अध्याय 2 : स्वतंत्रता / Freedom

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स्वतंत्रता स्वतंत्रता और आजादी नकारात्मक सकारात्मक स्वतंत्रता स्वतंत्रता के प्रकार  जे.एस. मिल का हानि सिद्धांत  नेल्सन मंडेला आंग सान सू की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उदारवादी बनाम मार्क्सवादी धारणा प्रतिबंधो के स्रोत प्रतिबंधो की आवश्यकता स्वतंत्रता के संरक्षक  स्वतंत्रता के अधिकार हमारे संविधान का अनुच्छेद 19, 20, 21 , 22 के अंतर्गत आता है।

 

 

 ★ स्वतंत्रता :-

स्वतंत्रता का अंग्रेजी रूपान्तर ‘ लिबर्टी (Liberty) लैटिन भाषा के ‘ लिबर ‘ ( Liber) शब्द से निकला है , जिसका अर्थ होता है ” बन्धनों का अभाव “

● यदि किसी व्यक्ति पर बाहरी नियंत्रण या दबाव ना हो और वह बिना किसी पर निर्भर हुए निर्णय ले सके तथा स्वतंत्र तरीके से व्यवहार कर सकें तो वह व्यक्ति स्वतंत्र माना जा सकता है

● हॉब्स के अनुसार :- ” स्वतंत्रता वह सब कुछ करने की शक्ति का नाम है , जिससे दूसरे व्यक्तियों को आघात न पहुँचे।”

● प्रो. लास्की के अनुसार :- ” स्वतंत्रता से मेरा अभिप्राय यह है कि सामाजिक परिस्थितियों के अस्तित्व पर प्रतिबंध न हो , जो आधुनिक सभ्यता से मनुष्य के सुख के लिए नितान्त आवश्यक है।

 

★ स्वतंत्रता और आजादी ( Liberty and Freedom ) :-

● ‘ स्वतंत्रता ‘ का तात्पर्य के हस्तक्षेप से संरक्षण से है। जबकि ‘ आजादी ‘ का अभिप्राय है राजनीति में सक्रिय भागीदारी।

● कुछ विद्वान ‘आजादी ‘ को एक परिस्थिति और ‘ स्वतंत्रता ‘ को मनोदशा मानते हैं।

● ‘ स्वतंत्रता ‘ का प्रयोग राजनीतिक और विधिक परिप्रेक्ष्य में ज्यादा होती है जबकि ‘ आजादी ‘ दार्शनिक और अधिक सामान्य शब्द है।

 

★ स्वतंत्रता क्या है ?

● व्यक्ति पर बाहरी प्रतिबन्धों का अभाव ही स्वतंत्रता है। हालांकिप्रतिबंधों का न होना स्वतंत्रता का केवल एक पहलू है ।

● स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की आत्म-अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना और उसके अन्दर की सम्भावनाओं को
विकसित करना भी है।

● स्वतंत्रता वह स्थिति है,जिसमें लोग अपनी रचनात्मकता और क्षमताओं का विकास कर सकें। इसी प्रकार, एक स्वतंत्र समाज वह होगा, जो अपने सदस्यों को न्यूनतम सामाजिक अवरोधों के साथ अपनी सम्भावनाओं के विकास में समर्थ बनाएगा।

● स्वतंत्रता को इसलिए बहुमूल्य माना जाता है, क्योंकि इससे हम निर्णय और चयन कर पाते हैं। स्वतंत्रता के कारण ही व्यक्ति अपने विवेक और निर्णय की शक्ति का प्रयोग कर पाते है।

 

  नेल्सन मंडेला :- ‘ लॉंग वाक टू फ्रीडम ‘ ( स्वतंत्रता के लिए लंबी यात्रा ) ।

→आँग सान सू की :- ‘ फ्रीडम फ्रॉम फियर ‘ ( भय से मुक्ति ) ।

→ जे.एस. मिल :- ‘ ऑन लिबर्टी ‘ ( स्वतंत्रता पर )।

 

★ प्रतिबंधो के स्त्रोत :-

● व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध प्रभुत्व और बाहरी नियंत्रण से लग सकते हैं।

● ये प्रतिबंध बलपूर्वक या सरकार द्वारा कानून की मदद से लगाए जा सकते है।

● लोकतांत्रिक सरकार लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक जरुरी माध्यम मानी गई है।

● समाज में अत्यधिक आर्थिक असमानता के कारण भी स्वतंत्रता पर अंकुश लग सकता है।

● स्वतंत्रता पर प्रतिबंध सामाजिक असमानता के कारण भी हो सकता है जैसा कि जाति व्यवस्था में होता है।

 

 

 ★ हमें प्रतिबंधो की आवश्यकता क्यों हैं ?

