अध्याय : 3 आँकड़ों का संगठन

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अध्याय : 3 आँकड़ों का संगठन

★ इस अध्याय को पढ़ने के बाद आप इस योग होंगे कि:

● आगे के सांख्यिकीय विश्लेषण के लिए आँकड़ों का वर्गीकरण कर सके;
● बारंबारता वितरण सारणी तैयार कर सके;
● वर्गों के निर्माण की तकनीक जान सके;
● मात्रात्मक एवं गुणात्मक वर्गीकरण के बीच अंतर कर सके;
● मिलान-चिन्ह की विधि से परिचित हो सके;
● एकचर तथा द्विचर बारंबारता वितरण के बीच अंतर कर सके;
● पिछले अध्याय में आपने पढ़ा होगा कि आँकड़ों का संग्रहण कैसे करते हैं और अब इसमें हम उन आँकड़ों को कैसे वर्गीकृत करेंगे यह जानेंगे|

 

★ प्रस्तावना:
★ वर्गीकरण का तात्पर्य है कि एक वस्तुओं को समूह या वर्गों में किसी खास आधार पर वर्गीकृत या व्यवस्थित के अनुसार वर्गीकृत कर सकते हैं|
● जहाँ पर प्रत्येक विषय एक समूह या वर्ग बन जाता है|
◆ पदार्थ अथवा वस्तुओं का वर्गीकरण बहुमूल्य श्रम और समय को बचाता है इसे मनमाने तरीके से नहीं किया जाता है|
★अपरिष्कृत आँकड़े:-
●अपरिष्कृत आँकड़े वे आँकड़े है जिसे एक स्थान पर सुव्यवस्थित तरीके से संभालकर नहीं रखे हुए हैं| अत: ऐ बड़े ही विशाल होते हैं जिन्हें संभालना बहुत कठिन होता है|
● इन आँकड़ों से सार्थक निष्कर्ष निकालना बहुत ही कठिन कार्य है, क्योंकि इन पर सांख्यिकी विधियों का अच्छे से प्रयोग नहीं किया गया है| इस प्रकार के आँकड़ों को अच्छे तरीके से संगठित करना तथा प्रस्तुतीकरण करना आवश्यक हैंl
● ऐसा करने से हम व्यवस्थित रूप से सांख्यिकीय का विश्लेषण कर सके और आँकड़ों को संग्रह के पहले अगला चरण उसे संगठित कर वर्गीकृत कर सके|
● यदि अपरिष्कृत आँकड़ों का भंडार बहुत बड़ा हो और आप उससे कोई सूचना प्राप्त करना चाहे; तो आपको सूचना प्राप्त करने में बहुत कठिनाई होगी|
● संक्षेप में अवर्गीकृत विशाल आँकड़ों से कोई सूचना प्राप्त करना एक बेहद थका देने वाला उबाऊ काम हैंl
● वर्गीकरण के द्वारा अपरिष्कृत आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाया जाता हैंl
★ जब एक प्रकार की विशेषताओं वाले तथ्यों को एक ही वर्ग में रखा जाता है तो वे बिना किसी कठिनाई के ढूँढने, तुलना करने तथा निष्कर्ष निकालने योग्य हो जाते हैंl
● जनगणना के अपरिष्कृत आँकड़े बहुत विशाल एवं विखंडित होते हैंl
● जनगणना के आँकड़े जब लिंग, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, पेशे आदि के अनुसार वर्गीकृत किये जाते हैं, तब भारत की जनसंख्या की प्रकृति एवं संरचना आसानी से समझ आ जाती हैंl
● अपरिष्कृत आँकड़े चरों के प्रेक्षणों से बने होते हैंl
★ कालानुक्रमिक वर्गीकरण:- इसका अर्थ यह है कि समय के अनुसार तथ्यात्मक जानकारी की कार्रवाई का सटीक तरीका हैंl
● चर ‘जनसंख्या’एक काल श्रेणी है, क्योंकि इसमें विभिन्न वर्षो के मानो की एक श्रेणी चित्रित की गई हैंl

 

 

★आँकड़ों का वर्गीकरण
◆ अलग-अलग देशों में गेहूं की उपज 2013 में’
1. कनाडा 3594
2. चीन 5055
3. फ्रांस 7254
● बहुत बार आपलोगों का सामना ऐसी विशेषताओं से होता है, जिन्हें मात्रात्मक रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता हैंl
● इस प्रकार की विशेषताओं को ‘गुण’ कहते हैंl उदाहरण में:- साक्षरता, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग, वैवाहिक स्थिति, आदि|
● इन्हें हम माप नहीं सकते, इन गुणों को हम गुणात्मक विशेषता की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैंl
◆आँकड़ों को वर्गों में समूहित किया जाता है तो यह वर्गीकरण मात्रात्मक कहलाता हैंl
★चर: संतत और विविक्त
● चरों में अंतर ‘विशेष वर्गीकरण’ के आधार पर होता हैंl
◆ इन्हें सामान्यत: दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है:-

