❍ एक कदम स्वच्छता की ओर भारत के प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ किया ।
❍ हमारे दैनिक क्रियाकलापों से कचरा उत्पन्न होता है।
❍ भराव :- वह स्थान है , जहाँ शहर अथवा नगर के कचरे को एकत्र करके पाटा जाता है।
❍ कम्पोस्टिंग :- रसोई घर के अपशिष्ट सहित पौधों एवं जंतु अपशिष्टों को खाद में परिवर्तित करना कम्पोस्टिंग कहलाता है।
❍ वर्मीकम्पोस्टिंग :- रसोइ घर के कचरे को कृमी अथवा लाल केंचुओं द्वारा कंपोस्ट में परिवर्तित करना वर्मीकम्पोस्टिंग कहलाता हैं।
❍ अपशिष्ट :- अपशिष्ट पदार्थ नियमित रूप से इकट्ठा होने वाले उस कचरे को कहा जाता है, जो रोज कारखानों, ऑफिस, घरों, एवं अन्य इमारतों की साफ-सफाई के बाद एकत्रित होता है, तथा जिसे हम कचरापात्र या सड़क और नदियों में ऐसे ही फेंक देते है|
❍ पुनर्चक्रण :- कचरे को कुछ नए रूप के सामग्री में बदलना। ग्लास, पेपर, प्लास्टिक, और धातु जैसे एल्यूमीनियम और स्टील सभी का आम तौर पर पुनर्नवीनीकरण या पुनर्चक्रण किये जा सकते हैं।
❍ रीसाइक्लिंग पृथ्वी को बचाता है – एक उत्पाद का पुनर्नवीनीकरण पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है।
❍ पुनर्चक्रण ऊर्जा बचाता है – सामग्री से एक नया उत्पाद बनाने की अपेक्षा उसी उत्पाद को रीसाइक्लिंग करने से कम ऊर्जा खर्च होती है।
❍ पुनर्चक्रण कागज प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, ऊर्जा की बचत होती है, कम कर देता है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन , और रहता है लैंडफिल अंतरिक्ष कचरा के अन्य प्रकार है कि पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता के लिए मुफ्त
❍ लगभग अगले 20 वर्षों तक भराव क्षेत्र पर कोई भवन निर्माण नही किया जाता।
❍ कचरे के उपयोगी अवयव के निपटान के लिए भराव क्षेत्रों का पास कम्पोस्ट बनाने वाले क्षेत्र विकसित किए जाते हैं।
❍ कुछ शहरों तथा नगरों में नगरपालिकाएँ दो प्रकार के कचरे को एकत्र करने के लिए दो पृथक कुड़ेदान प्रदान करती है।
❍ नीलेकुड़ेदान :- पुनः उपयोग किए जा सकने वाले पदार्थ डाले जाते हैं जैसे प्लास्टिक धातुएँ तथा काँच ।
❍ हरेकुड़ेदान :- रसोई तथा अन्य पादप तथा जंतु अपशिष्टों को एकत्र करने के लिए होते हैं।