अध्याय 5 : उधोग

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उद्योग :- उद्योग का संबंध आर्थिक गतिविधि से है जो की वस्तुओं के उत्पादन , खनिजों के निष्कर्षण अथवा सेवाओं की व्यवस्था से संबंधित है। इस प्रकार लोहा और इस्पात उद्योग वस्तुओं के उत्पादन से संबंधित है , कोयला खनन उद्योग कोयले को धरती से निकालने से संबंधित है तथा पर्यटन सेवा देने से संबंधित उद्योग है।

द्वितीयक क्रियाकलाप :- विनिर्माण में कच्चे माल को लोगो के लिए अधिक मूल्य के उत्पादों के रूप में परवर्तित किया जाता है , जैसा की आपने देखा लुगदी कागज़ के रूप में और कागज़ अभ्यास पुस्तिका रूप में।

 

उद्योग का वर्गीकरण :- उद्योगों का वर्गीकरण कच्चा माल , आकर , और स्वामित्व के आधार पर किया जाता है।

कच्चा माल आधारित  :- कच्चे माल के उपयोग के आधार पर उद्योग कृषि आधरित , खनिज आधरित , समुद्र आधारित और वन आधारित हो सकते है।

कृषि आधारित उद्योग :- कच्चे माल के रूप में वनस्पति और जंतु आधारित उत्पादों का उपयोग करते है खाद्य संसाधन , वनस्पति तेल , सूती वस्त्र , डेयरी उत्पाद और चर्म उद्योग कृषि आधरित उद्योगों के उदाहरण हैं।

खनिज आधरित उद्योग :- प्राथमिक उद्योग हैं जो खनिज अयस्कों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते है। इन उद्योगों के उत्पाद अन्य उद्योगों का पोषण करते हैं। अयस्क से निर्मित लोहा खनिज आधारित उद्योग का उत्पादन है। यह कई अन्यों उत्पादों के विनिर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करते है। जैसे – भारी मशीनों , भवन निर्माण , सामग्री तथा रेल के डिब्बे बनाने में।

 

आकार के आधार पर उद्योग :- आकार से तात्पर्य निवेश पूँजी , लोगों की संख्या , उत्पादन की मात्रा

लघु उधोग :- कुटीर या घरेलू उधोग छोटे आकार के उधोग है इसमें कम पूँजी , कम उत्पादन , उत्पादन हाथ द्वारा , कम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल।  रेशम बुनाई व खाद्य प्रक्रमण उधोग लघु के उधोग हैं।

बृहत आकार उधोग :- ज्यादा पूँजी , बड़े पैमाने पे उत्पादन , उच्च स्तर प्रौद्योगिकी किया जाता है। ऑटोमोबाइल और भारी मशीनों का उत्पादन बड़े पैमाने के उधोग इसके उदाहरण हैं।

 

स्वामित्व के आधार पर उधोग 

निजी क्षेत्र के उधोग :- इनका स्वामित्व और संचालन या तो एक व्यक्ति द्वारा या व्यकितयों के समूह द्वारा किया जाता हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र :- इनका स्वामित्व और संचालन सरकार द्वारा होता है।

जैसे – हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड , स्टील ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ।

संयुक्त क्षेत्र :- इनका स्वामित्व और संचालन राज्यों और व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता हैं। जैसे – मारुति उधोग लिमिटेड ।

सहकारी क्षेत्र के उधोग :- इनका स्वामित्व और संचालन कच्चे माल के उत्पादकों या पूर्तिकरो कामगारों अथवा दोनों द्वारा होता हैं।
 

जैसे – आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड , सुधा डेयरी।

 

उधोगो की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक :-

संचार , परिवहन , भूमि , विधुत , श्रम , पूँजी , बाजार , कच्चा माल , जल

 

औधोगिक प्रदेश :- औधोगिक प्रदेश का विकास तब होता है। जब कई तरह के उधोग एक-दूसरे के निकट होते है। और वे अपनी निकटता के लाभ आपस में बाँटते हैं। प्रमुख औद्योगिक प्रदेश – पूर्वोत्तर अमेरिका , मध्य यूरोप , पूर्वी एशिया।
अधिकांश उधोग – शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों , समुद्री पतनो विशेषत कोयला क्षेत्र के निकट हैं।

 

भारत मे औद्योगिक प्रदेश :-

मुंबई पुणे समूह , बंगलौर , तमिलनाडु प्रदेश , हुगली प्रदेश , अहमदाबाद वड़ोदरा प्रदेश , छोटानागपुर

प्रमुख प्रदेश :- विशाखपट्नम – गुंटूर औद्योगिक प्रदेश , गुडगाँव , दिल्ली , मेरठ , कोल्लम – तिरुवनंतपुरम

सनराइज उधोग :- उभरते उधोग को कहते हैं। उदहारण -प्रौद्योगिकी , स्वास्थ्य लाभ , सरकार , ज्ञान

प्रमुख उधोग :- विश्व के प्रमुख उधोग लोह-इस्पात उधोग , सूती वस्त्र उधोग और सूचना प्रौद्योगिकी उधोग हैं।
लोहा इस्पात उधोग :- जर्मनी , संयुक्त राज्य अमेरिका , चीन , जापान , रूस ।