 

1.संतत
2.विविक्त

 ★संतत :- संतत चर का कोई भी संख्यात्मक मान हो सकता हैंl
●संतत चर के उदाहरण भार,समय तथा दूरी आदि हैंl
● संतत चर के विपरीत विविक्त चर केवल निश्चित मान हो सकते हैंl
● इसके मान केवल परिमित ‘उछाल’ से बदलते हैंl
★परिमित उछाल:- परिमित उछाल का तात्पर्य यह है कि यह उछाल एक मान से दूसरे मान के बीच होते हैं,इसके बीच में कोई मान नहीं आता हैंl
★बारंबारता वितरण:- बारंबारता वितरण का अर्थ यह है कि यह अपरिष्कृत आँकड़ों को एक मात्रात्मक चर में वर्गीकृत करने का एक सामान्य तरीका हैंl
● यह बतलाता है कि किसी चर के भिन्न मान विभिन्न वर्गों में,अपने अनुरूप वर्गों की बारंबारताओं के साथ कैसे वितरित किए जाते हैंl
●बारंबारता वितरण सरणी में प्रत्येक वर्ग, वर्ग सीमाओं द्वारा घिरा होता हैंl

 

★वर्ग में सीमाएँ दो छोरों पर होती है:-
1. इसमें न्यूनतम मान को निम्नवर्ग सीमा कहते हैंl
2. इसमें उच्चतम मान को उच्च वर्ग सीमा कहते हैंl
● वर्ग मध्यांतर या अंतराल या वर्ग विस्तार उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के बीच का अन्तर हैंl
★ वर्ग मध्य बिन्दु अथवा वर्ग चिन्ह किसी वर्ग का मध्य-मान है जो निम्नलिखित हैं:-

वर्ग मध्य बिन्दु या वर्ग चिन्ह=(उच्चवर्ग सीमा+ निम्न वर्ग सीमा)
● बारंबारता वक्र प्राप्त करने के लिए, हम वर्ग चिन्ह को X अक्ष पर और बारंबारता को वाई (Y) अक्ष पर आलेखित करते हैंl
★बारंबारता कैसे तैयार करे:-
◆ बारंबारता वितरण तैयार करते समय हमें निम्न पाँच प्रश्नों की व्याख्या पर ध्यान देने की आवश्यकता हैंl
1. वर्ग अंतराल समान आकार के हो या असमान आकार के?
2. हमें कितने वर्ग रखने चाहिए?
3. वर्ग सीमाओं का निर्धारण कैसे किया जाय?
4. प्रत्येक वर्ग का आकार क्या हो?
5. प्रत्येक वर्ग के लिए बारंबारता कैसे प्राप्त किया जाय?
★ वर्ग अंतराल, समान अंतराल के हो या असमान अंतराल के?
● असमान आकार के वर्ग अंतरालों का प्रयोग दो परिस्थितियों में किया जाता हैंl
1. जब हमारे पास आय तथा ऐसे ही चरों के आँकड़े हो, जहाँ परास काफी अधिक होता हैंl
2. यदि मानो की एक बहुत बड़ी संख्या परास के एक छोटे से भाग में केंद्रित होती है, तो समान वर्ग अंतराल से कई मानों की सूचना प्राप्त नहीं हो पाएगी|
● अन्य सभी स्थितियों में, आवृत्ति-वितरण में समान आकार के वर्ग अंतरालों का प्रयोग होता हैंl
★वर्गों की संख्या कितनी होनी चाहिए?
● वर्गों की संख्या सामान्यतः 6 तथा 15 के बीच होती हैंl
● अगर हमारे वर्ग अंतराल समान आकार के हो,तो वर्गों की संख्या,परास को वर्ग अंतराल से भाग देने पर प्राप्त की जा सकती हैंl

 

 

★ प्रत्येक वर्ग का आकार क्या होना चाहिए?
● इस प्रश्न का उत्तर पहले के उत्तर पर निर्भर करता हैंl
● पहले का निर्णय लिए बिना हम दूसरे पर निर्णय नहीं ले सकते|
● हम ऐसा वर्ग चुन सकते है जिसका परिमाण समान न हो, तब ऐसे मामले में वर्गों की चौड़ाई असमान होगी|
★ हमें वर्ग सीमाएँ कैसे निर्धारित करनी चाहिए?
● हमें ऐसे वर्ग सीमाओं का निर्धारित करनी चाहिए जिसका वर्ग सीमाएँ निश्चित तथा स्पष्ट रूप से हो|

 

 

