अध्याय 7 : लोकतंत्र के परिणाम | Consequences of Democracy

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लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन कैसे करें। लोकतंत्र के परिणाम। लोकतंत्र कितना उपयुक्तता है। लोकतंत्र में वोट का असर कितना पड़ता है।

लोकतंत्र में आर्थिक कल्याण , समानता , सामाजिक अंतर और टकराव आखिर में आजादी वास्तविक धरातल पर क्या परिणाम आते हैं। इसमें सकारात्मक परिणाम मिलेंगे साथ ही सवाल और शंकाएँ भी है।

 

○ लोकतंत्र के परिणामों का मूल्यांकन कैसे करें

• नागरिकों में समानता को बढ़ावा देता है।

• व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाता है।

• इससे फैसलों में बेहतरी आती है।

• टकरावों को टालने-सँभालने का तरीका देता है।

• इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है।

 

○ उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन :-

• लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिए उत्तरदायी होती है और नागरिकों की उम्मीदों और मांगों पर ध्यान देती है।

• हमें यह सोचने की भी जरूरत है कि क्या इस तरह के फैसले वास्तव में लोगों की समस्या दूर करते हैं।

• कई लोगों को ऐसा लगता है कि लोकतांत्रिक सरकार की तुलना में अलोकतांत्रिक सरकार अधिक कुशल होती है।

• लोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति के बिना कोई फैसला नहीं लिया जाता है। इसलिए अहम फैसले लेने में देर लगती है।

• लेकिन अलोकतांत्रिक सरकार में फैसले तेजी से लिये जाते हैं क्यों आम सहमति बनाने की कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन ऐसे फैसले अक्सर जनता को मंजूर नहीं होते हैं।

•लोकतांत्रिक सरकार अधिक पारदर्शी होती है। इसलिए लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिए उत्तरदायी होती है और जनता का ध्यान रख पाती है।

• लोकतांत्रिक सरकार वैध होती है क्योंकि इसे जनता द्वारा चुना जाता है। यही कारण है कि आज दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक सरकारें हैं।

 

○ आर्थिक संवृद्धि और विकास:-

•1950 से 2000 तक के पचास वर्षों के आँकड़ों से पता चलता है कि तानाशाही शासन व्यवस्था में आर्थिक समृद्धि बेहतर हुई है।

• लेकिन दुनिया की आर्थिक शक्तियों में अधिकतर देशों में लोकतांत्रिक सरकार है। इसलिए हम कह सकते हैं कि सरकार का प्रारूप किसी देश की आर्थिक समृद्धि को निर्धारित करने वाला एकलौता कारक नहीं है।

• इसमें कई अन्य कारक भी शामिल होते हैं, जैसे: जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग, आर्थिक प्राथमिकताएँ, आदि। यदि आर्थिक संवृद्धि के साथ अन्य सकारात्मक पहलुओं को देखा जाए तो हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र हमेशा ही तानाशाही से बेहतर होता है।

 

○ असमानता और गरीबी में कमी :-

आज पूरी दुनिया में आर्थिक असमानता बढ़ रही है। भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे है। गरीबों और अमीरों की आय के बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है। अधिकतर देशों में आर्थिक असमानता दूर करने में लोकतंत्र असफल रहा है।

 

○ सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य :-

दुनिया के लगभग हर देश में सामाजिक विविधता देखने को मिलती है। ऐसे में विभिन्न वर्गों के बीच टकराव होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र से ऐसे तरीकों का विकास होता है जिनसे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच टकराव को कम किया जा सकता है। लोकतंत्र से हमें विविधताओं का सम्मान करने और मतभेदों के समाधान निकालने की सीख मिलती है।

○ नागरिकों की गरिमा और आजादी

लोकतंत्र से नागरिकों को गरिमा और आजादी मिलती है। भारत के समाज के कई वर्गों को वर्षों तक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। लेकिन लोकतंत्र के कारण इन वर्गों के लोग आज सामाजिक व्यवस्था में ऊपर उठ पाये हैं और उन्हें उनका हक मिला है।

 ○ महिलाओं की समानता

दुनिया के अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में आज महिलाओं को समान अधिकार मिले हुए हैं। लेकिन तानाशाही देशों में आज महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त नहीं है। लोकतंत्र के कारण ही महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर पाईं।

○ जातिगत असमानता

भारत में जातिगत असमानता की जड़ें बहुत गहरी हैं। लेकिन लोकतंत्र ने काफी हद तक इसे कमजोर किया है। आज आपको हर पेशे में पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति के लोग मिल जायेंगे।

 

