अध्याय 5 : विधायिका / Legislature

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विधायिका किसे कहते हैं संसद की आवश्यकता संसद कानून कैसे बनाती है संसद के दो सदन लोकसभा राज्यसभा संघ की विधायिका संसद राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद  राज्य की विधायिका विधानमंडल -राज्यपाल मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद राज्य के महाधिवक्ता संसद के सत्र सरकारी विधेयक गैर-सरकारी विधेयक

 

विधायिका :- हमारी राष्ट्रीय विधायिका का नाम संसद है।

संसद (Parliament )  :- हमारी राष्ट्रीय विधायिका का नाम संसद है।

● अनुच्छेद 79 के अनुसार संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और संसद के दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनेगी।

● राज्य परिषद (राजसभा) राजसभा में राज्य व संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते है।

● जनता का सदन (लोकसभा) लोकसभा सम्पूर्ण रूप में भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।

 

 

★ विधान मंडल :- राज्यों की विधायिका को विधान मंडल कहते हैं।

● जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्विसदनात्मक विधायिका कहते हैं।

● संविधान ने राज्यों को एकसदनात्मक या द्वि-सदनात्मक विधायिका स्थापित करने का विकल्प दिया है।

● अब केवल छः राज्यों में ही द्विसदनात्मक विधायिका है।

1. बिहार
2.कर्नाटक
3.महाराष्ट्र
4. तेलंगाना
5. आंध्रप्रदेश
6.उत्तरप्रदेश

 

 

★ संसद (Parliament ) :-

● अनुच्छेद 79 के अनुसार संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और संसद के दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनेगी।

● राज्य परिषद (राजसभा) राजसभा में राज्य व संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते है। राजसभा में 245 सदस्य होते हैं।

● जनता का सदन (लोकसभा) लोकसभा सम्पूर्ण रूप में भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। लोकसभा में 545 सदस्य होते हैं।

● राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। राष्ट्रपति विधि बनने के लिए स्वीकृति देता है।

 

 

◆ लोकसभा के प्रमुख कार्यवाहक :-

● अध्यक्ष / उपाध्यक्ष
● मंत्री व मंत्रिपरिषद
● नियंत्रण-महालेखा परीक्षा
● महान्यायवादी व महासचिव
● संसदीय समितियों के सभापति
● सदन का नेता / विपक्ष का नेता

 

 

◆ संसद के कार्य एवं शक्तियां :-

1. विधायी कार्य:- केवल संसद ही संघ सूची के विषयों पर कानून बना सकती है। राज्य विधानमंडलों के साथ संसद को समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार है।जिन विषयों का किसी सूची में उल्लेख नहीं है, उनकी अवशिष्ट शक्तियाँ संसद में निहित होती हैं।

2. वित्तीय कार्य:- यह जनता के धन का संरक्षक है। सरकार संसद की मंज़ूरी के बिना न तो जनता पर कोई कर लगा सकती है और न ही पैसा खर्च कर सकती है।बजट को हर साल संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

3. चुनावी कार्य:- यह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी करती है।लोकसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है तथा राज्यसभा अपने उपसभापति का चुनाव करती है।

4. संवैधानिक कार्य :-संविधान के अधिकांश हिस्सों में संसद द्वारा विशेष बहुमत से संशोधन किया जा सकता है।कुछ प्रावधानों में केवल राज्यों के अनुमोदन से संसद द्वारा संशोधन किया जा सकता है।संसद संविधान के मूल ढाँचे को नहीं बदल सकती है।

5. कार्यपालिका पर नियंत्रण :- संसद प्रश्नकाल, शून्यकाल, ध्यानाकर्षण सूचना, स्थगन प्रस्ताव आदि के माध्यम से कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है।

6. न्यायिक कार्य :- संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम व हाई कोर्ट के जजों के साथ-साथ संघ व राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों और सीएजी पर महाभियोग चलाने का अधिकार है।

7. निर्वाचन संबंधी कार्य :- संसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी भाग लेती है। यह अपनी समितियों के विभिन्न सदस्यों, पीठासीन पदाधिकारियों और उप पीठासीन पदाधिकारियों को भी चुनती है।

8. प्रतिनिधित्व :- संसद देश के विभिन्न क्षेत्रीय, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक समूहों के अलग-अलग विचारों का प्रतिनिधित्व करती है।

 

 

★ संसद के सत्र ( Session of Parliament ) :-

1. बजट सत्र :- 1 फरवरी से 7 मई तक।

2. मानसून सत्र :- 15 जुलाई से 15 सितम्बर तक।

3. शीतकालीन सत्र :- 5 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक।

 

◆ संसदीय कार्यवाही के साधन :-

● प्रश्नकाल :- संसद का पहला घण्टा प्रश्नकाल के लिए होता है। इस दौरान सदस्य प्रश्न पूछते हैं और सामान्यतः मंत्री उत्तर देते हैं।
संसद की कार्यवही का प्रतिदिन प्रातः 11 बजे प्रश्नकाल साथ शुरू होती है जो दोपहर 12 बजे तक चलता है।

● शून्यकाल :- शून्यकाल संसदीय व्यवस्था की देन । दोपहर 12 बजे से शून्यकाल शुरू होता हैं।

 

◆ संसद में विधायी प्रक्रिया :- विधि निर्माण संसद का एक महत्वपूर्ण कार्य है। सर्वोच्च संस्था द्वारा पारित और राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत विधेयक कानून बनता हैं।

 

◆ विधेयक दो प्रकार के होते है।

1. सरकारी विधेयक :- संसद में किसी मंत्री द्वारा रखा जाता हैं।

2. गैर-सरकारी विधेयक :- संसद में किसी सदस्य द्वारा रखा जाता हैं।

 