वस्त्र उधोग :- भारत , हांगकांग , दक्षिण कोरिया , जापान , ताइवान।

सूचना प्रौद्योगिकी :- मध्यवर्ती कैलिफोर्निया के सिलिकॉन घाटी , भारत के बेंगलुरु प्रदेश ।

 

प्रगलन :- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धातुओं को उसमें अयस्कों द्वारा गलनांक से अधिक तपाकर निष्कर्षण किया जाता हैं।

 

लोहा-इस्पात उधोग :- यह एक पोषक है। इसका उत्पाद अन्य उधोग के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होता है।
इसमें अधिक निवेश , श्रम , पूँजी , स्थान , अवसंचरना अधिक लगती है।

टन कोयला + 4 टन अयस्क + 1 टन चूना पत्थर = 1 टन इस्पात

इस्पात को कठोर करने के लिए इसमें ऐलुमिनीय , निकल , ताँबा की थोड़ी-थोड़ी मात्रा डाली जाती है। यह उधोग मेरुदंड कहलाता है।

भारत मे इस्पात उधोग :-
भिलाई – छत्तीसगढ़
दुर्गापुर – पश्चिम बंगाल
जमशेदपुर – झारखंड
राउरकेला – ओडिशा
विजयनगर – कर्नाटक
विशाखापट्नम – आंध्र प्रदेश
सलेम – तमिलनाडु

 

जमशेदपुर :- 1947 से पूर्व केवल एक कारखाना टिस्को था ( इस्पात ) इसके बाद सरकार ने इसे अपने हाथ मे ले लिया और लोहा- इस्पात संयंत्र स्थापित किया। 1907 में टिस्को की शुरुआत की गई थी बाद में साकची का नाम बदल कर जमेशदपुर रखा गया यह सर्वाधिक सुविधाजनक स्थान पर हैं।

 

पिट्सबर्ग :- संयुक्त राज्य अमेरिका का महत्वपूर्ण इस्पात नगर है।
कच्चा कोयला पिट्सबर्ग में ही है।
लौह अयस्क मिनेसोटा की लोहे की खानों से 1500 km दूर मिनेसोटा में है। बाजार तक माल जल , रेल के माध्यम से जाता है।

टेक्सटाइल :- लैटिन शब्द टोकिसिरे से व्युत्पन्न किया गया है जिसका अर्थ बुनना होता हैं।

 

सूती वस्त्र उद्योग :- धागे से कपड़े की बनाई एक प्रचीन कला है। कपास , ऊन , सिल्क , जुट और पटसन का प्रयोग वस्त्र-निर्माण में होता है। उपयोग में लाए गए कच्चे माल के आधार पर वस्त्र उद्योग का वर्गीकरण किया जा सकता है। रेशे वस्त्र उद्योग के कच्चे माल हैं। रेशे प्राकृतिक या मानवनिर्मित हो सकते हैं। प्राकृतिक रेशे ऊन , सिल्क , कपास , जुट से प्राप्त किए जाते हैं। मानव निर्मित रेशों में नाइलॉन , पॉलिएस्टर , एक्रिलिक और रेयॉन शामिल हैं।

 सूती वस्त्र उद्योग विश्व के प्राचीनतम उद्योगों में से एक है। 18 वीं सदी में औद्योगिक क्रांति हुई । भारत मे कालीकट , मसूलीपट्टनम , सूरत में सूती वस्त्र उत्पादन के केंद्र है।
पहला वस्त्र मिल मुंबई 1854 ई. में स्थापित किया गया । कानपुर , अहमदाबाद , मुंबई , कोलकाता , लुधियाना , पानीपत महत्वपूर्ण केंद्र है ।

 

अहमदाबाद :- 1859 में यहाँ पहली सूती मिल स्थपित हुई थी । यह यथा शीघ्र ही मुंबई के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र-निर्माता नगर बन गया ।अहमदाबाद को प्रायः ‘ भारत वक मानचेस्टर ‘ कहा जाता है।

 

ओसका :- जापान का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह ‘ जापान का मानचेस्टर ‘ के नाम से भी जाना जाता है। ओसका में सूती वस्त्र उद्योग का विकास कई भौगोलिक कारणों से हुआ है। हाल ही में सूती उद्योग का स्थान अन्य उद्योग जैसे – लौह -इस्पात , जहाजरानी , ऑटोमोबाइल , विधुत उपकरण ब, और सीमेंट लेते जा रहे हैं।

 

सूचना प्रौद्योगिकी :- उद्योग सूचना के संग्रहण , प्रक्रम और वितरण को व्यवहार में लाते हैं। वर्तमान में यह उद्योग भू-मण्डलीय हो गया है। प्रौद्योगिकी , राजनीतिक , सामाजिक -आर्थिक परिवर्तन के कारण ऐसा हुआ है। मुख्य कारक जो इस उद्योग की अवस्थिति को निर्धारित करते हैं वह संसधान उपलब्धता , लागत और अवसंरचना ( बुनियादी ढांचा) हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के मुख्य नाभिक्षेत्र कैलिफोर्निया की सिलिकॉन घाटी और भारत के बेंगलुरु में है। भारत के महानगरीय केंद्रों में अन्य उभरते सूचना प्रौद्योगिकी नाभिक्षेत्र हैं , जैसे मुंबई ब, नई दिल्ली ब, हैदराबाद , चेन्नई , गुड़गाँव , पुणे , कोच्चि , चंडीगढ़ आदि है।

 

 

अध्याय : 6 मानव संसधान

 

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