अध्याय 13 : महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन / Mahatma Gandhi and National Movements

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 महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन गांधीवादी युग की शुरुआत स्वदेशी आंदोलन रॉल्ट एक्ट जालियांवाला बाग हत्याकांड – 13 अप्रैल 1919 खिलाफ़त आंदोलन असहयोग आंदोलन चौरी चौरा कांड सविनय अवज्ञा आंदोलन दांडी मार्च गोलमेज सम्मेलन भारत छोड़ो आंदोलन मुस्लिम लीग 26 जनवरी 1930 को गणतंत्र दिवस

 

 

★ महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन :-

● इस अध्याय में 1915-1948 के महत्त्वपूर्ण काल के दौरान भारत में गाँधी जी की गतिविधियों का विश्लेषण किया गया है। यह भारतीय समाज के विभिन्न हिस्सों के साथ उनके संपर्कों और उनके द्वारा प्रेरित तथा नेतृत्व किए गए लोकप्रिय संघर्षों की छान-बीन करता है।

● यह अध्याय विद्यार्थी के समक्ष उन अलग-अलग प्रकार के स्रोतों को भी रखता है जिनका इस्तेमाल, इतिहासकार एक नेता के जीवन-वृत्त तथा वह जिन सामाजिक आंदोलनों से जुड़ा रहा है, के पुनर्निर्माण में करते हैं।

● राष्ट्रवाद के इतिहास में प्राय: एक अकेले व्यक्ति को राष्ट्र-निर्माण के साथ जोड़कर देखा जाता है। उदाहरण के लिए, हम इटली के निर्माण के साथ गैरीबाल्डी को, अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध के साथ जॉर्ज वाशिंगटन को और वियतनाम को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के संघर्ष से हो ची मिन्ह को जोड़कर देखते हैं।

● इसी तरह महात्मा गाँधी को भारतीय राष्ट्र ‘का ‘पिता’ माना गया है। गाँधी जी स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लेने वाले सभी नेताओं में सर्वाधिक प्रभावशाली सम्मानित हैं अत: उन्हें दिया गया उपर्युक्त विशेषण गलत नहीं है।

● हालाँकि, वाशिंगटन अथवा हो ची मिन्ह की तरह महात्मा गाँधी का राजनीतिक जीवन-वृत्त उस समाज ने ही सँवारा और नियंत्रित किया, जिस समाज में वे रहते थे। कोई व्यक्ति चाहे कितना ही महान क्यों न हो वह न केवल इतिहास बनाता है बल्कि स्वयं भी इतिहास द्वारा बनाया जाता है।

 

 

 

★ महात्मा गांधी :-

● नाम :- मोहनदास करमचंद गांधी

● पिता का नाम :- करमचंद गांधी

● माता का नाम :- पुतलीबाई

● जन्म दिनांक :-  2 अक्टूबर, 1869

● जन्म स्थान :- गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में

●  पत्नी का नाम :- कस्तूरबा गांधी

● गाँधी जी की पुस्तक :- हिन्द स्वराज 1909 में

 ● गोपाल कृष्ण गोखले :- महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे।

● गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।

● सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया।

 

 

★ गांधीजी ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये. इनमें से कुछ आंदोलन निम्नानुसार हैं -:

1. सन 1920 में :- असहयोग आंदोलन

2. सन 1930 में :- अवज्ञा आंदोलन

3. सन 1942 में :- भारत छोड़ो आंदोलन

 

 

 ★ गांधीवादी युग की शुरुआत :-

महात्मा गांधी को भारतीय राष्ट्र का जनक माना जाता है।राष्ट्रवाद के इतिहास में कुछ बार एक व्यक्ति के योगदान को राष्ट्र बनाने के साथ पहचाना जाता है।

●जनवरी 1915 में भारत वापस आए गांधी दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिशों की भेदभावपूर्ण और दमनकारी नीति के खिलाफ सफल संघर्ष के बाद जनवरी 1915 में भारत वापस आए।

 

● 1916 में भारत में गांधीजी की पहली सार्वजनिक उपस्थिति में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के उद्घाटन के समय थी।