● साधारण विधेयक :- वित्तीय विषयों के अलावा किसी अन्य मामले से संबंधित।

● धन विधेयक :- कराधान, सार्वजनिक व्यय आदि जैसे वित्तीय मामलों से संबंधित।

● वित्तीय विधेयक :- वित्तीय मामलों से संबंधित (लेकिन धन विधेयकों से अलग हैं)।

 

 

★ लोकसभा और राज्यसभा में अंतर :-

 

लोकसभा राज्यसभा
1 इसके सदस्य आम जनता द्वारा वयस्क मतदान की प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं। 1 इसके सदस्य राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
2 लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है 2 यह एक स्थायी सदन है जिसके एक- तिहाई सदस्य प्रत्येक दो साल बाद रिटायर हो जाते हैं
3 इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 552 है 3 इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 250 है
4 धन विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। यह सदन देश में शासन चलाने करता है 4 धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा को अधिक शक्तियां प्राप्त नहीं है
5 केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है 5 केन्द्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी नहीं होती है
6 लोकसभा के बैठकों की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं 6 राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता उप-राष्ट्रपति करते हैं
इसे निचला सदन या आम जनता का सदन कहा जाता है 7 इसे ऊपरी सदन या ‘राज्यों की परिषद्’ कहा जाता है
8 भारत के राष्ट्रपति इस सदन में आंग्ल- भारतीय समुदाय के 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकते है 8 भारत के राष्ट्रपति में इस सदन में कला, शिक्षा, समाजसेवा एवं खेल जैसे क्षेत्रों से संबंधित 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं
9 लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है 9 राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष

 

 

◆ संसद से कानून बनाने की प्रक्रिया :-

● कोई भी कानून का प्रस्ताव कानून बनने से पहले विधेयक (bill) होता है जब वह संसद के दोनों सदन से बहस के बाद स्वीकृत हो जाने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से वह हो जाता है और फिर वह विधेयक कानून का रूप ले लेता है।

 

◆ संसदीय समितियाँ :-

● समिति एक छोटी संख्या है जिसे विशेष कार्य सौपा जाता है ये विभिन्न मामलों पर विचार विमर्श करती हैं और प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रखती है

1. वित्तीय समितियाँ :-

(i) लोक लेखा समिति :- भारत सरकार के विभिन्न विभागों का खर्च नियमानुसार हुआ है या नहीं इसका लेखा जोखा है।

(ii) प्राकलन समिति :- में किफ़ायत किस तरह की जा सकती हैं।

(iii) लोक उपक्रम समिति :- सरकारी उद्योगों की रिपोर्ट की जाँच करती है कि उद्योग का व्यवसाय कुशलता पूर्वक चलाये जा रहे है या नहीं

 

 

★ विधानमण्डल :- राज्य सरकार

◆ राज्यों की विधायिका को विधान मंडल कहते हैं।

● जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्विसदनात्मक विधायिका कहते हैं।

● संविधान ने राज्यों को एकसदनात्मक या द्वि-सदनात्मक विधायिका स्थापित करने का विकल्प दिया है।

● अब केवल छः राज्यों में ही द्विसदनात्मक विधायिका है।

1. बिहार
2.कर्नाटक
3.महाराष्ट्र
4. तेलंगाना
5. आंध्रप्रदेश
6.उत्तरप्रदेश

 

 

◆ राज्य की कार्यपालिका :- संविधान के छठे भाग के अनुच्छेद 153 से 167 राज्य के कार्यपालिका के बारे में बताया गया है।

1. राज्यपाल
2. मुख्यमंत्री
3. मंत्रिपरिषद
4. राज्य के महाधिवक्ता

 

 

◆ राज्यपाल (Governor) :- राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित होता है।

● राज्य का प्रथम नागरिक होता है।

● केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच कड़ी के रूप में काम करता है।

 

● नियुक्ति :- संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं।

 

● कार्यकाल :- संविधान के अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल का कार्यकाल 5 वर्ष अवधि तक होता है।

 

● शपथ :- अनुच्छेद 159 के अनुसार राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राज्यपाल को शपथ दिलाता है।

 

 

◆ राज्यपाल की शक्तियां :-

● विधायी शक्तियाँ
● वितीय शक्तियाँ
● न्यायिक शक्तियाँ
● कार्यपालिका शक्तियाँ
● स्व-विवेकीय शक्तियाँ

 

★ मुख्यमंत्री (Chief Minister ):-

● राज्यपाल राज्य का मुखिया होता है।

● मुख्यमंत्री सरकार का मुखिया होता है।

 

◆ नियुक्ति( Appointment ) :-

● अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्पाल द्वारा की जाती है।

● मुख्यमंत्री को विधानमण्डल के दोनों सदनों ( विधानसभा व विधानपरिषद ) सदन होना आवश्यक है।

 

◆ कार्यकाल :- मुख्यमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि तक होता है।

 

◆कार्य :-

● मुख्यमंत्री का प्रथम कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना है।

● वह मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या निश्चित करता है और उसके लिए नामों की एक सूची तैयार करता है।

● इसके अतिरिक्त, उसे अपने दल की कार्यकारिणी समिति का भी परामर्श लेना पड़ता है।

● मुख्यमंत्री राज्यपाल की औपचारिक स्वीकृत से मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण करना है।

● मंत्रिपरिषद के विभागों का वितरण करता है।

 

 

 

◆ मंत्रिपरिषद :- यह एक त्रिस्तरीय संगठन हैं।

● कैबिनेट मंत्री
● राज्य मंत्री
● उपमंत्री

 

◆ महाधिवक्ता :-

● राज्य का सर्वोच्च विधिक अधिकारी होता है।

● महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हैं।

● महाधिवक्ता विधि सम्बन्धी विषयों पर सलाह देता है।

 

 

 

 

 

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