसद सदस्यों के मतों का मूल्य

● निर्वाचित संसद सदस्यों की कुल संख्या = 543 (लोकसभा)+233 (राज्यसभा)= 776

● सभी राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के मतों का कुल मूल्य = 5,49,495

● प्रत्येक निर्वाचित संसद सदस्य के मत का मूल्य =
549495
______ = 708
766

● 776 निर्वाचित संसद सदस्यों के मतों का कुल मूल्य
708×776 = 5,49,408

 

 

◆ राष्ट्रपति का कार्यकाल :-

● अनुच्छेद 56(1) में यह उपबन्ध है कि राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।

● अनुच्छेद 56 (2) में प्रावधान है की उपराष्ट्रपति को संबोधित त्यागपत्र की सूचना (उपराष्ट्रपति) द्वारा लोकसभा के अध्यक्ष को तुरंत दी जाएगी।

● राष्ट्रपति के रूप में किसी व्यक्ति का निर्वाचन कितनी बार किया जा सकता है इस बारे में कोई विधिक सीमा नही है।

 

 

◆ भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए योग्यताएँ :-

● भारत का नागरिक हो।

● 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।

● लोकसभा का सदस्य निर्वाचित के लिए योग्य हो।

● भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ का पद धारण न करता हो।

● यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्यपाल अपना संघ का या किसी राज्य का मंत्री है तो वह लाभ के पद की श्रेणी में नही आता हो।

 

 

 ◆ राष्ट्रपति द्वारा शपथ :-

● संविधान के अनुच्छेद 60 में राष्ट्रपति द्वारा शपथ का प्रावधान किया गया है।

● राष्ट्रपति पद ग्रहण भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ ग्रहण करेगा।

● वर्तमान में राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख मासिक एवं अन्य भते तथा पद त्याग के पश्चात एक लाख पचास हजार रुपए मासिक पेंशन है।

 

 

◆ राष्ट्रपति पद : महाभियोग व प्रक्रिया

● राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने के लिए उसके ऊपर महाभियोग चलाया जाता है, ऐसा तब किया जाता है जब राष्ट्रपति संविधान का कोई उलंघन करता है ।

● राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में चाहे वो लोकसभा हो या राज्यसभा हो पेश किया जा सकता है। इस प्रस्ताव को सदन में दो तिहाई से अधिक बहुमत की आवश्यकता होती है।

● यदि इस प्रस्ताव को सदन में दो तिहाई से अधिक बहुमत प्राप्त हो जाता है तो उसके विरुद्ध लगाये गए आरोप की दुसरे सदन के द्वारा जाँच की जाती है । यदि दुसरे सदन में उन आरोपों को दो तिहाई बहुमत से स्वीकार कर लिया। 

 

 

◆ भारत के राष्ट्रपति के विशेषाधिकार :-

1.राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां :

●भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को किसी अपराधी को सजा को क्षमा करने, उसका प्रविलंवन करने, परिहार और सजा लघुकरन करने का अधिकार प्राप्त है।

● राष्ट्रपति को मृत्युदंड माफ करने का भी अधिकार प्राप्त है।

 

2. राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां :-

● भारत के राष्ट्रपति के पास सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर होता है।

●राष्ट्रपति को युद्ध और शांति की घोषणा करने तथा सैन्य बलों को विस्तार करने हेतु आदेश देने की शक्ति प्राप्त है।

 

3. राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां:-

 ● अनुच्छेद 352 के अंतर्गत युद्ध बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि पूरे भारत या किसी एक भाग की सुरक्षा खतरे में है तो वह संपूर्ण भारत या किसी भाग में आपातकाल घोषणा कर सकता है।

● अनुच्छेद 356 के अंतर्गत यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य नहीं कर रही है तो राष्ट्रपति तत्काल की घोषणा वहां ऐसी घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है जिसे संसद द्वारा 2 माह के भीतर अनुमोदन करना आवश्यक होता है।

● अनुच्छेद 360 के अंतर्गत देश में आर्थिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति अपनी विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग कर वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है।

 

 

◆राष्ट्रपति की शक्तियां :-

1. कार्यपालिका शक्तियां :

● अनुच्छेद 53 (1) में उपबन्ध है कि संघ की कार्यपालिक शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी ।

● राष्ट्रपति अपनी कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।

● राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह से मंत्रियों के कार्यों का आवंटन करता है।

 

2. संवैधानिक पदों की नियुक्तियाँ :-

● प्रधानमंत्री की नियुक्ति

● प्रधानमंत्री की परामर्श पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति

● उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश

● राज्यपाल और उपराज्यपाल की नियुक्ति

● महान्यायवादी , नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक

● दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के मुख्यमंत्री की नियुक्ति।