● अपने भाषण के दौरान गांधीजी ने हमारे समाज के गरीब वर्गों के मजदूरों की चिंता के लिए भारतीय अभिजात वर्ग पर आरोप लगाया ।

● गांधीजी ने कहा कि ” स्वशासन की कोई भावना नहीं हो सकती है यदि हम अपने श्रम के लगभग पूरे परिणाम को छीन लेते हैं या अन्य को अनुमति देते हैं। “

● एक स्तर पर गांधीजी का भाषण इस बात का बयान था कि भारतीय राष्ट्रवाद एक विशिष्ट घटना थी जिसमे वकील डॉक्टर और जमींदार ज्यादातर शामिल थे। लेकिन वह चाहते थे कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को समय रूप से भारतीय लोगों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए

 

● 1917 में गांधी जी ने बिहार के। जिले चंपारण में किसानों की स्थिति को सुधारने के प्रयास किए।

● चंपारण के किसान नील की खेती किया करते थे गांधी जी ने उनके पक्ष में अदालत में मुकदमा लड़ा और किसानों को मुआवजा दिलवाया।

 

 

● 1918 में गांधी जी मुख्य रूप से गुजरात दो आंदोलनों में जुड़े रहे में

● पहला :- अहमदाबाद में कपड़ों की में मिल में काम करने वाले कामगार काम करने की बेहतर स्थिति के लिए आंदोलन कर रहे थे इस में गांधी जी शामिल हुए

● दूसरा :- खेड़ा में किसानों की फसल चौपट हो जाने के बावजूद भी अंग्रेजों द्वारा पूरे कर की मांग की जा रही थी यहां गांधी जी ने किसानों की कर्ज माफी की मांग का समर्थन किया।

 

 

★ स्वदेशी आंदोलन :-

● भारत में 1905 से 1907 तक स्वदेशी आंदोलन चला

● इस आंदोलन के मुख्य नेता

● लाला लाजपत राय (पंजाब)

● विपिन चंद्र पाल (बंगाल) और

● बाल गंगाधर तिलक (महाराष्ट्र) थे

● इन तीनों को लाल बाल तथा पाल के नाम से भी जाना जाता था।

● इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपनाने की सिफारिश की।

 

 

★ रॉलेट एक्ट, 1919 ई. :- 1919 इ. के गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया ऐक्ट में दी गई रियायतों से काँग्रेस असन्तुष्ट थी और समस्त भारत में निराशा का वातावरण छाया हुआ था। सरकार को डर था कि अवश्य कोई नया आंदोलन प्रारंभ होगा।

● इस एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाए अनिश्चित समय के लिए बंद कर सकती थी और उसे अपील, दलील या वकील करने का कोई अधि कार नहीं था।

 

 

★ जालियांवाला बाग हत्याकांड – 13 अप्रैल 1919 :-

● हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक दो प्रमुख नेता सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल रोलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे जिसके कारण अंग्रेजों ने इन दोनों को गिरफ्तार कर शहर से बाहर भेज दिया ।

● 13 अप्रैल 1919 को सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल के रिहाई का अनुरोध करने के लिए अमृतसर के जलियांवाला बाग में लगभग 10000 (दस हजार) पुरषों, महिलाओं और बच्चों की भीड़ जमा हुई ।

● तब ब्रिगेडियर जनरल डायर ने अचानक सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर सभा के चारों ओर से घेर लिया एवं सिपाहियों की गोली चलाने की आदेश दिया ।

● सिपाहियों ने जब तक गोली चलाना नहीं छोड़ा जब तक बंदूक की संपूर्ण गोली खत्म ना हो जाए।

● इस घटना में लगभग 1000 पुरुष, महिला, बुजुर्ग एवं बच्चे मारे गए थे।

 

 

 ◆ जालियांवाला बाग हादसे के बाद की स्थिति :-

● भविष्य में किसी भी विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए ब्रिटिशों द्वारा पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया, जिसमें सार्वजनिक झंडे एवं अन्य अपमान शामिल थे।

● बंगाली के कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी।

महात्मा गांधी ने कैसर-ए-हिंद की उपाधि वापस कर दी जो अंग्रेजों द्वारा दिया गया था।

