अध्याय 3 : समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व /Hegemony in Contemporary World

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 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व वर्चस्व क्या है? ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म इनफाइनाइट रीच एन्ड्यूरिंग फ्रीडम  9/11 के परिणाम इराकी फ्रीडम  विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी सेना MBA की डिग्री समुद्री मार्गों पर नियंत्रण इंटरनेट की निर्भरता नीली जीन्स अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में अवरोध बैंड वेगन नीति अमेरिका और भारत संबंध

 

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

 

 

★ समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व क्या है?

★ वर्चस्व :- अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शक्ति के एक ही केंद्र का होना वर्चस्व कहलाता है।

◆ वर्चस्व ( हेजेमनी ) शब्द का अर्थ है सभी क्षेत्रों जैसे सैन्य, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मात्र शक्ति केन्द्र
होना ।

◆ अमरीकी वर्चस्व की शुरुआत :-

अमरीकी वर्चस्व की शुरुआत 1991 में हुई जब एक ताकत के रूप में सोवियत संघ अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य से गायब हो गया । इस स्थिति में अमरीकी
वर्चस्व सार्वव्यापी मान्य हो गया । अन्यथा अमरीकी वर्चस्व 1945 से ही अंतर्राष्ट्रीय पटल पर विद्यमान था।

 ◆ एकध्रुवीय व्यवस्था :- एकध्रुवीय व्यवस्था को पूरे विश्व में उच्चतम आर्थिक , सैन्य , सांकृतिक , सैन्य और राजनीतिक प्रभाव वाले प्रभुत्वकारी है राज्य के संदर्भ में परिभाषित किया गया है।

 

◆ एक ध्रुवीय विश्व :- सोवियत संघ के विघटन के बाद के दौर को एक ध्रुवीय विश्व कहा जाता है।

◆ नोट :- यह शक्ति के संतुलन के सिद्धांत के खिलाफ जाता है क्योंकि यह व्यवस्था को संतुलित करने के लिए कोई अन्य शक्ति नही होगी।
 

 

★ नई विश्व व्यवस्था :-

● सन 1990 के अगस्त में इराक ने कुवैत पर हमला किय हमला किया हमला किया और तेजी से उस पर कब्जा जमा लिया। इराक को समझाने बुझाने की तमाम कोशिशें जब नाकाम रही तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए सैनिक कार्रवाई को आदेश दे दिया।

● शीतयद्ध के दौरान ज्यादातर मामलों में चुप्पी साध लेने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के लिहाज से यह एक नाटकीय फैसला था। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इसे नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी।

◆ ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म :- प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान इराक के विरुद्ध अमेरिका के नेतृत्व में की गई इस सैनिक कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म का नाम दिया गया।

● कंप्यूटर युद्ध :- प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिका ने बड़े विज्ञापनी अंदाज में स्मार्ट बमों का प्रयोग किया जिस कारण कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे कंप्यूटर युद्ध की संज्ञा दी।

◆ नोट :-

● प्रथम खाड़ी युद्ध को वीडियो गेम वार कहा जाता है क्योंकि इस युद्ध को टेलीविजन पर व्यापक कवरेज मिली थी।

● प्रथम खाड़ी युद्ध में जापान, जर्मनी और सऊदी अरब ने अमेरिका की आर्थिक मदद की थी।

 

 

◆ प्रथम खाड़ी युद्ध :-

● प्रथम खाड़ी युद्ध अगस्त 1990 में

● इराक़ और कुवैत के बीच 34 देशों की 6,60,000 सेना

● इसमें 75% अमेरिकी सेना

● प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिकी जनरल ‘नॉर्मन स्वार्जकांव’ ने अमेरिकी सैन्य अभियान की अगुवाई की थी।

● प्रथम खाड़ी युद्ध में “सद्दाम हुसैन (इराक का राष्ट्रपति 1990)” ने ऐलान किया था कि यह युद्ध ‘सौ जगों की एक जंग’ साबित होगी।

 

 

★क्लिंटन का दौर :-

● अमेरिका की पार्टी (1992 का राष्ट्रपति चुनाव) :-

1. रिपब्लिक पार्टी (जॉर्ज बुश)

2. डेमोक्रेटिक पार्टी (बिल क्लिंटन)

● अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हर 4 वर्ष के अंतराल में होता है।

● वर्तमान में अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति Joe Biden है।

● प्रथम खाड़ी युद्ध जीतने के बावजूद सन् 1992 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में जॉर्ज बुश पराजित हो गए तथा डेमोक्रेटिक पार्टी के विलियम जेफर्सन (बिल) क्लिंटन नए राष्ट्रपति बने।

● विदेशी नीति की जगह घरेलू नीति को अपने चुनाव प्रचार का निशाना बनाने वाले क्लिंटन ने 1996 में पुनः राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता।

● क्लिंटन सरकार ने विदेश नीति के मामले में सैन्य-शक्ति तथा सुरक्षा जैसी ‘कठोर राजनीति’ के स्थान पर लोकतन्त्र के बढ़ावे, जलवायु परिवर्तन एवं विश्व व्यापार जैसे ‘नरम मुद्दों’ को प्रमुखता दी।

● सन् 1999 में युगोस्लाविया ने अपने प्रान्त कोसोवो में अल्बानियाई लोगों के आन्दोलन को कुचलने के लिए सैन्य कार्यवाही की। इसके जबाव में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में नाटो ने 2 महीने तक युगोस्लावियाई क्षेत्रों पर बमबारी की; जिस कारण युगोस्लाविया की सरकार गिर गयी और वहाँ नाटों की सेना ने नियन्त्रण स्थापित कर लिया।

 

 

★ आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध :-

● ऑपरेशन एन्डयूरिंग फ्रीडम’ :-

● 11 सितम्बर, 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकवादी हमला हुआ जिसमें लगभग तीन हजार व्यक्ति मारे गए।

● इसे समकालीन इतिहास की धारा को मोड़ देने वाली घटना के रूप में देखा जाता है। जिसकी तुलना 1814 और 1941 की घटनाओं से की गई।

● 1814 में वाशिंगटन डीसी में ब्रिटेन ने आगजनी की थी तथा 1941 में पर्ल हार्बर पर जापान ने हमला किया था।

● 11 सितम्बर, 2001 को अपने देश में घटित आतंकवाद की घटना के विरुद्ध संयुक्त राज्य अमेरिका ने आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध छेड़ दिया जिसे ‘ऑपरेशन एन्डयूरिंग फ्रीडम’ नाम दिया गया और इसका निशाना अल-कायदा व अफगानिस्तान के तालिबान शासन को बनाया गया।

 

 

 ★ 9/11 (अमेरिका में महीने को तारीख से पहले लिखने का चलन है) :-

● 11 सितंबर 2001 अल कायदा (ओसामा बिन लादेन) 19 अपहरणकर्ता अमेरिका के 4 व्यावसायिक विमानों पर कब्जा कर लिया।

1.पहला विमान :- न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकराया

2.दूसरा विमान :- न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दक्षिणी टावर से टकराए

3.तीसरा विमान :- वर्जिनया केअर्लिंगटन स्थित पेंटागन से टकराया।

4.चौथा विमान :- अमेरिकी कांग्रेस के मुख्य इमारत के अंदर आना था लेकिन वह पेंसिलवेनिया के खेत में जा गिरा।

 

 

● अमेरिका के रक्षा विभाग का मुख्यालय पेंटागन में स्थित है।

● जापान ने 1941 में अमेरिका के पर्ल-हार्वर पर हमला किया था।

● अमेरिका ने 2003 में इराक पर हमला किया था।

● 1950 में संपूर्ण विश्व में इंटरनेट की शुरुआत हुई थी।

● विश्व की अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी 28% है।

● विश्व के कुल व्यापार में अमेरिका की हिस्सेदारी 15% है।

● अमेरिका के ढांचेगत ताकत का एक मानक उदाहरण MBA है।

‘● यूनिवर्सिटी आफ पेंसिलवेनिया में व्हार्टन स्कूल’ के नाम से विश्व का पहला बिजनेस स्कूल खुला। इसकी स्थापना सन 1881 में हुई।

● 1950 में अमेरिका के बाहर MBA के पाठ्यक्रम की शुरुआत हुई।

● अमेरिका के संसद का नाम कांग्रेस है।

● अमेरिका ने ढांचागत ताकत और सांस्कृतिक प्रभुत्व के दायरे में समाजवादी सोवियत गणराज्य (USSR) से बाजी मारी।

● शीतयुद्ध के दौरान संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था पूंजीवादी तर्ज पर चली थी।

● दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन बोर्ड प्रणाली कायम हुई थी।

 

 

◆ऑपरेशन एंडयूरिंग फ्रीडम :-

●आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के अंग के रूप में अमेरिका ने ऑपरेशन एंडयूरिंग फ्रीडम चलाया।

● यह अभियान उन सभी के खिलाफ चला जिस पर 9/11 का शक था खासकर आतंकवादी संगठन अलकायदा के खिलाफ।

ऑपरेशन इराकी फ्रीडम :- सन 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला किया जिससे ऑपरेशन इराकी फ्रीडम नाम दिया गया।

हेगेमनी :- हेगेमनी शब्द प्राचीन यूनान के शब्द से निकल है, इस शब्द से किसी एक राज्य के नेतृत्व या प्रभुत्व का बोध होता है।

 

 

 

◆ इराक पर आक्रमण :-

● 19 मार्च, 2003 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ के कूटनाम से इराक पर सैन्य आक्रमण किया ।

● जिसका मूल उद्देश्य इराक के तेल भण्डार पर नियन्त्रण करना एवं अपनी मनपसन्द सरकार बनवाना था।

● राजनीति की कहानी शक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है। यह शक्ति सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति , राजनीतिक रुतबे तथा सांस्कृतिक बढ़त के रूप में होती है।

 

 ★ विश्व के प्रमुख देशों की सैन्य क्षमता :-

1.संयुक्त राज्य अमेरिका 455.9 (अरब डॉलर)

2.चीन 84.2 (अरब डॉलर)

3.रूस 61.2 (अरब डॉलर)

4.फ्रांस 52.7 (अरब डॉलर)

5.ब्रिटेन 50.1 (अरब डॉलर)

6.जापान 45.2 (अरब डॉलर)

7.जर्मनी 37.8 (अरब डॉलर)

8.इटली 33.9 (अरब डॉलर)

9.सऊदी अरब 20.9(अरब डॉलर)

10.भारत 19.8 (अरब डॉलर)

11. दक्षिण कोरिया 16.4 (अरब डॉलर)

12.ऑस्ट्रेलिया 14.3 (अरब डॉलर)

 

 

★2003 के इराक पर हमले के उदेश्य :-

● इस हमले के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की अनुमति नहीं थी सिर्फ दिखावे के लिए कहा गया कि सामूहिक संहार के हथियार बनाने के लिए इराक पर हमला किया गया है।

(i) इराक में सामूहिक संहार के हथियारों की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले।

(ii) ऐसा माना जाता है कि इराक पर यह हमला इराक के तेल भंडार पर नियंत्रण और इराक में अमरीका की मनपसंद सरकार कायम करने के उदेश्य से किया गया था।

 

 

इराक पर अमरीकी हमले के सैन्य और राजनितिक परिणाम :-

(i) इराक को ‘शांत’ कर पाने में अमरीका सफल नहीं हो सका है। (ii) इराक में अमरीका के खिलाफ एक पूर्णव्यापी विद्रोह भड़क उठा।

(iii) अमरीका के 3000 सैनिक इस युद्ध में मारे गए जबकि इराक के सैनिक कहीं ज्यादा बड़ी संख्या में मारे गये।

(iv) एक अनुमान के अनुसार अमरीकी हमले के बाद से लगभग 50000 नागरिक मारे गये हैं।

 

 

★ अमेरिका द्वारा चलाए गए महत्वपूर्ण अभियान :-

  सैन्य अभियान अमेरिकी राष्ट्रपति सन् का नाम

1. ऑपरेशन  डेजर्ट स्टार्म सीनियर जॉर्ज बुश 1990

2. ऑपरेशन इनफाइनाइड रीच बिल क्लिंटन 1998

3. ऑपरेशन  डब्ल ड्यूरिंग फ्रीडम जॉर्ज बुश 2001

4. ऑपरेशन डब्ल्यू इराकी फ्रीडम जॉर्ज बुश 2003

 

 

★ अमरीका इतना ताकतवर क्यों है ?

● इसके महाशक्ति होने के कारण :-

1. सैन्य शक्ति :- बढ़ी – चढ़ी सैन्य शक्ति के कारण महाशक्ति ।

● दुनिया के 12 ताकतवर देशो में से अकेला अमेरिका ही रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है

● पेंटागन अपनी रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैन्य तकनीक तथा अनुसधान पर खर्च करता है

● हथियार आधुनिक है तथा गुणात्मक रूप से दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे है

● दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति ।

● VETO POWER भी है

 

2. विश्व की अर्थव्यवस्था में अमेरिका का स्थान :-

● विश्व की अर्थव्यवस्था में अमेरिकी भागीदारी 28 प्रतिशत है ।

● हर क्षेत्र में अमेरिका की कोई न कोई कम्पनी अग्रणी तीन कम्पनियों में से है

● प्रमुख आर्थिक अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे IME विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन पर अमेरिका का दबदबा ।

● वर्ल्ड वेव वाइड (www) या इंटरनेट पर अमेरिकी प्रभुत्व एवं MBA की डिग्री ।

 

3. संस्कृतिक :-

अमेरिकी रहन सहन का बाकि देशो पर प्रभाव विश्व में स्थित लगभग सभी देशों के लोग अमेरिकी रहन-सहन के तरीकों से प्रभावित हैं एवं अमेरिका के लोगों जैसे जीवन शैली को अपनाना चाहते हैं

● नीली जीन्स विश्व भर में प्रसिद्ध नीली जींस की शुरुआत अमेरिका से ही हुई थी

● अमरीकियों की तरह जीने की इच्छा वर्तमान में विश्व के किसी भी हिस्से में रहने वाला व्यक्ति अमेरिकी जीवन शैली की तरह जीवन जीना चाहता है

 

 4 ढाँचागत बनावट :-

● विश्व में प्रसिद्ध MBA की डिग्री की शुरुआत अमेरिका द्वारा ही की गई थी

● वर्तमान में यह डिग्री विश्व में सबसे उच्च स्तरीय डिग्रियों में से एक है

 

5.समुंद्री मार्गों पर नियंत्रण :-

●वर्तमान में स्थित सभी समुद्र मार्गों का रखरखाव और उन पर नियंत्रण अमेरिका द्वारा ही किया जाता है

 

6. इंटरनेट की निर्भरता

वर्तमान में पूरा विश्व इंटरनेट पर निर्भर है और इस इंटरनेट का संचालन अमेरिकी उपग्रहों के एक विशाल समूह द्वारा किया जाता है।

 

7.सभी बड़े संगठनों की मुख्यालय अमेरिका में

विश्व में स्थित सभी बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठनों का मुख्यालय अमेरिका में ही स्थित है और इनमें काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी अमेरिकी ही है

 

 

★ अमेरिकी वर्चस्व की राह में आने वाले अवरोध :-

1. अमेरिका की संस्थागत बनावट :-
अमेरिका के वर्चस्व की राहों में सबसे पहली समस्या अमेरिका की संस्थागत बनावट है। यहां शासन के 3 अंगों के बीच शक्ति का बंटवारा है, और यही बनावट कार्यपालिका द्वारा सैन्य शक्ति के बेलगाम इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम करती है।

2. अमरीकी समाज का उन्मुक्त होना :-
अमेरिका की ताकत के रास्ते में आने वाली दूसरी समस्या भी अंदरूनी है। इस समस्या के मूल में है अमेरिकी समाज जो अपनी प्रकृति में उन्मुक्त है।

3. नाटो (NATO) :-
अमेरिकी ताकत के रास्ते में मौजूद तीसरा व्यवधान सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में आज सिर्फ एक संगठन है जो पूर्ण रूप से अमेरिकी शक्ति पर लगाम लगा सकता है और इस संगठन का नाम नाटो (NATO) है। आगामी वर्षों में नाटो ज्यादा शक्तिशाली संगठन बनकर उभरा या उभरेगा और यह संगठन अमेरिकी वर्चस्व कम कर सकता है या उसकी शक्तियों पर लगाम लगा सकता है।

 

 

 ★ अमेरिकी वर्चस्व से कैसे निपटे ?

1. बैंड वेगन नीति :-

बैंड वेगन का मतलब होता है की जिधर की तरफ की हवा चले उधर की तरफ चल पड़ो यानि की अगर अभी अमेरिका का वर्चस्व है तो उसके साथ रहो और उसके वर्चस्व का फ़ायदा उठाओ।

2. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति से छुपना :-

अंतरर्राष्ट्रीय राजनीति से चुप जाना भी वर्चस्व से बचने का एक तरीका हो सकता है यानि की खुद को अमेरिका से इतना दूर कर लो की उसके किसी कार्य का आप पर कोई प्रभाव ही न पड़े। पर यह नीति छोटे देशो के लिए अच्छी हो सकती है पर भारत जैसे देश के लिए ऐसा करना लगभग असंभव है।
3. भारत, रूस और चीन का गठबंधन :-

बहुत से विद्वान ऐसा मानते है की भारत, रूस और चीन गठबंधन बना कर अमेरिका की शक्ति को संतुलित कर सकते है। पर इस गठबंधन का बनना संभव नहीं लगता क्योकि इन तीनो देशो के बीच वर्तमान में कोई सहयोग नहीं है।

4. बुद्धिजीवियों का गठबंधन :-

मीडिया के लोगो, अमरीका के और बुधिजीविओ को लेकर एक संगठन बनाया जा सकता है। जो की अमेरिका की तियों के समीक्षा करे, उसके सही फैसलों का समर्थन एवं उसके गलत फैसलों का विरोध कर सके

 बैंडवैगन नीति :- बैंडवैगन नीति से अभिप्राय सबसे ताकतवर देश के विरोध जाने के भजन उसके वर्चस्व तंत्र में रहते हुए अवसरों का फायदा उठाना कहीं उचित रणनीति है। इसे बैंडवैगन अथवा “जैसी बहे बयार पीठ तैसी कीजे” की रणनीति कहते हैं।

 

 

◆ भारत अमेरिका :-

● सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कुल निर्यात का 65% अमेरिका को जाता है।

● बोइंग के 35% तकनीकी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं।

● 300000 भारतीय ‘सिलिकॉन वैली’ में काम करते हैं।

● उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की 15% कंपनियों की शुरुआत अमेरिका में बसे भारतीयों ने की है।

 

 

★ भारत- अमेरिका संबंध :-

1.आर्थिक क्षेत्र :-

● अमेरिकी राष्ट्रपति की हालिया भारत यात्रा भारत के आर्थिक क्षेत्र के लिये एक बड़ी सफलता है। ध्यातव्य है कि अमेरिका विश्व के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) रहता है।

● वर्ष 2018 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 142 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो वर्ष 2017 के द्विपक्षीय व्यापार से 12.6% अधिक है। ग़ौरतलब है कि अमेरिका भारतीय सेवा क्षेत्र और अन्य कई उत्पादों के लिये विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार है।

 

 2. रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में :-

● अमेरिका से 30 नए हेलिकॉप्टरों के आयात के साथ ही इनके कुछ उपकरणों को भारत में ही बनाए जाने की योजना है।

● वर्तमान रक्षा सौदों में सरकारों के साथ-साथ दोनों देशों की रक्षा क्षेत्र से संबंधित निजी कंपनियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया गया है।

● जो इस क्षेत्र में उभरती भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिये सकारात्मक संकेत है।

● उदाहरण के लिये F-21 लड़ाकू विमान बनाने के लिये टाटा और लॉकहीड मार्टिन की साझेदारी।

 

 3. ऊर्जा क्षेत्र :-

● भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिये बड़े पैमाने पर अन्य देशों से होने वाले तेल और गैस आयात पर निर्भर रहता है।

● वर्ष 2017 में भारत ने अमेरिका से 9.6 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया वहीं वर्ष 2018 में यह आयात बढ़ाकर 48.2 मिलियन बैरल हो गया है।

 

4.राजनीतिक क्षेत्र:

●भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के नेतृत्व में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद।

● G20 शिखर सम्मेलन और जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत और अमेरिका का क्वाड ग्रुपिंग।

 

 5. अर्थव्यवस्था और व्यापार :-

● अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य ($51.62 बिलियन) है और अमेरिका के लिए लगभग 23 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे के साथ दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

●फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, वाहन आदि व्यापारिक वस्तुएं हैं।

 

 6. जलवायु परिवर्तन :-

●अमेरिका ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख भागीदार है।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन पर पीएसीई (स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी), सहयोग और संवाद जैसी पहल।

 

 7. विज्ञान और प्रौद्योगिकी :-

● इसरो और नासा मंगल ग्रह की खोज, हेलियोफिजिक्स, और मानव अंतरिक्ष उड़ान, पृथ्वी अवलोकन में सहयोग, उपग्रह नेविगेशन और अंतरिक्ष विज्ञान और अन्वेषण में सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

8. सांस्कृतिक सहयोग :-

●भारतीय और भारतीय मूल के अमेरिकी कुल अमेरिकी आबादी का 1% (14 मिलियन) हैं।

● इसमें अमेरिकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में काफी और बढ़ते प्रभाव वाले पेशेवरों, उद्यमियों और शिक्षाविदों की एक बड़ी संख्या शामिल है।

●यह वैश्विक दुनिया में भारत की बढ़ती सॉफ्ट पावर और प्रभाव को बढ़ाता है।

 9. शिक्षा :-

●200,000 से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन कर रहे हैं जो भारतीय छात्रों का सबसे पसंदीदा गंतव्य बन गया है।

10.अंतर्राष्ट्रीय मंच :-

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए अपना समर्थन दिया है। मेरिका ने भारत के मुद्दों और चिंताओं का समर्थन किया है।

 

महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ

●1660 : लुई 14वें के शासनकाल में फ्रांस का अपराजेय होना।

● 1713 : इस वर्ष तक फ्रांस की ताकत को इंग्लैण्ड, हैबस्बर्ग, आस्ट्रिया व रूस द्वारा चुनौती मिलना प्रारम्भ होना।

● 1776 : संयुक्त राज्य अमेरिका का एक देश के रूप में जन्म लेना।

● 1814 : ब्रिटेन द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी. में आगजनी करना।

●1860 : इंग्लैण्ड में विक्टोरिया के शासन का पूर्ण उत्कर्ष पर होना।

● 1881 : संयुक्त राज्य अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में वाहर्टन स्कूल के नाम से विश्व का प्रथम बिजनेस स्कूल का खुलना।

●1900 : बिजनेस स्कूल खुला तथा एमबीए के शुरुआती पाठ्यक्रम आरम्भ हुए। अमेरिका से बाहर एमबीए के किसी पाठ्यक्रम की शुरुआत 1950 में जाकर हो सकी।

●1941 : जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर हमला करना।

●1950 : इंटरनेट अमेरिकी सैन्य अनुसन्धान परियोजना का परिणाम है। यह परियोजना 1950 में शुरू हुई थी।

● 1990 : इराक द्वारा कुवैत पर आक्रमण एवं अपना आधिपत्य स्थापित करना।

● 1991 : प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिकी विमानों द्वारा इराकी सेना पर हमला।

● 1991 : सोवियत संघ का विघटन एवं अमेरिका के विश्व पर वर्चस्व की शुरूआत।

●1992 : तत्कालीन राष्ट्रपति एच. डब्ल्यू. बुश का डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बिल क्लिंटन से अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव हारना।

●1996 : बिल क्लिंटन का दुबारा चुनाव जीतकर संयुक्त राज्य अमेरिका का राष्ट्रपति बनना।

● 1998 : नैरोबी (केन्या) एवं दारे-सलाम (तंजानिया) के अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी के जवाब में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सूडान व अफगानिस्तान के अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलों से हमला।

●1999: युगोस्लाविया द्वारा अपने प्रान्त कोसोवो में अल्बानियाई लोगों के आन्दोलन को कुचलने के लिए सैन्य कार्यवाही करना।

● 2001 : विभिन्न अरब देशों के 19 अपहरणकर्ताओं द्वारा अमेरिकी व्यावसायिक विमानों पर कब्जा कर न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर तथा वर्जीनिया स्थित अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन पर हमला। लगभग 3 हजार लोगों का मारा जाना। इसे 9/11 की घटना कहा जाता है।

● 2003 : संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ के कूटनाम से इराक पर सैन्य हमला करना।

 

 

 

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