● मुख्यमंत्री की परामर्श पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति।

● मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति।

● संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति।

 

 

3. विधायी शक्तियां :-

● संविधान के अनुच्छेद 79 में उपबन्ध है कि संघ के लिये एक संसद होगी।

● जो राष्ट्रपति और दो सदनों लोकसभा और राजसभा से मिलकर बनेगी।

● राष्ट्रपति की संसदऔर विधायी प्रक्रिया में सहभागिता।

● राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति।

 

 

◆ राष्ट्रपति की वीटो शक्ति :-

● सम्पूर्ण वीटो :- इस वीटो शक्ति के तहत राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी अनुमति नहीं देता है, अर्थात वह अपनी अनुमति को सुरक्षित रख सकता है।

● विशेषित वीटो :- जब संसद के असाधारण बहुमत से उसका अध्यारोहण किया जा सकता और उस बहुमत से विधेयक को , कार्यपालिका के वीटो को रौंदकर , अधिनियम बनाया जा सकता है।

● निलंबन वीटो :- इस वीटो शक्ति के अंतर्गत राष्ट्रपति किसी विधेयक को संसद के पास पुनर्विचार हेतु भेज सकता है।

● जेबी वीटो / पॉकेट वीटो :- इस वीटो शक्ति के तहत राष्ट्रपति किसी विधेयक को अनिश्चितकाल के लिए अपने पास सुरक्षित रख सकता है अर्थात इस वीटो शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति द्वारा किसी विधेयक पर न अनुमति देता है, न ही अनुमति देने से इनकार करता है और न ही पुनर्विचार हेतु संसद के पास भेजता है।

 

 

★ उपराष्ट्रपति (Vice -President) :-

● संविधान के अनुच्छेद 63 के अनुसार भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा। उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है।

● भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति से संबंधित प्रावधान संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से ग्रहण किया गया है।

 

◆ उपराष्ट्रपति का निर्वाचन Election of Vice President ) :-

● अनुच्छेद 66 (1) में उपबंधित है कि उपराष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मण्डल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित किया जाता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होता है।

● इस उपबंध के अंर्तगत लोकसभा और राजसभा के सभी सदस्य ( निर्वाचित और नाम निर्देशित ) सम्मिलित हैं।

 

◆ भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यताएँ :-

● भारत का नागरिक हो।

● 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।

● राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित होने में योग्य हो।

● संसद के किसी सदन या राज्य विधानमंडल में से किसी सदन का सदस्य न हो।

 

● शपथ :- अनुच्छेद 69 के अनुसार राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति को शपथ दिलाता है।

 

● कार्यकाल :- अनुच्छेद 67 के अनुसार उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण करने की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।

 

● वेतन :- उपराष्ट्रपति को राजसभा के रूप में 4 लाख रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है।

 

 

◆ उपराष्ट्रपति के कार्य व शक्तियां :-

● संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति राजसभा का पदेन सभापति होगा।

● उपराष्ट्रपति राज्यसभा द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करता है।

● अनुच्छेद 65 के अनुसार जब किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है ( उसकी मृत्यु , त्यागपत्र , महाभियोग ) तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।

 

 

 ★ प्रधानमंत्री ( prime Minister) :- प्रधानमंत्री एक राजनैतिक पद होता है, जिसके पदाधिकारी पर सरकार की कार्यकारिणी का संचालन करने का भार होता है।

● राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है।

● प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।

 

◆ प्रधानमंत्री की नियुक्ति :-

● अनुच्छेद 75 के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा।

● राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है।

 

◆ प्रधानमंत्री पद की योग्यता ( Qualification of the Prime Minister ) :-

● वह भारत का नागरिक हो।

● भारत की मतदाता सूची में नाम सम्मिलित हो

● प्रधानमंत्री के लिए व्यक्ति की आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए

● प्रधानमंत्री लोक सभा या राज्य सभा दोनों में किसी एक का सदस्य हो ।

●सदस्य न होने की स्थिति में उसे छ: महीने के अंदर दोनों सदनों में से किसी एक की सदस्यता लेनी अनिवार्य है, अन्यथा उसे अपने पद से त्याग पत्र देना होगा

 

◆ प्रधानमंत्री का कार्यकाल व पदावधि ( Term of office of Prime Minsiter) :-

● प्रधानमंत्री अपने पद ग्रहण करने की तिथि से लोकसभा के अगले चुनाव के बाद मंत्रिपरिषद के गठन तक प्रधानमंत्री पद पर बना रहता है।

● राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकता है।

● राष्ट्रपति के द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है।

● लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के कारण पद त्याग करता है।

● राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को शपथ दिलाता है।

 

