अध्याय 7: पौधें एवं जंतुओं का संरक्षण | Protection of Plants and Animals

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जैवमण्डल क्या है। वनस्पतिजात एवं प्राणिजात किसे कहते हैं। पौधें एवं जंतुओं का संरक्षण।  वन्यप्राणी अभ्यारण , राष्ट्रीय उद्यान एवं जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र जो वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण हेतु बनाए गए हैं।

❍ वन एवं वन्यप्राणियों का संरक्षण :- संरक्षण हेतु क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं।

 

● जैवमण्डल :- वन्य जीवन , पौधों और जंतु संसाधनों को संरक्षण के उद्देश्य हेतु आरक्षित क्षेते बनाए गए हैं।

• पचमढ़ी अभ्यारण्य जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र है।

• सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान आरक्षित क्षेत्र है।

• बोरी एवं पचमढ़ी वन्यजंतु अभ्यारण है।

❍ पेड़-पौधें एवं जीव-जंतु :- जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र

 

 

○ वनस्पतिजात :- किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने पेड़-पौधें को वनस्पतिजात कहते हैं।

○ प्राणीजात :- किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने जीव-जंतु को प्राणिजात कहते हैं।

 साल , सागौन , आम , जामुन , अर्जुन इत्यादि आरक्षित वनस्पतिजात क्षेत्र हैं।

चिंकारा , नील गाय , हिरण , तेंदुआ , भेड़िया इत्यादि आरक्षित प्राणिजात क्षेत्र है।

 

 

○ राष्ट्रीय उद्यान :- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और जैव विविधता के संरक्षण के लिए बनाए जाते हैं।

• यह वनस्पतिजात , प्राणिजात , दृश्यभूमि तथा ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण करते हैं।

• सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भारत का प्रथम आरक्षित वन है।

• सरकार ने बाघों के संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया ।

 

 

○ संकटापन्न जंतु :- वे जंतु जिनकी संख्या एक निर्धारित स्तर से कम होती जा रही है और विलुप्त की कगार पर है।

○ पारितंत्र :- किसी क्षेत्र के सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधें संयुक्त रूप से किसी पारितंत्र का निर्माण करते हैं।

 

 

○ प्रवास :- जलवायु में परिवर्तन के कारण पक्षी प्रत्येक वर्ष सुदूर क्षेत्रों से एक निश्चित समय पर उड़ कर आते हैं। यहाँ अंडे देने के लिए आते हैं। बहुत अधिक शीत के कारण वह स्थान उस समय जीवनयापन हेतु अनुकूल नही होता इसलिए सुदूर क्षेत्रों से तक लम्बी यात्रा करते है।

 

○ वनोन्मूलन का अर्थ :- वनों को समाप्त करने पर प्राप्त भूमि का अन्य कार्यों में उपयोग करना।

• कृषि के लिए भूमि प्राप्त करना।
• घरों एवं कारखानों का निर्माण।
• फर्नीचर बनाने तथा लकड़ी का ईंधन के रूप में उपयोग।

 

 

○ वनोन्मूलन के परिणाम :-

• पृथ्वी का ताप एवं प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है।

• वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़त है।

• भौम जल का स्तर का भी निम्नीकरण हो जाता है।

• वर्षा , बाढ़ एवं सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं बढ़ जाती है।

 

 

 ○ पुनवनरोपण :- काटे गए वृक्षों का रोपण करना है।

• हमें कम से कम उतने वृक्ष तो लगाने ही चाहिए जितने हम काटते हैं।

• यदि वनोन्मूलित क्षेत्र को अबाधित छोड़ दिया जाए तो यह स्वतः पुन स्थापित हो जाता हैं।

• वन संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य प्राकृतिक वनों का परिरक्षण और संरक्षण करना है।

• लोगों की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों को आरक्षित , सुरक्षित , रक्षित वर्गों में बाँटा गया है।

 

 

 

 

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