जीवन और स्वास्थ्य के लिए पानी आवश्यक है। न केवल यह हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत पानी के अधिकार को जीवन के अधिकार का हिस्सा माना गया है।
जनसुविधाएं :– प्रत्येक व्यक्ति को बिजली , सार्वजनिक परिवहन , विद्यालय , और कॉलेज की सुविधाएं मिलनी चाहिए।
भारतीय संविधान :- 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है।
सरकार की भूमिका :- सभी लोंगो को जनसुविधाएँ मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार के ऊपर आती है।
जनसुविधाओं का संबंध लोगों की मूलभूत सुविधाओं से होता हैं।
सरकार को जनसुविधाओं के लिए पैसा कहाँ से मिलता है ।
जनता से मिलने वाला कर सरकार की आमदनी का मुख्य जरिया होता है।
चेन्नई में पानी की आपूर्ति :- जनसुविधाएँ सभी को मुहैया होनी चाहिए लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
पानी की उपलब्धता के अलावा कुछ ही लोगों की ‘ सुरक्षित ‘ पेयजल तक पहुँच है।
यह स्थिति ‘ पर्याप्त और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने ‘ के लक्ष्य से बहुत दूर है।
निजी कंपनियाँ :- पानी की कमी ने मुनाफे के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। 13,000 से भी ज़्यादा टैंकर इस काम में लगें हुए हैं।
विकल्पों की तलाश :–
1. दुनिया भर में जलापूर्ति की जिम्मेदारी सरकार पर रही हैं।
2. दुनिया मे ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ सार्वभौमिक जलापूर्ति सब लोगों तक पहुँच चुकी हैं।
3. निजी कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई , लेकिन इससे पानी की कीमत में इज़ाफ़ा हुआ। बोलिविया में दंगे फैल गए ।
4. भारत में सरकारी जल विभागों की सफलता के कई उदाहरण रहे हैं।
5. चेन्नई में जल विभाग ने वर्षा जल संचय के लिए कई योजनाएँ शुरू की है ।
2011 के सरकारी आँकड़े :-
भारत के 87 प्रतिशत परिवारों के पास पेयजल की सुविधा उपलब्ध हैं।
घर के भीतर शौचालय 53 प्रतिशत परिवरों में ही उपलब्ध हैं।
44 प्रतिशत ग्रामीण घरों में बिजली पहुँच चुकी है।
कंपनी :- कंपनी एक तरह की व्यावसायिक संस्था होती है जिसकी स्थापना कुछ लोग या सरकार करती है।
निजी कंपनी :- जिन कंपनियों का संचालन और स्वामित्व निजी समूहों या व्यक्तियों के हाथ में होता है।
उदाहरण के लिए टाटा स्टील एक निजी कंपनी है।
इंडियन ऑयल सरकार द्वारा संचालित कंपनी है।
अध्याय 10 कानून और सामाजिक न्याय