 

◆ प्रधानमंत्री की शक्तियां व कार्य ( Power and Functions of Prime Minister ) :-

◆ मंत्रिपरिषद से संबंधित कार्य :-

● राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है।

● प्रधानमंत्री मंत्रियों में विभागों के आवंटन के लिए राष्ट्रपति को सलाह देता है।

● प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है।

 

 

◆ संसद से संबंधित शक्ति व कार्य :-

● प्रधानमंत्री संसद का नेता हैं।

● प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने की सिफारिश कर सकता है।

● प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को संसद का अधिवेशन बुलाने के लिए सलाह देता है।

 

◆ अन्य कार्य :-

● विदेश नीति का निर्धारण प्रधानमंत्री के द्वारा ही किया जा सकता है।

● प्रधानमंत्री नीति आयोग का अध्यक्ष होता है।

● प्रधानमंत्री सत्ताधारी दल का नेता होता है।

● वैज्ञानिक व औद्योगिक अनुसंधान परिषद का अध्यक्षता करता है।

● राष्ट्रीय विकास परिषद का अध्यक्ष होता है।

 

◆ मंत्रिपरिषद ( Council of Ministers ) :-

● अनुच्छेद 74 में कहा गया है कि राष्ट्रपति की सहायता और सलाह देने हेतु एक मंत्रिपरिषद होगी , जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा।

● राष्ट्रपति , मंत्रिपरिषद के परामर्श के अनुसार ही कार्य करेगा।

● मंत्रियों की नियुक्ति में राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।

● मंत्रिपरिषद , लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।

● राष्ट्रपति , मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेगा।

● मंत्रियों के वेतन एवं भते , संसद द्वारा निर्धारित किये जांयेंगे।

 

 

◆ मंत्रिपरिषद का गठन :-

● संविधान के अनुच्छेद 74 में मंत्रिपरिषद के गठन के बारे में उल्लेख किया गया है जबकि अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति, उनके कार्यकाल, ज़िम्मेदारी, शपथ, योग्यता और मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते से संबंधित है।

● मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियाँ होती हैं, अर्थात् कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। इन सभी मंत्रियों में शीर्ष स्थान पर प्रधानमंत्री होता है।

● कैबिनेट मंत्री:- ये केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे-गृह, रक्षा, वित्त, विदेश मामलों आदि के प्रमुख होते हैं। केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण मामलों में नीति निर्धारण निकाय है।

● राज्य मंत्री: इन्हें या तो मंत्रालयों/विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है या कैबिनेट मंत्रियों से संबद्ध किया जा सकता है।

● उप मंत्री: ये कैबिनेट मंत्रियों या राज्य मंत्रियों से संबंधित होते हैं तथा उनके प्रशासनिक, राजनीतिक और संसदीय कर्तव्यों में उनकी सहायता करते हैं।

● अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति की सहायता और उसे सलाह देने के लिये मंत्रिपरिषद होगी।

● अनुच्छेद 75 प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाएगी।

 

● मंत्रियों के उत्तरदायित्व:- अनुच्छेद 75 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। इसका तात्पर्य यह है कि सभी मंत्री अपने सभी भूल और कार्यों के लिये लोकसभा के प्रति संयुक्त रुप से ज़िम्मेदार हैं।

 

● राज्यों में मंत्रिपरिषद:

अनुच्छेद 163 केंद्र में मंत्रिपरिषद के समान राज्यों में मंत्रिपरिषद के गठन और कार्यों का प्रावधान करता है (अनुच्छेद 163: राज्यपाल की सहायता और उसे सलाह देने के लिये COM) और अनुच्छेद 164: मंत्रियों के रूप में अन्य प्रावधान)।

 

◆ कैबिनेट और मंत्रिपरिषद में अंतर :-

● मंत्रिपरिषद अपेक्षाकृत एक बड़ा निकाय है, जबकि कैबिनेट छोटा परंतु शक्तिशाली निकाय है।

● सभी मंत्रियों से मिलकर मंत्रिपरिषद बनती है, जबकि कैबिनेट में शीर्ष के 15-20 मंत्री होते हैं।

●कैबिनेट मंत्री, मंत्रिपरिषद का हिस्सा भी होते हैं। मंत्रिपरिषद तीन भागों में विभक्त है- कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री।

●भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 व 75 में मंत्रिपरिषद से सबंधित प्रावधान विस्तार में हैं, जबकि कैबिनेट का उल्लेख मात्र अनुच्छेद 352 में है, जिसे 44वें संविधान संशोधन के द्वारा जोड़ा गया था।

● नीति-निर्माण का कार्य प्रमुख रूप से कैबिनेट द्वारा किया जाता है न कि मंत्रिपरिषद द्वारा।

