अध्याय 3 : तंतु से वस्त्र

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 तंतु :- एक प्रकार से रेशे होते है जिससे तागे या धागे बनाये जाते हैं।

 

प्राकृतिक तंतु :- जो तंतु पादपों या जंतुओं से प्राप्त होते है उन्हें प्राकृतिक तंतु कहते है।

पादपों से प्राप्त तंतु :- कपास , रुई , जुट , पटसन आदि ।

जंतुओं से प्राप्त तंतु : ऊन तथा रेशम आदि।

ऊन भेड़ , बकरी , याक , खरगोश प्राप्त होता है।

 

रेशमी तन्तु रेशम-कीट कोकून से खींचा जाता है।

संश्लिष्ट तंतु :- रासायनिक पदार्थों द्वारा बनाये गए तंतु को संश्लिष्ट तंतु कहते है।

जैसे :- पुलिएस्टर , नायलॉन , और एक्रिलिक संश्लिष्ट तंतुओं के उदाहरण है।

पादप तंतु :- जो तंतु पादपों से प्राप्त होता है।

 

 

रुई :- रुई एक प्राकृतिक तंतु जो पौधों से प्राप्त होता है।

कपास की फसल :– काली मृदा तथा जलवायु उष्ण में होती है।

 

कपास पादप के फल ( कपास गोलक ) के पूर्ण परिपक्व होने के बाद कपास बॉलों से कपास हस्त चयन द्वारा प्राप्त किया जाता है।

कपास ओटना :- कपास से बीजों को कंकतन द्वारा पृथक किया जाता है इस प्रक्रिया को कपास ओटना कहते हैं।

 

आजकल कपास ओटने के लिए मशीनों का उपयोग भी किया जाता है। 

पटसन तंतु को पटसन पादप के तने से प्राप्त किया जाता है।

भारत में इसकी खेती वर्षा-ऋतू में की जाती है। 

भारत में पटसन को प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल , बिहार तथा असम में उगाया जाता है। 

फसल कटाई के पश्चात पादपों के तने को कुछ दिनों तक जल में डुबाकर रखते हैं। 

 

पृथक :- पटसन-तंतुओं से हाथों द्वारा पृथक कर दिया जाता है। 

 

कताई :- रेशों से तागा बनाने की प्रक्रिया को कताई कहते है। इस प्रक्रिया में , रुई के एक पुंज से रेशों को खींचकर ऐंठते हैं जिससे रेशे पास-पास आ जाते है और तागा बन जाता है। 

 

तकली :- कताई के लिए एक सरल युक्ति ‘ हस्त तकुआ ‘ का उपयोग किया जाता है तकली कहते है। 

 

चरखा :- हाथ से प्रचलित कताई में उपयोग होने वाली एक अन्य युक्ति चरखा है।

तागो की कताई का कार्य कताई मशीनों की सहायता से किया जाता है। 

 

तागो से वस्त्र बनाने की विधियाँ :– बुनाई तथा बंधाई 

बुनाई :- तागो के दो सेंटो को आपस में व्यवस्थित करके वस्त्र बनाने की प्रक्रिया को बुनाई कहते है। 

वस्त्रों की बुनाई करघों पर की जाती है।  करघे या तो हस्तप्रचालित होते है अथवा विधुतप्रचालित। 

 

बुनाई तथा बंधाई का उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के निर्माण में किया जाता है। ये वस्त्रों का उपयोग पहनने की विविध वस्तुओं को बनाने में होता है। 

 

 

 

अध्याय 4 : वस्तुओं के समूह बनाना

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