● सीमित संसाधनों के उचित बंटवारे के लिए

● दूसरे व्यक्ति के अधिकारों की पूर्ति के लिए

● टकराव की स्थिति को रोकने के लिए

● सार्वजनिक कल्याण के लक्ष्य प्राप्त करने के

● समाज में अव्यवस्था को रोकने के लिए तथा लोगों के में विवाद ना हो इसलिए

● मुक्त समाज में अपने विचारों को बनाए रखने व जीने के अपने तरीके विकसित करने के लिए लिए

 

 

 ★ हानि सिद्धांत :-

● जॉन स्टुअर्ट मिल :- ऑन लिबर्टी ‘ एक मुद्दे को प्रभावपूर्ण तरीके से उठाया जिसे हानि सिद्धांत कहा गया।

● स्वतन्त्रता में हस्तक्षेप का एकमात्र लक्ष्य ‘ आत्मरक्षा ‘ मानता है।

● सभ्य समाज के शक्ति के प्रयोग से किसी अन्य को हानि से बचाना हो सकता है।

 

 ★ जे.एस. मिल का सिद्धांत :-

◆स्वसंबद्ध :- स्वसंबद्ध वे कार्य है , जिनके प्रभाव केवल इन कार्यों को करने वाले व्यक्ति पर पड़ते हैं।

‘ ये मेरा काम है , मैं इसे वैसे करूँगा , जैसा मेरा मन होगा।

→ मिल का तर्क है कि स्वसंबद्ध कार्य और निर्णयों के मामले में राज्य या किसी बाहरी सत्ता को कोई हस्तक्षेप करने की जरुरत नहीं है।

◆परसंबद्ध :- परसंबद्ध वे कार्य है , जिनके प्रभाव कर्ता के अलावा बाकी लोगों पर भी प्रभाव डालते हैं।

‘ ऐसे कार्य जिससे दूसरों पर असर डालते हैं । बाहरी प्रतिबंध लगाए जा सकते है।

उदाहरण के लिए :- ऊँची आवाज़ में संगीत बजाने पर इमारत के अन्य रहवासियों द्वारा सामाजिक असहमति जताना चाहिए।

 

 

 ★ नकारात्मक व सकारात्मक स्वतंत्रता-

◆ नकारात्मक स्वतंत्रता

● व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो ।

● जिसमें किसी मनुष्य पर कोई प्रतिबंध न हो।

● व्यक्ति अपने इच्छानुसार कार्य कर सके।

● यह ऐसा क्षेत्र होगा जिसमें किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नही किया जाता।

● इस प्रकार राजनीतिक, नागरिक या कानूनी स्वतंत्रता नकारात्मक होती है जैसे भाषण की स्वतंत्रता

 

 ◆ सकारात्मक स्वतंत्रता

● व्यक्ति पर नियंत्रण हो।

● व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाये जाते हैं।

● राज्य का हस्तक्षेप अधिक हो।

● मनुष्य को उसकी इच्छा अनुसार कार्य करने का अवसर देती है।

● सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता की मांग करती है जैसे भूख प्यास|

 

 

★ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता :- 

● स्वतन्त्रता का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष ‘अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता’ है। इसे ‘अहस्तक्षेप के लघुत्तम’ क्षेत्र से जुड़ा हुआ माना जाता है।

● 19वीं सदी में ‘मिल’ ने अपनी कृति, ‘ऑन लिबर्टी’ में वर्तमान में गलत या भ्रामक लग रहे विचारों पर भी ‘अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता’ की वकालत की है।

● ‘मिल’ का मानना है कि ‘जो आज स्वीकार्य विचार नहीं हैं, वह आने वाले समय में बहुत मूल्यवान ज्ञान में परिवर्तित हो सकते हैं।’

● स्वतन्त्रता के उपभोग में हमें उससे जुड़े कार्यों व परिणामों का उत्तरदायित्व भी स्वीकार करना चाहिए।

 

 