★वर्ग अंतराल दो प्रकार के होते है:-
1. समावेशी वर्ग अंतराल:- समावेशी वर्ग अंतराल से यह तात्पर्य है कि वर्ग की निचली वर्ग सीमा को पूर्ववर्ती वर्ग की उपरीवर्ग सीमा में दोहराया नहीं जाता हैंl
2. अपवर्जि वर्ग अंतराल:- अपवर्जि वर्ग अंतराल से कहने का तात्पर्य यह है कि इस वर्ग में एक वर्ग की उपरी सीमा तथा उससे अगले वर्ग की निचली सीमा एकसमान होती हैंl
● इस वर्ग को अपवर्जि इसलिए कहते है क्योंकि एक वर्ग की उच्च सीमा के बराबर चर मूल्यों का मान उसी वर्ग में शामिल नहीं कर उसे अगले बार में शामिल किये जाते हैंl
● असतत चरों की स्थिति में, अपवर्जि तथा समावेशी, दोनों प्रकार के वर्ग अंतरालों का प्रयोग किया जा सकता हैंl
●अपवर्जि वर्ग अंतराल की स्थिति में, हमें यह अग्रिम रूप से निर्धारित करना होता है कि वर्ग सीमा के मान के बराबर किसी चर का मान होने पर क्या करना हैंl
★सतत चर:- सतत चर का मतलब यह है कि वह चर जिसका मान निश्चित नहीं होता और दो ऐसे चर जो, दो वास्तविक मानों के बीच के सभी वास्तविक मान ग्रहण कर सकता है, तो कहते है कि वह चर इन दो मानो के बीच सतत हैंl
●सतत चर मापने योग्य जैसे पानी की मात्रा या वजन का प्रतिनिधित्व करते हैंl
★ वर्ग अंतराल में समायोजन:
◆ समायोजन निम्नलिखित तरीके से किया गया है:-
●द्वितीय वर्ग की निम्न सीमा और प्रथम वर्ग की उच्च सीमा के बीच अंतर पता करेl
● प्राप्त किए गए अंतर (1) को 2 से विभाजित करें|
●सभी वर्गों की निम्न सीमाओं से (2) में प्राप्त किए गए मान को घटाइए|
●सभी वर्गों की उच्च सीमा में (2) में प्राप्त किए गए मान को जोड़िए|
★ वर्ग सीमाओं में समायोजन के बाद समानता वर्ग चिन्ह का मान निर्धारित करती है, जो निम्नलिखित है:-

 

 

समायोजित वर्ग चिन्ह=(समायोजित उच्च वर्ग सीमा+समायोजित निम्न वर्ग सीमा)
★हमें प्रत्येक वर्ग की बारंबारता कैसे प्राप्त करनी चाहिए:
● सरल भाषा में,एक प्रेक्षण की बारंबारता का अर्थ है कि अपरिष्कृत आँकड़ों में कितनी बार वह प्रेक्षण प्रकट होता हैंl
★मिलान चिन्ह अंकन द्वारा वर्ग बारंबारता को ज्ञात करना:
●मिलान चिन्ह(/) किसी वर्ग के प्रत्येक छात्र के सामने लगाया जाता है, जिसके प्राप्तांक उस वर्ग में शामिल हैंl
● एक वर्ग की बारंबारता उतनी ही होगी,जितनी उस वर्ग में मिलान चिन्ह की संख्या|
★सूचना की हानि:
● बारंबारता वितरण के रूप में आँकड़ों के वर्गीकरण
में एक अंतनिर्हित दोष पाया जाता हैंl
● यह अपरिष्कृत आँकड़ों का सारांश प्रस्तुत कर उन्हें संक्षिप्त एंव बोधगम्य बनाता हैंl
●लेकिन इसमें वे विस्तृत विवरण नहीं प्रकट हो पाते जो अपरिष्कृत आँकड़ों में पाए जाते हैंl
◆ अपरिष्कृत आँकड़ों को वर्गीकृत करने में सूचना की क्षति होती हैंl
● आँकड़ों को वर्गीकरण द्वारा संक्षिप्त करने पर पर्याप्त जानकारी मिल जाती हैंl
★ बारंबारता सारणी:
● विविक्त चर के लिए, आँकड़ों का वर्गीकरण बारंबारता सारणी के नाम से जाना जाता हैंl चूँकि एक विविक्त चर मानों को धारण करता है न कि दो|

 

★द्विचर बारंबारता वितरण:
● एक द्विचर बारंबारता वितरण को दो चरों के बारंबारता वितरण के रूप मे परिभाषित किया जा सकता हैंl
● आँकड़े अपरिष्कृत या अवर्गीकृत होते हैंl
● जब हम किसी जनसंख्या में से एक प्रतिदर्श लेते है, तो हम प्रतिदर्श के हर अवयव से एक से अधिक प्रकार की सूचना संगृहीत करते हैंl

 

 

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