 

 

★ खिलाफ़त आंदोलन (1919-1920) :- मोहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आंदोलन था।

● इस आंदोलन की निम्नलिखित माँगें थीं-

1.पहले के ऑटोमन साम्राज्य के सभी इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की सुल्तान अथवा खलीफ़ा का नियंत्रण बना रहे,जज़ीरात-उल-अरब ( अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन ) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें तथा खलीफ़ा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित करने के योग्य बन सके।

2. कांग्रेस ने इस आंदोलन का समर्थन किया और गाँधी जी ने इसे असहयोग आंदोलन के साथ मिलाने की कोशिश की।

 ● मुसलमानों की धार्मिक स्थलों पर खलीफा के प्रभुत्व को पुनः स्थापित की जाए।

● खलीफा के प्रदेशों को पुर्नव्यस्थित कर उसे अधिक से अधिक भू-क्षेत्र दी जाए।

 

 

 ★ सत्याग्रह आंदोलन :-

● सत्य को शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था।

● अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से लड़ने के लिए किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।

 

 

★ असहयोग आंदोलन:-

● कारण :- रौलट एक्ट एक्ट कानून जलियांवाला बाग हत्याकांड ब्रिटिश सरकार का अत्याचार दमनकारी
नीतियाँ, शेषण

● प्रभाव असहयोग आंदोलन जनवरी 1921 में शुरू हुआ।

1. शहरों में आंदोलन :- हजारो विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ो की होली जलाई जाने लगी।

● पिकेटिंग प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर ने का रास्ता रोक लेते हैं। ने

2. ग्रामीण इलाकों में विद्रोह :- शहरों से बढ़कर असहयोग आंदोलन देहात में भी फैल गया। किसानों भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल रहे जमीदारों और नालुकदारों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

● अवध में सन्यासी बाबा रामचंद्र किसानों का नेतृत्व कर रहे थे।

3. बागानों में स्वराज :- 1859 के इनलैंड इमिप्रेशन एक्ट के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी। असहयोग आंदोलन के बारे में सुनते ही हजारों मजदूर अपने अधिकारीयों की अवहेलना करने लगे।

 

★ चौरी चौरा कांड :- चौरी चौरा हिंसा की घटना के कारण फरवरी 1922 में आंदोलन वापस ले लिया।

● असहयोग आंदोलन की समाप्ति से लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन के शुरू होने तक कि मुख्य घटनाएं

●1922 में गांधी जी असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।

●1923 में स्वराज पार्टी का गठन किया।

● 1928 साइमन कमीशन का भारत आना पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन।

● 1927 में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन ताकि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके।

●1929- लॉर्ड इरविन द्वारा डोमिनियन स्टेटस का ऐलान

● 1929 लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग

● 1930 स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।

 

● वर्ष 1928 में एंटी साइमन कमीशन मूवमेंट हुआ जिसमें लाला लाजपत राय पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया गया और बाद में उन्होंने इसके लिए आत्महत्या कर ली।

● वर्ष 1928 में एक और प्रसिद्ध बोर्डोली सत्याग्रह हुआ इसलिए वर्ष 1928 तक फिर से भारत में राजनीतिक सक्रियता बढ़ने लगी ।

1929 में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ और नेहरू को इसके अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इस सत्र में पूर्ण स्वराज को आदर्श वाक्य के रूप में घोषित किया गया।

26 जनवरी 1930 को गणतंत्र दिवस मनाया गया ।

 

 

★ सविनय अवज्ञा आंदोलन :- देश को एकजुट करने के लिए महात्मा गांधी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक दिखाई दिया।

● आंदोनल के कारण:- 6 अप्रैल 1930 मार्च 1931 गांधी इरविन समझौते की वजह से स्थगित)

 

◆ मुख्य घटनाएँ:

● देश के विभिन्न हिस्से में नमक कानून का उल्लंघन

● विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार

●शराब की दुकानों की पिकेटिंग

● वन कानूनों का उल्लंघन

 

◆ ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया :-

● कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया

● शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर आक्रमण

● लगभग 1,00,000 गिरफ्तार

 

