प्राचीनतम ग्रंथ वेद :- वेद का शब्दिक अर्थ – ज्ञान वेदो का संकलन कृष्ण द्वैपायन (वेदव्यास) ने किया
वेद चार है – ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद , अथर्वेद
ऋग्वेद :- यह सबसे पुराना वेद है, ऋग्वेद की रचना 3500 साल पहले हुई। ऋग्वेद में एक हज़ार से ज़्यादा प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें , सूक्त कहा गया है। इसमें 10 मण्डल , 1028 सूक्त , 10600 मंत्र है।
ऋग्वेद की भाषा प्राकृ संस्कृत या वैदिक संस्कृत है। इसमें तीन देवता महत्वपूर्ण है – अग्नि , इन्द्र और सोम (पौधा) भूर्ज वृक्ष :- 150 वर्ष पहले ऋग्वेद भूर्ज वृक्ष की छाल पर लिखा गया यह पाण्डुलिपि पुणे , महाराष्ट्र के एक पुस्कालय में सुरक्षित है।
प्रार्थनाएँ :- ऋग्वेद में मवेशियों ( खासकर पुत्रों ) और घोड़ों की प्राप्ति , रथ खींचने , लड़ाईयाँ के लिए अनेक प्रार्थनाएँ हैं । ऋग्वेद में अनेक नदियों का जिक्र है जैसे : व्यास , सतलुज , सरस्वती , सिंधु , तथा गंगा , यमुना का बस एक बार जिक्र मिलता है। लोगों का वर्गीकरण :- काम , भाषा , परिवार या समुदाय , निवास स्थान या सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर किया जाता रहा है।
लोगो के लिए शब्द : लोगो का वर्गीकरण काम, भाषा , परिवार या समुदाय निवास स्थान या संस्कृति परंपरा के आधार पर किया जाता रहा है
काम के आधार पर : ऐसे दो समहू थे समाज में
पुरोहित : जिन्हे कभी कभी ब्राह्मण कहा जाता था यह यघ व अनुष्ठान कार्य करते थे
राजा : यह आधुनिक समय जैसे नहीं थे ये न महल में रहते थे न राजधानिया में न ही सेना रखते न कर वसूलते और उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा अपने आप शासक नहीं बनता था।
जनता व पुरे समाज के लिए : जन इसका प्रयोग आज भी होता है। दूसरा शब्द था विश जिसका वैश्य शब्द निकला है।
जिन लोगो ने प्रार्थनाओ की रचना की वे खुद को आर्य कहते थे व विरोधियो को दास या दस्यु कहते थे
समाज मुख्य रूप से 4 वर्गों में बना हुआ था ब्राह्मण यज्ञ और अनुष्ठान वैश्य – व्यापारी श्रत्रिय – सेना शूद्र – दास
महापाषाण :- 3000 साल पहले शुरू हुई। ये शिलाखण्ड महापाषाण ( महा : बड़ा , पाषाण : पत्थर ) ये पत्थर दफ़न करने की जगह पर लोगों द्वारा बड़े करीने से लगाए गए थे यह प्रथा दक्कन , दक्षिण भारत , उत्तर -पूर्वी भारत और कश्मीर में प्रचलित थी। मृतकों के साथ लोहे के औज़ार , हथियार , पत्थर , सोने के गहने , घोड़े के कंकाल। महापाषाण कल 3000 साल पहले लोहे क प्रयोग आरम्भ हो गया।
इनामगाँव :- 3600 -2700 साल पहले भीमा की सहायक नदी घोड़ के किनारे एक जगह है . यहाँ वयस्क लोगों को प्राय: गड्डे में सीधा लिटा कर दफ़नाया जाता था। उनका सिर उत्तर की और होता था कई बार उन्हें घर के अंदर ही दफ़नाया जाता था। खाना खाने और पानी पीने का बर्तन शव के पास रख दिए जाते थे। इनामगाँव में पुरात्तवविदों को गेंहूँ , चावल , दाल , बाजरा , मटर और तिल के बीज मिले हैं। जानवरों की हड्डियाँ मिली गाय , बैल , भैंस , बकरी , भेड़ , कुत्ता , घोड़ा। हिरण सूअर , चिड़ियाँ , कछुआ , केकड़ा और मछली की हड्डियाँ भी पाई गई हैं।
अध्याय 5 : राज्य राजा और एक प्राचीन गणराज्य