अध्याय 1 – कैसे , कब और कहाँ

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 तारीख़ें क्यों महत्पूर्ण होती है :- अतीत में चीजें किस तरह की थीं और उनमें क्या बदलाव आए हैं। जैसे हम अतीत और वर्तमान की तुलना करते हैं , हम समय का ज़िक्र करने लगते हैं। हम ” पहले ” और ” बाद में ” की बात करने लगते हैं। – रॉबर्ट क्लाइव ने जेम्स रेनेल को हिंदुस्तान का नक़्शे तैयार करने का काम सौंपा था। भारत पर अंग्रेजों की विजय स्थापित करने की प्रक्रिया में नक़्शे तैयार था। भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल वॉरेन हेसिटंग्स के शासन से शुरू होते है और आखिरी वायसरॉय , लॉर्ड माउंटबैटन के साथ साथ खत्म होते हैं।

 

हम अवधियाँ कैसे तय करते हैं :- 1817 में स्कॉटलैंड के अर्थशास्त्री और राजनितिक दार्शनिक जेम्स मिल ने तीन विशाल खंडो में ए हिस्ट्री ऑफ़ ब्रिटिश इंडिया ( ब्रिटिश भारत का इतिहास ) नामक एक किताब लिखी। इस किताब में उन्होंने भारत के इतिहास को हिंदू , मुस्लिम , और ब्रिटिश , इन तीन काल खंडो में बाँटा था। इतिहास को हम अलग-अलग काल खंडो में बाँटने की कोशिश क्यों करते हैं इसकी भी एक वजह है। हम एक दौर की खासियतों , उसके केंद्रीय तत्वों को पकड़ने की कोशिश करते हैं। इसलिए ऐसे शब्द महत्वपूर्ण हो जाते हैं जिनके सहारे हम उस समय को बाँटते हैं। ये अवधि से दूसरी अवधि के बीच आए बदलावों का क्या महत्व होता है।

 

मिल :- मिल को लगता था की सारे एशियाई समाज सभ्यता के मामले में यूरोप से पीछे हैं। इतिहास की उनकी समझदारी ये थी की भारत में अंग्रेजों के आने से पहले यहाँ हिंदू और मुसलमान तानाशाहों का ही राज चलता था। यहाँ चारों ओर केवल धार्मिक बैर , जातिगत बंधनो और अंधविश्वासों का ही बोलबाला था। मिल की राय में ब्रिटिश शासन भारत को सभ्यता की राह पर ले जा सकता था। इस काम के लिए जरूरी था की भारत में यूरोपीय शिष्टाचार , कला , संस्थानों और कानूनों को लागू किया जाए। मिल ने तो यहाँ तक सुझाव दिया था की अंग्रेजों को भारत के सारे भूभाग पर कब्जा क्र लेना चाहिए ताकि भारतीय जनता को ज्ञान और सुखी जीवन प्रदान किया जा सके।

इतिहास की इस धारणा में अंग्रेजी शासन प्रगति और सभ्यता का प्रतीक था अंग्रेजों द्वारा सुझाए गए वर्गीकरण से अलग हटकर इतिहासकार भारतीय इतिहास को आमतौर पर ‘ प्राचीन ‘ ‘ मध्यकालीन ‘ तथा ‘ आधुनिक ‘ काल में बाँटकर देखते हैं। पश्चिम में आधुनिक काल को विज्ञान , तर्क , लोकतंत्र , मुक्ति और समानता जैसी आधुनिकता की ताकतों के विकास का युग माना जाता है। अंग्रेजों के शासन वाले युग को ‘ औपनिवेशिक ‘ युग कहते हैं.

 

औपनिवेशिक क्या होता है :- अंग्रेजों ने हमारे देश को जीता और स्थानीय नवाबों और राजाओं को दबाकर अपना शासन स्थापित किया।उन्होंने अर्थव्यवस्था व समाज पर नियंत्रण स्थापित किया ,अपने सारे खर्चों को निपटाने के लिए राजस्व वसूल किया। ब्रिटिश शासन के कारण यहाँ की मूल्यों-मान्यताओं और पसंद-नापसंद , रीती-रिवाज व तौर-तरीकों में बदलाव आए। जब एक देश पर दूसरे देश पर दूसरे देश के दबदबे से इस तरह के राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक और सासंकृतिक बदलाव आते हैं तो इस प्रक्रिया को औपनिवेशीकरण कहा जाता है ,

 

 इतिहास लिखने के लिए इतिहासकार कौन से स्त्रोतों का इस्तेमाल करते है।

प्रशासन अभिलेख तैयार करता है:- अंग्रेजी शासन द्वारा तैयार किए गए सरकारी रिकॉर्ड इतिहासकारों का एक महत्वपूर्ण साधन होते हैं। अंग्रेजों को यह भी लगता था कि तमाम अहम दस्तावेजों और पत्रों को सँभालकर रखना जरूरी है।महत्वपूर्ण दस्तावेजों को बचाकर रखने के लिए अभिलेखखागार और संग्रहालय जैसे संस्थान भी बनाए गए।अंग्रेजों का विश्वास था कि किसी देश को अच्छी तरह शासन चलाने के लिए उसको सही ढंग से जानना जरूरी होता है।

 

सर्वेक्षण का बढ़ता महत्व :- उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक पूरे देश का नक्शा तैयार करने के लिए बड़े-बड़े सर्वेक्षण किए जाने लगे। गांवों में राजस्व सर्वेक्षण किए गए। इन सर्वेक्षणों में धरती की सतह , मिट्टी की गुणवत्ता , वहाँ मिलने वाले पेड़ -पौधों और जीव-जंतुओं तथा स्थानीय इतिहासों व फैसलों के पता लगाया जाता था।

जनगणना के जरिए भारत के सभी प्रांतो में रहने वाले लोगों की संख्या , उनकी जाति , इलाके और व्यवसाय के बारे में जानकारीयाँ इकट्ठा की जाती थीं।इसके अलावा वानस्पतिक सर्वेक्षण , प्राणी वैज्ञानिक सर्वेक्षण , पुरातत्वीय सर्वेक्षण , मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण , वन सर्वेक्षण आदि कई दूसरे सर्वेक्षण भी किए जाते थे।

अधिकृत रिकॉर्ड्स से क्या पता चलता :- जैसे-जैसे छपाई की तकनीक फैली , अखबार छपने लगे , और विभिन्न मुद्दों पर जनता में बहस भी होने लगी। नेताओं और सुधारकों ने अपने विचारों को फैलाने के लिए लिखा , कवियों और उपन्यासकारों ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखा।

 

 

 

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