★ स्वतंत्रता के प्रकार :-

1. प्राकृतिक स्वतंत्रता :-

प्राकृतिक स्वतंत्रता जो मनुष्य को पूर्व जंगली अवस्था में प्राप्त थी| इस अवस्था में मनुष्य हर प्रकार से बंधन हीन स्वेच्छाचारी था| उसे किसी भी प्रकार के नियमों की पालना नहीं करनी होती थी|

 

2. व्यक्तिगत स्वतंत्रता :-

स्वयं से संबंधित कार्यों में व्यक्तियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए| रूसो के अनुसार- ” स्वतंत्रता को छोड़ना मनुष्यता को छोड़ना है, मनुष्यता को अधिकारों और कर्तव्यों को दे देना है| मिल के अनुसार :- मानव समाज को केवल आत्मरक्षा के उद्देश्य से ही, किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का अधिकार हो सकता है|

 

3. नागरिक स्वतंत्रता :-

नागरिक स्वतंत्रता का अभिप्राय व्यक्ति की उन स्वतंत्रताओ से है जो व्यक्ति समाज या राज्य का सदस्य होने के नाते प्राप्त करता है| इसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार प्रदान करना होता है| जैसे- दैहिक स्वतंत्रता- व्यक्ति के जीवन को कोई खतरा पैदा नहीं हो और मनुष्य स्वतंत्र विचरण कर सके| बौद्धिक स्वतंत्रता- मनुष्य अपने विचार को व्यक्त करने में स्वतंत्र हो| व्यावहारिक स्वतंत्रता- मनुष्य अन्य लोगों के साथ संबंध स्थापित करने के क्षेत्र में अपनी स्वतंत्र इच्छा से काम ले सके|

 

 4. राजनीतिक स्वतंत्रता :-

किसी भी नागरिक को राज्य से संबंधित कार्यों एवं लाभों में बांटने का अधिकार प्राप्त होता है- मत देने का अधिकार, निर्वाचित होने का अधिकार,योग्यता के अनुसार सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार आदि| लास्की के अनुसार- राज्य के कार्यों में सक्रिय भाग लेने की शक्ति ही राजनीतिक स्वतंत्रता है| बार्कर के अनुसार- राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं, बल्कि सरकार बनाने और उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है|
 

5.आर्थिक स्वतंत्रता :-

प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने की समुचित सुरक्षा तथा सुविधा प्राप्त हो| व्यक्ति को बेरोजगारी के भय से मुक्त रखा जाना चाहिए|

6. राष्ट्रीय स्वतंत्रता :-

प्रत्येक राष्ट्र को भी स्वतंत्र होने का अधिकार होना चाहिए| भाषा, धर्म, संस्कृति, ऐतिहासिक परंपरा आदि पर आधारित यह अधिकार हो कि वह स्वतंत्र राज्य का निर्माण करें तथा किसी अन्य राज्य के अधीन न हो|

 

7. नैतिक स्वतंत्रता :-

सभी मानव संस्थाएं मनुष्य के द्वारा ही चलती है अतः मनुष्य का जैसा स्वभाव या मन होगा वैसी ही उसकी संस्थाएं भी होंगी| राजनीतिक, नागरिक व आर्थिक स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए मनुष्य का नैतिक दृष्टि से उच्च व स्वतंत्र होना आवश्यक है| नैतिक स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की उस मानसिक स्थिति से है जिसमें वह लोभ लालच के बिना अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करने की योग्यता रखता हो|

 

 

 ★ उदारवादी बनाम मॉर्क्सवादी धारणा :-

◆ उदारवादी :-

● ऐतिहासिक रूप से उदारवाद ने मुक्त बाजार और राज्य की न्यूनतम का पक्ष लिया है। हालांकि अब वे कल्याणकारी राज्य की भूमिका को स्वीकार करते है और मानते है कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने वाले उपायों की जरूरत है ।

● सकारात्मक उदारवादी (हॉब्स लॉक तथा लास्की) समर्थन करते है कि कानून व्यक्तियों की स्वतंत्रता की रक्षा करता हैं। सार्वजनिक हित में व्यक्तियों को सर्वोत्तम विकास के अवसर उपलब्ध कराने के लिए उचित प्रतिबंधों का समर्थन |

● उदारवादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समानता जैसे मूल्यों से अधिक वरीयता देते है वे आमतोर पर राजनीतिक सत्ता का भी संदेह की नजर से देखते है।

 