◆ आंदोलन में भाग लेने वाले:-

● अमीर किसान – ऊँचे लगान के विरोध में

● गरीब किसान – ऊँचा भाड़ा तथा ऊँचा लगान

● महिलाएं – महात्मा गांधी से प्रेरित होकर

● व्यवसायी वर्ग – औपनिवेशिक सरकार की व्यवसायिक नीतियों के खिलाफ

 

 

 ★ दांडी मार्च :-

● 1930 में गांधीजी ने ऐलान किया कि वह नमक कानून तोड़ने के लिए यात्रा निकलेंगे। उस समय नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार का एकाधिकार होता था। नमक पर टैक्स वसूलना पाप है क्योंकि यह हमारे भोजन का एक बुनियादी हिस्सा होता है।

● नमक सत्याग्रह ने स्वतंत्रता को व्यापक चाह को लोगों बाकी एक खास शिकायत सभी से जड़ दिया था और इस तरह अमीरो और गरीबों के बीच मतभेद पैदा नहीं होने दिया।

● गांधीजी साबरमती से 240 किलोमीटर दूर स्थित दांडी तक पैदल चलकर गए। वहाँ समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह कानून का उल्लघन था।

● आंदोलन को किसानों, श्रमिक वर्ग, कारखाने , के श्रमिकों, वकीलों और यहां तक कि ब्रिटिश सरकार में भारतीय अधिकारियों ने भी इसका समर्थन किया और अपनी नौकरी छोड़ दी ।

● वकील ने अदालतों का बहिष्कार किया, किसानों ने कर देना बंद कर दिया और आदिवासियों ने वन कानूनों को तोड़ दिया । कारखानों या मिलों में हमले होते थे

● सरकार ने असंतुष्टो या सत्वग्राहियों को बंद करके जवाब दिया। 600000 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया और गांधीजी सहित कांग्रेस के विभिन्न उच्च नेताओं को गिरफ्तार किया गया।

● एक अमेरिकी पत्रिका टाइम को शुरू में गांधीजी के बल पर संदेह हुआ और उन्होंने लिखा कि नमक मार्च सफल नहीं होगा। लेकिन बाद में यह लिखा कि

● इस मार्च ने ब्रिटिश शासकों को हताश रूप से चिंतित बना दिया। ये शासक अब गांधीजी को एक संत और स्टेट्समैन के रूप में मानने लगे थे

● जो ईसाई मान्यताओं वाले पुरुषों के खिलाफ ईसाई कृत्यों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे।

 

 

★ दांडी मार्च का महत्व :-

◆ दांडी मार्च कम से कम तीन कारणों से बहुत महत्वपूर्ण था

1. पहला :- इसने महात्मा गांधी और भारत को दुनिया के सामने लाया।

2. दूसरा :- यह पहला राष्ट्रीय आंदोलन था जिसमें महिलाओं की भागीदारी वास्तव में बहुत उल्लेखनीय थी। कमलादेवी चट्टोपाध्याय एक समाजवादी नेता ने गांधी को केवल पुरुषों के लिए आंदोलन को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए राजी किया। कमलादेवी सहित कई महिलाओं ने नमक और शराब कानून को तोड़ दिया और गिरफ्तारी दी।

3. तीसरा :- सबसे महत्वपूर्ण यह था कि इस आंदोलन ने अंग्रेजों को यह महसूस करने के लिए मजबूर किया कि उनका राज हमेशा नहीं रहेगा और उन्हें भारतीयों को कुछ शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता है।

 ● जनवरी 1931 में गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया और बाद में गांधी और इरविन के बीच कई बैठकें हुई और ये बैठक गांधी इरविन समझौते में समाप्त हुई।

 

 

★ गोलमेज सम्मेलन :- तीन बार सम्मेलन लंदन में आयोजित किए गए थे ताकि भारत की भावी संविधान पर चर्चा की जा सके।

1. प्रथम सम्मेलन :- (नवंबर 1930 – सितंबर 1931) जिसमें ब्रिटिश शासकों द्वारा भारतीयों को बराबर का दर्जा दिया गया

