जब हम बोलते है की कोई सरकार लोकतान्त्रिक है या अलोकतांत्रिक तब हमारा अर्थ क्या होता है ? इस अध्याय में आप को लोकतान्त्रिक सरकार के कुछ महत्वपूर्ण लक्षणों को बताया गया है की लोकतान्त्रिक सरकार के मुख्य लक्षण क्या होते है और आप एक लोकतान्त्रिक सरकार को कैसे परिभाषित कर सकते हो।
भागीदारी – लोकतान्त्रिक सरकार का सबसे पहला लक्षण है भागीदारी लोकतंत्र में लोग निर्णय लेते है चुनाव में वोट देकर वे अपने प्रतिनिधि चुनते है इस प्रकार नियमित चुनाव होने से लोगो का सरकार पर नियंत्रण बना रहता है जैसे : भारत हर 5 वर्ष के बाद चुनाव होते है और एक सरकार चुनाव जीत कर सरकार बनती है वोट के माध्यम से जनता की भागीदरी सुनिश्चित होती है।
भागीदरी के अन्य तरीके – लोग सरकार के कार्य में रूचि लेकर और उसकी आलोचना कर के भी अपनी भागीदारी निभाते है। कई तरीके है जिस के माध्यम से लोग अपनी राय व्यक्त कर सकते है जैसे : धरना, जुलुस, हड़ताल , हस्तक्षेप अभियान , इत्यादि
आंदोलन के जरिये भी लोग अपनी बात सरकार तक पंहुचा सकते है और उन मुद्दों को सरकार के सम्मुख ला सकते है जिन पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है , भारत में अनेको बार आंदोलन के जरिये सरकार के सम्मुख मुद्दों को उठाया गया है जैसे : चिपको आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन
विवादों का समाधान
विवाद तब उभरते है जब विभिन सांस्कृतिक , धर्म , जगह , और आर्थिक पृष्ट्भूमि के लोग एक दूसरे के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते है। और कई बार भेदभाव की दशा में भी कुछ मुद्दे है जो विवाद का विषय बन जाते है जैसे : धार्मिक जुलुस और उत्सव विवाद का विषय , नदी (जल विवाद)
समानता एवं न्याय
लोकतान्त्रिक सरकार का सबसे महत्वपूर्ण विचार है समानता इसी लिए भारत के सविधान में समानता जैसे अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में वर्णित किया गया है और इस की सुरक्षा स्वयं सविधान करता है।
लोकतान्त्रिक सरकार एक न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करती है और समाज के हर तबके को न्याय प्राप्ति का पूरा अधिकार होता है। इस अलावा सरकार अस्पृश्ता यानि छुवाछुत की प्रथा पर रोक जैसे कानून का निर्माण करती है।
तथा सरकार विवादों का समाधान सांविधानिक कानून के आधार पर होता है।
अध्याय : 5 पंचायती राज