● कैबिनेट भारत में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च कार्यकारी है।
कैबिनेट नीतियों पर निर्णय लेती है और उनके क्रियान्वयन पर निगरानी रखती है। इसके विपरीत, मंत्रिपरिषद कैबिनेट के फैसलों को लागू करवाने में सहयोग देती है।

 

◆ मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल में अंतर

मंत्रिपरिषद मंत्रिमंडल
1. इसमें मंत्रियों की तीन श्रेणियां- कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री एवं उपमंत्री होती है। 1.इसमें केवल कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं. अतः यह मंत्रिपरिषद का एक भाग है।
2. यह सरकारी कार्यों हेतु एक साथ बैठक नहीं करती है। इसका कोई सामूहिक कार्य नहीं है। 2. यह एक निकाय की तरह है। यह सामान्यतः हफ्ते में एक बार बैठक करती है और सरकारी कार्यों के संबंध में निर्णय करती है। इसके कार्यकलाप सामूहिक होते हैं।
3. इसे सैद्धान्तिक रूप से सभी शक्तियां प्राप्त है। 3. यह वास्तविक रूप में मंत्रिपरिषद की शक्तियों का प्रयोग करती है और सरकारी उसके लिए कार्य करती है।
4. इसके कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल करती है। 4. यह राजनैतिक निर्णय लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देश देती है तथा ये निर्देश सभी मंत्रियों पर बाध्यकारी होते हैं।
5. यह मंत्रिमंडल के निर्णयों को लागू करती है। 5. यह मंत्रिपरिषद द्वारा अपने निर्णयों के अनुपालन की देखरेख करती है।
6. यह सामूहिक रूप से संसद के निचले सदन ‘लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। 6. यह संसद के निचले सदन लोकसभा’ के प्रति मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करती है।
7. यह एक बड़ा निकाय है। जिसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं। 7. यह एक लघु निकाय है जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं।
8 इसका विस्तृत विवरण संविधान के अनुच्छेद 74 तथा 75 में किया गया है। यह एक संवैधानिक निकाय है। 8. इसे संविधान के अनुच्छेद 352 में 1978 के 44वें संविधान संशोधन द्वारा शामिल किया इसके कार्यों एवं शक्तिका वर्णन संविधान में नहीं किया

 

 

◆ स्थायी कार्यपालिका ( नौकरशाही ):-

● कार्यपालिका में मुख्यतः राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , मंत्रिगण और नौकरशाही या प्रशासनिक , मशीनरी का एक विशाल संगठन, सम्मिलित होता है । इसे नागरिक सेवा भी कहते है

● नौकरशाही में सरकार के स्थाई कर्मचारी के रूप में कार्य करने वाले प्रशिक्षित और प्रवीण अधिकारी नीतियों को बनाने में तथा उन्हें लागू करने में मंत्रियों का सहयोग करते हैं

● भारत में एक दक्ष प्रशासनिक मशीनरी मौजूद है लेकिन यह मशीनरी राजनीतिक रूप से उत्तरदायी है इसका अर्थ है कि नौकरशाही राजनीतिक रूप से तटस्थ है।

● प्रजातंत्र में सरकारे आती जाती रहती है ऐसी स्थिति में, प्रशासनिक मशीनरी की यह जिम्मेदारी है कि वह नई सरकारों को अपनी नीतियां बनाने में और उन्हें लागू करने में मदद करें ।

 

◆ नौकरशाही के सदस्यों का चुनाव :-

● नौकरशाही में अखिल भारतीय सेवाएं, प्रांतीय सेवाएं, स्थानीय सरकार के कर्मचारी और लोक उपक्रमों के तकनीकी एवं प्रबंधकीय अधिकारी सम्मिलित है।

● भारत में सिविल सेवा के सदस्यों की भर्ती की प्रक्रिया का कार्य संघ लोक सेवा आयोग ( यू. पी. एस. सी.) को सौंपा गया है

 

◆ लोक सेवा आयोग :-

● ऐसा ही लोकसेवा आयोग राज्यों में भी बनाए गए है जिन्हें राज्य लोक सेवा आयोग कहा जाता है।

● लोक सेवा आयोग के सदस्यों का कार्यकाल निश्चित होता हैं उनको सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के द्वारा की गई जांच के आधार पर ही निलंबित या अपदस्थ किया जा सकता है ।

● लोक सेवकों की नियुक्ति दक्षता व योग्यता को आधार बनाकर की जाती हैं संविधान ने पिछड़े वर्गों के साथ 1 साथ समाज के सभी वर्गों को सरकारी नौकरशाही बनने का मौका दिया है इसके लिए संविधान दलित और आदिवासियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करता है

 

 

 

 

 

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