2. द्वितीय सम्मेलन :- (सितंबर 1931 – दिसंबर 1931 ) इस सम्मेलन में कांग्रेस ने भाग लिया था जिसमें कांग्रेस की ओर से नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था।

3. तृतीय सम्मेलन :- (नवंबर-दिसंबर 1932 ) कांग्रेस ने सम्मेलन का बहिष्कार किया।

 

 ◆ 1942 में प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल ने कांग्रेस और गांधीजी के साथ समझौता करने और प्रयास करने के लिए स्टैफोर्ड क्रिप्स के तहत एक मिशन भारत भेजा ।। हालांकि कांग्रेस की पेशकश के दौरान वार्ता टूट गई इससे अंग्रेजों को भारत को धुरी शक्तियों से बचाने में मदद मिलेगी। तब वाइसराय को अपनी कार्यकारी परिषद के रक्षा सदस्य के रूप में एक भारतीय को नियुक्त करना पड़ा।

 

 

★ भारत छोड़ो आंदोलन :-

● परिचय :- 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और मुंबई में अखिल भारतीय कान्ग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया।

● गांधीजी ने ग्वालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में “करो या मरो” का आह्वान किया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है।

◆ कारण:

● क्रिप्स मिशन की विफलता :- आंदोलन का तात्कालिक कारण क्रिप्स मिशन की समाप्ति/ मिशन के किसी अंतिम निर्णय पर न पहुँचना था।

◆ चरण :-

● पहला चरण शहरी विद्रोह, हड़ताल, बहिष्कार और धरने के रूप में चिह्नित, जिसे जल्दी दबा दिया गया था।

● पूरे देश में हड़तालें तथा प्रदर्शन हुए तथा श्रमिकों ने कारखानों में काम न करके समर्थन प्रदान किया। गांधीजी को पुणे के आगा खान पैलेस में कैद कर दिया गया और लगभग सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

● दूसरे चरण में ध्यान ग्रामीण इलाकों में स्थानांतरित किया गया जिसमें एक प्रमुख किसान विद्रोह देखा गया, इसमें संचार प्रणालियों को बाधित करना मुख्य उद्देश्य था, जैसे कि रेलवे ट्रैक और स्टेशन, टेलीग्राफ तार व पोल, सरकारी भवनों पर हमले या औपनिवेशिक सत्ता का कोई अन्य दृश्य प्रतीक

● अंतिम चरण में अलग-अलग इलाकों (बलिया, तमलुक, सतारा आदि) में राष्ट्रीय सरकारों या समानांतर सरकारों का गठन किया गया।

 

 

★ भारत छोड़ो आंदोलन :-

● क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद गांधीजी ने अगस्त 1948 में बंबई से भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। तुरंत ही गांधीजी और अन्य वरिष्ठ नेताओं को। गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन पूरे देश में युवा कार्यकर्ताओं ने हमले और तोड़फोड़ की।

● भारत छोड़ो आन्दोलन एक जन आन्दोलन के रूप में लाया जा रहा है, जिसमे सैकड़ों हजार आम नागरिक और युवा अपने कॉलेजों को छोड़कर जेल चले गए। इस दौरान जब कांग्रेसी नेता जेल में थे जिन्ना और अन्य मुस्लिम लीग के नेताओं ने पंजाब और सिंध में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए धैर्य से काम लिया जहाँ उनकी उपस्थिति बहुत कम थी।

● जून 1944 में गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया बाद में उन्होंने मतभेदों को सुलझाने के लिए जिन्ना के साथ बैठक की।

● 1945 में इंग्लैंड में श्रम सरकार सत्ता में आई और भारत को स्वतंत्रता देने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया। भारत में लॉर्ड वेवेल ने कांग्रेस और लीग के साथ बैठके की।

● 1946 के चुनावों में ध्रुवीकरण पूरी तरह से देखा गया था जब कांग्रेस सामान्य श्रेणी में बह गई थी लेकिन मुस्लिमों के लिए सीट आरक्षित थी। ये सीटें मुस्लिम लीग ने भारी बहुमत से जीती थीं।

