लोग कहाँ रहते थे :- नर्मदा (मध्य प्रदेश ) कई लाख वर्ष पहले से लोग यहाँ रह रहे थे , वह कुशल संग्राहक थे , भोजन जड़ , फलो , जंगलो के उत्पादों पर निर्भर ,जानवरो का शिकार करते थे
उत्तर-पश्चिम सुलेमान व् किरथर पहाड़ियाँ (पाक- अफगनिस्तान सीमा ) :-इस स्थान पर आठ वर्ष पूर्व स्त्री -पुरषों ने सबसे पहले गेंहूँ और जौ फसलों को अपनाया आरंभ किया तथा भेड़ , बकरी , गाय , बैल को पालतू बनाया और गाँवो में रहते थे लोग
उत्तर-पूर्व में गारो तथा मध्य भारत में विंध्य पहाड़ियाँ :- गारो -असम विंध्य पहाड़ियाँ – मध्य प्रदेश यहाँ पर कृषि का विकाश हुआ , सर्वप्रथम चावल विंध्य के उत्तर में उपजाया गया था
सिंध व सहायक नदी :- 4700 वर्ष पूर्व आंरभिक नगर फल , फुले , गंगा व तटवर्ती इलाके में 2500 वर्ष पूर्व नगरों का विकास
गंगा व सोन नदी – गंगा के दक्षिण में प्रचीन काल में ‘ मगध की स्थापना ‘
देश का नाम :– ‘इण्डिया ‘ शब्द इंडस से निकला है जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है ईरान और यूनान वासियों ने सिंधु को हिंडोस अथवा इंडोस कहा और इस नदी के पूर्व के भूमि प्रदेश को इण्डिया कहा
भारत नाम का प्रयोग उत्तर-पश्चिम में रहने वाले लोगो के एक समूह के लिए किया जाता जाता था इसका वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है
अतीत के बारे में कैसे जानें :- पाण्डुलिपि – ये पुस्तकें हाथ से लिखी होती थी (ताड के पत्तो व भुर्ज पेड़ का छाल से निर्मित ) यह भोजपत्र पर लिखी जाती थी
अंग्रेजी में इसके लिए ‘ मैन्यूसिक्रप्ट ” शब्द लैटिन शब्द ” मेनू ” जिसका अर्थ हाथ है – इन पाण्डुलिपि में , धार्मिक मान्यता , व्यवहार , राजाओ के जीवन , औषधियो तथा विज्ञान आदि सभी प्रकार के विषय की चर्चा मिलती है
यह संकृत प्राकृत व तमिल भाषा में लिखे है – प्राकृत आम लोगो की भाषा थी
अभिलेख :– अतीत के बारे में जानने का एक ओर महत्वपूर्ण स्रोत अभिलेख है यह कठोर सतह पर उत्क्रीर्ण किए जाते है
पुरातत्वविद :- वे व्यक्ति जो अतीत में बनी वस्तुओं का अध्याय करते है जैसे – पत्थर व ईट से बनी इमारते , अवशेष , चित्र , मुर्तिया इत्यादि
इतिहासकार :- जो लोग अतीत का अध्ययन करते है तिथियों का अर्थ
BC – बिफ़ोर क्राश्स्त – ई.पू – ईसा के जन्म से पहले
AD – एनो डॉमिनी – ई. – ईसा मसीह के जन्म के बाद
कृषि का आरंभ – 8000 वर्ष पूर्व
सिंधु सभ्यता के प्रथम नगर – 4700 वर्ष पूर्व
गंगा घाटी के नगर (मगध)- 2500 वर्ष पूर्व
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