❍ वायु दाब :-पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब , वायु दाब कहलाता है। हमारे आस-पास की वायु दाब डालती है।
❍ पवन :- उच्च दाब क्षेत्र से निम्न दाब क्षेत्र की ओर वायु की गति को ‘ पवन ‘ कहते हैं। पवन सदैव अधिक वायु दाब वाले क्षेत्र से कम वायु दाब वाले क्षेत्र की ओर गति करती है। गतिशील वायु पवन कहलाती है।
○ पवन का वेग बढ़ने से वायु दाब वास्तव में कम हो जाता है। गर्म किए जाने पर वायु का प्रसार होता है। गर्म वायु , ठंडी वायु की अपेक्षा हल्की होती है।
❍ पवन धाराएँ :- पृथ्वी के वायुमंडल में पवन धाराएँ उत्पन्न होती है। पृथ्वी के आसमान रूप से गर्म होने के कारण उत्पन्न होती है।
भूमध्यरेखीय और ध्रुवीय क्षेत्रों का आसमान रूप से गर्म होना। थल और जल का आसमान रूप से गर्म होना। गर्म मानसून हवाएँ अपने साथ जलवाष्प लाती हैं , जिससे वर्षा होती है।
○ ग्रीष्मकाल :- दक्षिणी-पश्चिमी दिशा से मानसून निर्मित होता है।
○ शीतकाल :– उत्तर-पश्चिम के अपेक्षाकृत ठंडे स्थानों से आती है।
❍ तड़ित झंझावात :- झंझा के साथ तड़ित (बिजली) भी गिरे , तो उसे तड़ित झंझावात कहते है। कम वायुमंडलीय दवाब के क्षेत्र के चारों ओर गर्म हवा की तेज आंधी चलती वही चक्रवात कहलता है।
○ दक्षिणी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को चक्रवात के नाम से जानते हैं और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलती हैं।
○उत्तरी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को हरीकेन या टाइफून कहा जाता है। ये घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमती हैं।
❍ टॉरनेडो :- टॉरनेडो गहरे रंग के कीपाकर बादल होते है। इनकी कीप जैसी संरचना आकाश से पृथ्वी तल की ओर आती हुई प्रतीत होती हैं। उपग्रहों तथा राडार जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी की सहायता से चक्रवातों को मॉनिटर करना आसान हो गया है।