● 1946 में कैबिनेट मिशन आया लेकिन यह कांग्रेस को प्राप्त करने में विफल रहा और मुस्लिम लीग संघीय व्यवस्था पर सहमत हो गई जिसने भारत को एकजुट रखा और कुछ हद तक प्रांतों को स्वायत्तता प्रदान की गई।

● वार्ता की असफलता के बाद जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए मांग को दबाने के लिए सीधे कार्रवाई के दिन का आहवान किया। 16 अगस्त 1946 को कलकता में दंगे भड़क उठे. बाद से बंगाल के अन्य हिस्सों फिर बिहार संयुक्त प्रांत और पंजाब तक फैल गए दंगों में दोनों समुदायों को नुकसान हुआ ।

● फरवरी 1947 में वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने वेवेल की जगह ली। उन्होंने बातचीत के एक अंतिम दौर को बुलाया और जब वाली अनिर्णायक थी तो उन्होंने घोषणा की कि भारत को मुक्त कर दिया जाएगा और इसे विभाजित किया जाएगा । आखिरकार 15 अगस्त 1947 को सता भारत को हस्तांतरित हो गई।

 

 

 

★ मुस्लिम लीग :- मुस्लिम लीग ने देश के पश्चिमीमोत्तर ( वर्तमान पाकिस्तान ) तथा पूर्वी क्षेत्र ( वर्तमान बांग्लादेश) के लिए स्वतंत्र राज्यों की मांग की।

● सामान्य निर्वाचन क्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र जहाँ किसी धार्मिक तथा अन्य सम्प्रदाय के लिए कोई आरक्षण नहीं था।

● भारत पश्चिमी पाकिस्तान पुर्वी पाकिस्तान ( बांग्लादेश)

● पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ

● भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ

● बंगलादेश 26 मार्च 1971 को स्वतंत्र हुआ।

 

 

 ◆ सन् 1935 ई. में नया गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पारित हुआ जिसमें सीमित प्रतिनिधि शासन व्यवस्था का आश्वासन दिया गया। 1937 ई. में सीमित मताधिकार के आधार पर चुनाव हुए जिनमें कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली। 11 में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस के प्रधानमन्त्री सत्ता में आए जो ब्रिटिश गवर्नर की देखरेख में काम करते थे।

 ◆ मार्च, 1940 ई. में मुस्लिम लीग द्वारा ‘पाकिस्तान’ नाम से एक पृथक राष्ट्र की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया और इसे अपना लक्ष्य घोषित कर दिया। इससे राजनीतिक स्थिति बहुत अधिक जटिल हो गयी।

◆ महात्मा गाँधी ‘हरिजन’ नामक अपने समाचार-पत्र में आम जनता से मिलने वाले पत्रों को प्रकाशित करते थे

 

★ काल-रेखा

● 1915 महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से लौटते हैं

● 1917 चंपारन आंदोलन

● 1918 खेड़ा (गुजरात) में किसान आंदोलन तथा अहमदाबाद में मजदूर आंदोलन

● 1919 रॉलट सत्याग्रह (मार्च-अप्रैल)

● 1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड (अप्रैल)

● 1920 ख़िलाफ़त आंदोलन की शुरुआत मोहम्मद अली व शौकत अली ने की।

● 1921 असहयोग आंदोलन और खिलाफ़त आंदोलन

● 1928 बारदोली में किसान आंदोलन

● 1929 लाहौर अधिवेशन (दिसंबर) में “पूर्ण स्वराज” को कांग्रेस का लक्ष्य घोषित किया जाता

● 1930 सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू; दांडी यात्रा (मार्च-अप्रैल)

● 1931 गाँधी- इर्विन समझौता (मार्च); दूसरा गोल मेज सम्मेलन (दिसंबर)

● 1932 गाँधी – अंबेडकर के बीच पूना पैक्ट हुआ ।

● 1935 गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में सीमित प्रातिनिधि सरकार के गठन का आश्वसन ।

● 1939 कांग्रेस मंत्रिमंडलों का त्यागपत्र

● 1942 भारत छोड़ो आंदोलन शुरू (अगस्त)

● 1946 महात्मा गाँधी साम्प्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए नोआखली तथा अन्य हिंसाग्रस्त इलाक़ों का दौरा करते हैं

● भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ

 

 

 

 

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