अध्याय 8 : विनिर्माण उद्योग

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Spread the loveउद्योगों के प्रकार   स्वामित्व के आधार पर उद्योग (i) सार्वजनिक सेक्टर : सार्वजनिक सेक्टर उद्योग सरकार द्वारा नियंत्रित कंपनियाँ या निगम हैं जो सरकार द्वारा निधि प्रदत्त होते हैं। सार्वजनिक सेक्टर में सामान्यतः सामरिक और राष्ट्रीय महत्व Read More …

अध्याय 12 : भौगोलिक परिपेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

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Spread the loveपर्यावरण प्रदूषण :- पर्यावरण प्रदूषण मानव गतिविधियों के अपशिष्ट उत्पादों से पदार्थों और ऊर्जा की रिहाई है । यह विभिन्न प्रकार का होता है । इस प्रकार , उन्हें मध्यम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जिसके Read More …

अध्याय 5 : भू संसाधन तथा कृषि

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Spread the loveभू – उपयोग वर्गीकरण :-   भूराजस्व विभाग भू – उपयोग संबंधी अभिलेख रखता है । भू – उपयोग संवर्गों का योग कुल प्रतिवेदन ( रिपोर्टिंग ) क्षेत्र के बराबर होता है जो कि भौगोलिक क्षेत्र से भिन्न Read More …

अध्याय 1 : जनसंख्या वितरण ,घनत्व ,वृद्धि और संघटन

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Spread the love जनसंख्या वितरण :-   जनसंख्या के वितरण का अर्थ है कि किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या कैसे वितरित की जाती है । भारत में , जनसंख्या वितरण का स्थानिक पैटर्न बहुत आसमान है । चूंकि कुछ क्षेत्र बहुत Read More …

अध्याय : 2 भारतीय अर्थव्यवस्था 1950-1990 / Indian Economy 1950-1990

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Spread the love  पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्य कृषि सेवा औद्योगिक क्षेत्र आधुनिकीकरण आत्मनिर्भर समानता कृषि भू-सुधार हरित क्रांति उधोग और व्यापार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र   भारतीय अर्थव्यवस्था 1950-1990   परिचय :- इस अध्याय में हम यह जानेंगे कि भारतीय Read More …

अध्याय 15 : पृथ्वी पर जीवन

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Spread the love पर्यावरण के तीन मुख्य परिमंडल स्थलमंडल, जलमंडल वायुमंडल       जैवमंडल : ● पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवधारी, जो मिलकर जैवमंडल (Biosphere) बनाते हैं ये पर्यावरण – के दूसरे मंडलों के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं। Read More …

अध्याय 10 : वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

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Spread the loveवायुमंडलीय दाब   ● माध्य समुद्रतल से वायुमंडल की अंतिम सीमा तक एक इकाई क्षेत्रफल के वायु स्तंभ के भार को वायुमंडलीय दाब कहते हैं। ● वायुदाब को मापने की इकाई मिलीबार है। ● समुद्र तल पर औसत Read More …

अध्याय 7 : भू-आकृतियां तथा उनका विकास

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Spread the loveभू – आकृतियाँ :-   पृथ्वी के धरातल के निर्माण में अपरदन के कारकों का बहुत बड़ा योगदान होता है । अपरदन के इन कारकों में नदियाँ पवनें, हिमानी तथा लहरें आदि आते हैं । ये भूतल की Read More …

अध्याय 1: स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था / Indian Economy on the Eve of Independence

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Spread the love  स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था औपनिवेक शासन के अंतर्गत निम्न स्तरीय आर्थिक विकास कृषि क्षेत्राक औद्योगिक क्षेत्राक विदेशी व्यापार ब्रिटिश उपनिवेश काल से पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था ” सोने की चिड़िया’ के रूप में जानी जाती थी Read More …

अध्याय 1 : भूगोल एक विषय के रूप में

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Spread the loveभूगोल क्या है?   अत्यंत सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि भूगोल पृथ्वी का वर्णन है।   इरेटोस्थनीज 276 ईसापूर्व से 195-194 ईसा पूर्व को भूगोल का पिता कहा जाता है । इरेटोस्थनीज यूनान के Read More …