☆ सरकार के अन्य रूपों की अपेक्षा लोकतंत्र को अधिक पसंद क्यो है :-

लोकतंत्र के समर्थन में हम निम्नलिखित तर्क हो सकते हैं…

• लोकतंत्र की अवधारणा समानता पर आधारित होती है, जहाँ पर सब समान हैं। लोकतंत्र में धर्म, जाति, वर्ण, लिंग, भाषा आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। लोकतंत्र में सभी नागरिक समान होते हैं।

• लोकतंत्र में अभिव्यक्ति व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है और नागरिक को यदि सरकार की कोई बात पसंद नहीं है तो वह उसके प्रति अपना विरोध जता सकता है।

• लोकतंत्र में व्यक्ति को अपने मनपसंद सरकार को चुनने की स्वतंत्रता होती है ताकि वह अपने लिए वो सरकार को चुन सके जो उसके सर्वश्रेष्ठ हितों के लिए कार्य करे।

• लोकतंत्र में अधिनायकवाद नहीं होता अर्थात सत्ता किसी एक व्यक्ति या वंश पर केंद्रित नहीं होती, इसलिए हर नागरिक लोकतंत्र में अपनी भागीदारी महसूस करता है, इसलिए लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ है।

 

☆ लोकतंत्र के लिए जनता की भागीदारी जरूरी है :-

 

लोकतंत्रको मजबूत बनाने के लिए जनता की भागीदारी जरूरी है। हर व्यक्ति को लोकतांत्रिक संस्थाओं के निर्वाचन में मतदान की अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिए। ताकि शासन की बागडोर सही हाथों में पहुंचे जिससे देश प्रदेश का विकास हो सके। यह बात कलेक्टर आनंदकुमार शर्मा ने मतदाता दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कही

 

☆ कितना सफल है भारत का लोकतंत्र?

• अपने 71 वर्षों के सफर में भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की उपलब्धियाँ, देश का विकास, सामाजिक-आर्थिक दशा, लोगों की खुशहाली आदि पर गौर करने की ज़रूरत है। भारत का लोकतंत्र बहुलतावाद पर आधारित राष्ट्रीयता की कल्पना पर आधारित है।

• यहाँ की विविधता ही इसकी खूबसूरती है। सिर्फ दक्षिण एशिया को ही लें तो, भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच यह अंतर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में उनके विशिष्ट धार्मिक समुदायों का दबदबा है।

• लेकिन, धर्मनिरपेक्षता भारत का एक बेहद सशक्त पक्ष रहा है। सूचकांक में भारत का पड़ोसी देशों से बेहतर स्थिति में होने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।

• भारत को कुल 7.23 अंक मिले हैं। अलग-अलग पैमानों पर देखें तो चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद में 9.17, सरकार की कार्यशैली में 6.79, राजनीतिक भागीदारी में 7.22, राजनीतिक संस्कृति में 5.63 और

• नागरिक आजादी में 7.35 अंक भारत को दिये गए हैं।

 

☆ लोकतंत्र में वोट का महत्व

• देश को ईमानदार नागरिक की आवश्यकता है। देश के नेता को चुनने में आम जनता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सभी लोग अपने कर्त्तव्य को सही तरह से समझकर मतदान करते है, तो निश्चित तौर पर देश को एक अच्छी सरकार मिलती है।

• भारत देश में नागरिको को सर्वोच्च माना जाता है। जनता से महत्वपूर्ण भारत में कोई ताकत नहीं है। मतदान के अहमियत के विषय में सबको पता होना ज़रूरी है। गाँव हो या शहर सभी लोगो को मतदान देना चाहिए, वरना देश की प्रगति खतरे में पड़ सकती है।

 

 

सच्चे और लायक प्रतिनिधि का चुनाव

• देश की बागडोर, देश सही हाथों में जाए, यह फैसला जनता करती है। मतदान नागरिको का हक़ है, जिसके दम पर वह सरकार का निर्माण कर सकती है। नागरिको को अगर कोई भी प्रतिनिधि सठिक ना लगे तो वो उसके खिलाफ आवाज़ भी उठा सकते है।

 

मतदान के अहमियत को ना समझने की भूल

जो लोग मतदान के महत्व को समझते नहीं है, वह बहुत बड़ी गलती करते है। वह एक ऐसा उम्मीदवार चुनकर ले आते है, जो देश का सर्वनाश कर देते है। ऐसे प्रतिनिधि चुनाव जीतकर अपने पद का गलत फायदा उठाते है और वह भ्रष्ट होते है। भ्रष्ट नेताओ से देश का पहले भी काफी नुकसान हो गया है।

 

 

 

अध्याय 8 : लोकतंत्र की चुनौतियाँ

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