◆ मॉर्क्सवादीधारणा :-

● मॉर्क्सवाद के अनुसार :- ‘ स्वतंत्रता ऐसी स्थिति नही है जिसमें व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाना चाहिए।

● मार्क्सवादी (समाजवादी ) सामाजिक जीवन के ढांचे में उपलब्ध आर्थिक स्वतंत्रता को महत्व देते है ।

● स्वतंत्रता की मार्क्सवादी धारणा सभी लोगों के लिए इसके समान हितों की कामना करती है
वर्गों के बोझ से दबे बुर्जुआ समाज में उसके निहितार्थ भिन्न वर्गों के लिए भिन्न होते है

● जब तक पूंजीवादी व्यवस्था के स्थान पर समाजवादी व्यवस्था नहीं आ जाती तब तक वास्तविक स्वतंत्रता संभव नहीं है

 

 

★ स्वतंत्रता के संरक्षक :- 

(i) प्रजातंत्र की स्थापना :-

प्रजातंत्र कि स्थापना से राज्य में नागरिकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है | स्वतंत्रता की स्थापना के लिए लोकतंत्र का होना बहुत ही आवश्यक है | प्रजातंत्र में शक्ति का स्रोत जनता होती है और शासन जनमत के आधार पर चलाया जाता है स्वतंत्रता को छिनने वाली सरकार को प्रजातंत्र में आसानी से चुनाव द्वारा हटाया जा सकता है ।

(ii) मौलिक अधिकारों की घोषणा :-

स्वतंत्रता की सुरक्षा तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब नागरिकों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता की घोषणा संविधान के मौलिक अधिकार में ही कर दी जाये संविधान में लिखे अधिकारों और स्वतंत्रता को कोई भी सरकार आसानी से उल्लंघन नहीं कर सकती है

(iii) शक्तियों का विकेंद्रीकरण:-

स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए शक्तियों का विकेंद्रीकरण बहुत ही जरुरी है | शक्तियों के केन्द्रीकरण से राज्य में निरंकुशता को बढ़ावा मिलता है | जिससे भ्रष्टाचार बढ़ता है और नागरिक उत्पीडित होते है ।

(iv) स्वतंत्र न्यायपालिका :-

नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा संविधान के बाद यदि कोई करता है तो वो है न्यायपालिका इसके लिए आवश्यक है कन्यायपालिका स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से न्याय कर सके न्यायपालिका ही नागरिक अधिकारों एवं मौलिक अधिकारों की रक्षा करती हैं ।

 

★ संविधान निर्माताओं ने भारतीय नागरिकों को ये अधिकार प्रदान किए

 ★ स्वतंत्रता का अधिकार | Right To Freedom

● स्वतंत्रता का अधिकार एक सकारात्मक अधिकार है (अर्थात वह अधिकार जो विशेषाधिकार प्रदान करता है)।

● स्वतंत्रता के आदर्श को बढ़ावा देने के लिए, संविधान निर्माताओं ने भारतीय नागरिकों को ये अधिकार प्रदान किए।

● हमारे संविधान का अनुच्छेद 19, 20, 21 और 22 स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है।

● अनुच्छेद 19: इस अनुच्छेद के तहत, भारत के नागरिकों को स्वतंत्रता से संबंधित 6 अधिकारों की गारंटी दी गई है। वो हैं,

19 (i) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

19 (ii) बिना किसी हथियार के शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता।

19 (iii) संघ या संघ या सहकारी समितियाँ बनाने की स्वतंत्रता।

9 (iv) भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता।

19 (v) भारतीय क्षेत्र के किसी भी हिस्से में रहने और बसने की स्वतंत्रता।

19(vi) पसंद के किसी भी पेशे में जाने की स्वतंत्रता।

 

● अनुच्छेद 20: यह अनुच्छेद एक दोषी व्यक्ति को कार्योत्तर कानून, दोहरे खतरे और आत्म-अपराध के खिलाफ आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है। यह भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों पर भी लागू होता है।

● अनुच्छेद 21: इस अनुच्छेद के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा। मेनका गांधी मामले के फैसले के बाद , सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुच्छेद के तहत कई अधिकारों की घोषणा की।

● अनुच्छेद 21 (A): यह शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राज्य को छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।

● अनुच्छेद 22: यह अनुच्छेद उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है जिन्हें या तो गिरफ्तार किया गया है या हिरासत में लिया गया है।

 

 

 

 

 

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