अध्याय 9 : जंतुओं में जनन | Reproduction in Animals

Spread the love

 जंतुओं में जनन। जनन की विधियाँ लैंगिक जनन और अलैंगिक जनन ।

 ❍ जंतुओं में जनन :- जंतुओं में भी नर एवं मादा में विभिन्न जनन भाग अथवा अंग होते हैं।

❍ जनन की विधियाँ :- जंतुओं में भी जनन की दो विधियाँ होती हैं। यह हैं 

 

 

❍ लैंगिक जनन :- इस प्रकार का जनन जिसमें नर तथा मादा युग्मक का संलयन होता है , लैंगिक जनन कहलाता है।

○ नर जनन अंग :- नर जनन अंगों में एक जोड़ा वृषण , दो शुक्राणु नलिका तथा शिशन (लिंग) होते हैं।

• वृषण नर युग्मक उत्पन्न करते हैं जिन्हें शुक्राणु कहते हैं।

○ मादा जनन अंग :- मादा जननांगों में एक जोड़ी अंडाशय (डिंब वाहिनी) तथा गर्भाशय होता है।

• अंडाशय मादा युग्मक उत्पन्न करते हैं जिसे अंडाणु (डिंब) कहते हैं।

 • गर्भाशय वह भाग है जहाँ शिशु का विकास होता है।

 

○ निषेचन :- जनन प्रक्रम का पहला चरण शुक्राणु और अंडाणु का संलयन निषेचन कहलाता है।

○ युग्मनज :- निषेचन के परिणाम स्वरूप युग्मनज का निर्माण होता है।

○ निषेचन के प्रक्रम में स्त्री (माँ) के अंडाणु और नर (पिता) के शुक्राणु का संयोजन होता है।

○ नयी संतति में कुछ लक्षण अपनी माता से तथा लक्षण अपने पिता से वंशानुगत होते हैं।

 

○ आंतरिक निषेचन :- वह निषेचन जो मादा के शरीर के अंदर होता है।

मनुष्य , गाय , कुत्ते तथा मुर्गी इत्यादि में अनेक जंतुओं में आंतरिक निषेचन होता है

○ बाह्य निषेचन :- जिसमें नर एवं मादा युग्मक का संलयन मादा के शरीर के बाहर होता हैं।

यह मछली , स्टारफिश जैसी जलीय प्राणियों में होता है।

 

○ भ्रूण का परिवर्धन :- निषेचन के परिणामस्वरूप युग्मनज बनता है जो विकसित होकर भ्रूण में परिवर्धित होता है।

• गर्भाशय में भ्रूण का निरन्तर विकास होता रहता है।

• जब गर्भ का विकास पूरा हो जाता है तो माँ नवजात शिशु को जन्म देती है।

• आंतरिक निषेचन में युग्मनज लगातार अंडवाहिनी के नीचे बढ़ने लगता है जिससे अंडे पर कठोर परत चढ़ जाती है।

• कठोर कवच के पूर्ण रूप से बन जाने के बाद मुर्गी अंडे का निर्मोचन करती है।

• मुर्गी के अंडे को चूजा बनने में लगभग 3 सप्ताह का समय लगता है।

• चूजे को पूर्ण रूप से विकसित होने के बाद कवच के प्रस्फुटन के बाद चूजा बाहर आता है।

○ वह जंतु जो सीधे ही शिशु को जन्म देते हैं जरायुज जंतु कहलाते हैं।

○ वे जंतु जो अंडे देते हैं अंडप्रजक जंतु कहलाते हैं।

 

○ शिशु से वयस्क :- नवजात जन्मे प्राणी अथवा अंडे के प्रस्फुटन से निकले प्राणी , तब तक वृद्धि करते रहते हैं जब तक कि वे वयस्क नही हो जाते ।

रेशम किट के जीवन चक्र :- अंडा –> लारवा अथवा झिल्ली –> प्यूपा –> वयस्क

मेंढक के अंडे :- अंडा –> टैडपोल ( लारवा ) –> वयस्क

 

❍ अलैंगिक जनन :- जिसमें केवल एक ही जनन नए जीव को जन्म देता है अलैंगिक जनन कहते हैं।

मुकुलन :- हाइड्रा में मुकुल से नया जीव विकसित होता है ।

○ दिखंडन :– जिसमें जीव विभाजित होकर दो संतति उत्पन्न करता है।
जैसे – अमीबा

पुष्पीय पौधों में पुष्प ही जनन अंग हैं।

 

 

 

 

अध्याय 10 किशोरावस्था की ओर | To Adolescence

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *