वैश्वीकरण वैश्वीकरण क्या है वैश्वीकरण के कारण लाभ और हानि राजनीतिक आर्थिक सांस्कृतिक भारत की आर्थिक नीति उदारीकरण निजीकरण वैश्वीकरण वामपंथी दक्षिणपंथी विश्व व्यापी मंच WSF
★ वैश्वीकरण :-
● अब हम वैश्वीकरण पर बात करेंगे। वैश्वीकरण की अवधारणा के विश्लेषण और इसके कारणों की जाँच से करेंगे।
● इसके बाद हम वैश्वीकरण के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिणामों की बात करेंगे।
● वैश्वीकरण का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा है और भारत वैश्वीकरण को कैसे प्रभावित कर रहा है।
● वैश्वीकरण के प्रतिरोध पर नज़र डालेंगे और जानेंगे कि कैसे भारत के सामाजिक आंदोलन इस प्रतिरोध का हिस्सा हैं।
★ वैश्वीकरण :- जब विश्व के सभी देश किसी भी क्षेत्र में उदारीकरण की नीति को अपना लेते हैं तो सभी देश उस खास क्षेत्र के लिए एक हो जाते हैं, इस प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते हैं।
★ वैश्वीकरण का अर्थ :- किसी वस्तु, सेवा, विचार पद्धति, पूँजी, बौद्धिक सम्पदा अथवा सिद्धान्त को विश्वव्यापी करना अर्थात् विश्व के प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान करना।
● लैचनर के अनुसार :- वैश्विक संबंधों का विस्तार सामाजिक जीवन का विश्व स्तर पर संगठन तथा विश्व चेतना का विकास करना ही वैश्वीकरण है।
●गिडेन्स के अनुसार :- वैश्वीकरण एक वह प्रक्रिया है, जो आधुनिकता से जुड़ी संस्थाओं का सार्वभौमिक दिशा की ओर रूपान्तरित करती है।
★ वैश्वीकरण :- विचार, पूँजी, वस्तु एवं सेवाओं का विश्वव्यापी प्रवाह वैश्वीकरण कहलाता है।
★ वैश्वीकरण :- ‘वैश्वीकरण’ शब्द सही-सही अर्थ है – प्रवाह ।
● प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं
• वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना ।
• पूँजी का एक से ज़्यादा जगहों पर जाना ।
• विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना।
• व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही ।
• ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव ‘ जो ऐसे प्रवाहों की निरंतरता से पैदा हुआ है और कायम भी है।
★ वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है :-
● इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अवतार हैं और इनके बीच ठीक-ठीक भेद किया जाना चाहिए।
● यह मान लेना ग़लत है कि वैश्वीकरण केवल आर्थिक परिघटना है। ठीक इसी तरह यह मान लेना भी भूल होगी कि वैश्वीकरण एकदम सांस्कृतिक परिघटना है।
● वैश्वीकरण का प्रभाव बड़ा विषम रहा है- यह कुछ समाजों को बाकियों की अपेक्षा और समाज के एक हिस्से को बाकी हिस्सों की अपेक्षा ज्यादा प्रभावित कर रहा है।
● ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि विशिष्ट संदर्भों पर पर्याप्त ध्यान दिए बिना हम वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में सर्व सामान्य निष्कर्ष निकालने से परहेज करें।
★ वैश्वीकरण क्या है :-
● विश्व के सभी बाजारों के एकजुट होकर कार्य करने की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहते हैं।
● वैश्वीकरण के माध्यम से पूरे विश्व के लोग एकजुट होकर कार्य करते हैं।
● सभी व्यापारियों की क्रियाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है। वैश्वीकरण के माध्यम से संपूर्ण
● विश्व में बाजार शक्तियां स्वतंत्र रूप से कार्यरत हो जाती हैं। एक या कई देश आपस में व्यापार और तकनीकी को साझा करते हैं।
★ वैश्वीकरण के कारण :-
● उन्नत प्रौद्योगिकी को वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
● प्रौद्योगिकी के माध्यम से विश्व भर में पारस्परिक जुड़ाव की भावना को बढ़ावा मिला है।
● वैश्वीकरण के अंतर्गत विश्व भर में विचारों, वस्तुओं, पूँजी एवं व्यक्तियों का प्रवाह, प्रौद्योगिकी के कारण बढ़ा है।
● इसके अलावा दूरसंचार, टेलीग्राफ, माइक्रोचिप एवं इंटरनेट जैसे आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न देशों के बीच संचार की प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य किया है।
★ वैश्वीकरण के लाभ :-
● व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ोतरी मिलती है।
●शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति आती है।
● विकासशील देश को विकसित देश बनने का अवसर मिलता है।
● एक देश को दूसरे देश की सभ्यता संस्कृति को जानने का अवसर मिलता है।
● तकनीकी का आदान-प्रदान होता है जिससे नवीन तकनीकी जानकारी सीखने को मिलता है।
● रोजगार के अवसर मिलते हैं। एक देश को दूसरे देश से अनेकों क्षेत्र में नया सीखने का अवसर मिलता है।
★ वैश्वीकरण के हानि :-
● बेरोजगारी में वृद्धि।
● अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं का दबाव।
● बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभुत्व।
● वैश्वीकरण के कारण स्थानीय उधोग धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं।
● वैश्वीकरण विकासशील एवं अविकसित राष्ट्रों को विकसित राष्ट्रों का गुलाम बना रहा है।
● अन्तर्राष्ट्रीय पेटेन्ट कानून, वित्तीय कानून, मानव सम्पदा अधिकार कानूनों का दुरूपयोग किया जा रहा है।
★ वैश्वीकरण के प्रभाव :-
1. वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव :-
● अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है ।
● राज्य की प्रधानता बरकरार है तथा उसे वैश्वीकरण से कोई खास चुनौती नहीं मिल रही।
● वैश्वीकरण से राज्य की क्षमता में कमी आई है । राज्य अब कुछ मुख्य कार्यों जैसे कानून व्यवस्था बनाना तथा सुरक्षा तक ही सीमित है।
● वैश्वीकरण के कारण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है और कारगर ढंग से कार्य कर सकते है। अतः राज्य अधिक ताकतवर हुए है।
2. वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव :-
●आयात प्रतिबंधो में अत्यधिक कमी ।
● विकसित देशों द्वारा वीजा नीति द्वारा लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध।
● वैश्वीकरण के आलोचक कहते है कि इससे समाजों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
● पूंजी के प्रवाह से पूंजीवादी देशों को लाभ परन्तु श्रम के निर्बाध प्रवाह न होने के कारण विकासशील देशों को कम नाम।
● वैश्वीकरण के कारण सरकारे अपने सामाजिक सरोकारों से मुंह मोड़ रही है उसके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की आवश्यकता है।
● अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसे:- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण । इन संस्थाओं में धनी, प्रभावशाली एवं विकसित देशों का प्रभुत्व ।
3.वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव :-
● संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर।
● लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर दुविधा।
● खाने-पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि ।
● सांस्कृतिक समरूपता द्वारा विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा ।
● सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण जिसमें प्रत्येक संस्कृति कही ज्यादा अलग और विशिष्ट हो रही है ।
★ भारत की नई आर्थिक नीति (LPG ) 1991 :-
● उदारीकरण :- उदारीकरण का अर्थ होता है व्यापार करने की नीतियों को सरल बनाना अर्थात लाइसेंस एवं अन्य बाधाओं को समाप्त करना।
● निजीकरण :- निजी करण का अर्थ निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने से अर्थात निजी क्षेत्र को विकसित होने का मौका देना और उस पर लगी बाध्यता।
● वैश्वीकरण :- एक देश से दूसरे देश के बीच व्यक्ति वस्तु पूंजी और विचार के निर्बाध प्रवाह को वैश्वीकरण कहा जाता है।
★ भारत और वैश्वीकरण :-
● भारत ने सन् 1991 में वित्तीय संकट से उबरने एवं उच्च आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया प्रारम्भ की।
● औपनिवेशिक काल में ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के परिणामस्वरूप भारत आधारभूत वस्तुओं तथा कच्चे माल का निर्यातक और बने-बनाये सामानों का आयातक देश था।
★ वैश्वीकरण की आलोचना :- पूरे विश्व में वैश्वीकरण की आलोचना की गई है इसके अंदर दो पक्ष है
● वामपंथी :-
● सरकार अपनी जिम्मेदारियों से हाथ पीछे हटा रहा है।
● राज्य के कमजोर होने से गरीबों के हित की रक्षा करने की क्षमता में कमी आती है।
● वामपंथियों का कहना है कि वैश्वीकरण की वजह से गरीबों की हालत और ज्यादा खराब हुई है
● वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूंजीवाद की एक खास व्यवस्था है जो धनी लोगों को और धनी एवं गरीब लोगों को और गरीब बनाती है।
● दक्षिणपंथी :-
● दक्षिणपंथी वह लोग हैं जो अमीरों के हित में बोलते।
● राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है।
● वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
● सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
● इसी के विपरीत दक्षिणपंथियों का कहना है कि वैश्वीकरण तेजी से विकास करने एवं पूरे विश्व में समान विकास की स्थिति को लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
★ वैश्वीकरण का प्रतिरोध :-
● 1999 में सिएट्ल :- 1999 में सिएट्ल में हुई विश्व व्यापार संगठन की मंत्री-स्तरीय बैठक के दौरान यहाँ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इन विरोध प्रदर्शनों को आर्थिक रूप से शक्तिशाली देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों को अपनाये जाने का विरोध करने के लिए किया गया।
◆ वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) :- नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा एवं महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव उदारवादी वैश्वीकरण का पुरजोर विरोध करते हैं।
● विश्व व्यापी मंच (WSF) :-
● पहली बैठक सन 2001 में ब्राजील के पोर्टो अल्गेरे में हुआ
● चौथी बैठक 2004 में भारत के मुंबई में हुआ।
● सातवीं बैठक जनवरी 2007 में कीनिया के नैरोबी में हुआ।
● भारत में वैश्वीकरण का विरोध :- भारत में वैश्वीकरण का विरोधकई क्षेत्रों में हो रहा है। इनमें वामपंथी राजनीतिक दल, इण्डियन सोशल फोरम, औद्योगिक श्रमिक एवं किसान संगठन आदि शामिल हैं।
◆ बहुराष्ट्रीय निगम :- वह कम्पनी जो एक से अधिक देशों में एक साथ अपनी आर्थिक गतिविधियाँ (पूँजी निवेश, उत्पादन, वितरण अथवा व्यापार इत्यादि) चलाती है।
◆ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) :- एक दिए गए समय में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं का बाजार मूल्य अथवा मौद्रिक मापदण्ड।
◆ सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) :- सकल घरेलू उत्पाद तथा विदेशों से प्राप्त आय मिलकर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाते
◆ वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) :- नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्व-व्यापी मंच है। इसकी पहली बैठक सन् 2001 में ब्राजील के पोर्टो अलगेरे शहर में हुई थी।
★ वैश्वीकरण की विशेषताएँ :-
● देशों के बीच आपसी जुड़ाव एवं अन्तः निर्भरता।
● पूंजीवादी व्यवस्था, खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि ।
● पूंजी, श्रम, वस्तु एवं विचारों का गतिशील एवं मुक्त प्रवाह ।
● विभिन्न आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स, कोविड – 19 इबोला, HIV AIDS, स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव ।