अध्याय 8 : क्षेत्रीय आकांक्षाएं / Regional Aspirations

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क्षेत्रीय आकांक्षाएँ क्षेत्र और राष्ट्र भारत सरकार का नज़रिया क्षेत्रीय दलों का उदय पंजाब संकट कश्मीर मुद्दा स्वायत्तता की माँग अलगाववादी आंदोलन

 

★क्षेत्रीय आकांक्षाएं :- एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा अपनी विशिष्ट भाषा , धर्म , संस्कृति , भौगोलिक विशिष्टाओं आदि के आधार के रूप में समझ जा सकता हैं।

 

★ क्षेत्र और राष्ट्र :-

● 1980 के दशक में देश के कई हिस्सों में स्वायत्तता की माँग उठी। यों तो सरकार ने इन मांगों को दबाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। स्वायत्तता की माँग को लेकर चले अधिकांश संघर्ष लम्बे समय तक जारी रहे और अंततः केन्द्र सरकार को स्वायत्तता के आन्दोलन की अगुवाई कर रहे समूहों से समझौते करने पड़े।

 

★ भारत सरकार का नज़रिया :-

● भारतीय राष्ट्रवाद ने एकता और विविधता के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है। भारत ने विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण अपनाया है। लोकतंत्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र-विरोधी नहीं मानता। लोकतांत्रिक राजनीति में इस बात के भी पूरे अवसर होते हैं कि विभिन्न दल व समूह क्षेत्रीय पहचान, आकांक्षा या किसी विशेष क्षेत्रीय समस्या को आधार बनाकर लोगों की भावनाओं का नेतृत्व करें।

● भारत एक ऐसा देश है जहां विविधता बहुत है धर्म, रंग-रूप, जाति, संस्कृति, भाषाएं, रीति-रिवाज के लोग रहते हैं।

● ऐसे में अलगाववाद, क्षेत्रवाद, क्षेत्रीय आकांक्षाएं उठना लाजमी है लेकिन भारत सरकार का नजरिया इनको लेकर बहुत अच्छा है।

● क्षेत्रीय तथा क्षेत्रवाद को बातचीत के जरिए समझाने का प्रयास किया है। भारत में इतनी विविधता होने पर भी राष्ट्रवाद की भावनाएं लोगों में है, राष्ट्रवाद जनता के बीच एकता बनाए रखती है।

● भारत में विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण अपनाया गया।

 

★ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ :- एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा अपनी विशिष्ट भाषा , धर्म , संस्कृति , भौगोलिक विशिष्टाओं आदि के आधार के रूप में समझ जा सकता हैं।

 

 

★ स्वययत्ता का अर्थ :-

● स्वययत्ता का अर्थ होता है किसी राज्य के द्वारा कुछ विशेष अधिकार माँगना । देश मे कई हिस्सों में ऐसी माँग उठाई गई । कुछ लोगो मे अपनी माँग के लिए हथियार भी उठाए ।

● भारत में सन् 1980 के दशक को स्वायत्तता के दशक के रूप में देखा जाता हैं ।

● कई बार संकीर्ण स्वार्थी, विदेशी प्रोत्साहन आदि के कारण क्षेत्रीयता की भावना जब अलगाव का रास्ता पकड़ लेती है तो यह राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिए गम्भीर चुनौती बन जाती है

 

 

★ क्षेत्रीयता के प्रमुख कारण :-

● धार्मिक विभिन्नता

● सांस्कृतिक विभिन्नता

● भौगोलिक विभिन्नता

● राजनीतिक स्वार्थ

● असंतुलित विकास

● क्षेत्रीय राजनीतिक दल इत्यादि

 

 

◆ पृथकतावाद का अर्थ :- जब किसी क्षेत्र के लोगों में क्षेत्रीय भावनाएँ तीव्र होने लगती हैं तथा राष्ट्र से अलग होने की भावना पैदी होती है तो उसे पृथकतावाद कहा जाता है ।

 

◆ क्षेत्रवाद और पृथकतावाद में अंतर :-

● क्षेत्रवाद :- क्षेत्रीय आधार पर राजनीतिक, आर्थिक एवं विकास सम्बन्धी मांग उठाना ।

● पृथकतावाद :- किसी क्षेत्र का देश से अलग होने की भावना होना या मांग उठाना ।

 

 

★ जम्मू एवं कश्मीर :-

● जम्मू और कश्मीर के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष दर्जा दिया गया था।

● जम्मू और कश्मीर को हिंसा , सिमा पार का आतंकवाद इसके आलवा कश्मीरी पंडितों के पलायन भी हुआ।

● जम्मू और कश्मीर तीन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों- जम्मू , कश्मीर और लदाख से बना हुआ है।

 

★ ‘कश्मीर विषय :- भारतीय संघ में एकीकरण के साथ ही, कश्मीर स्वातंत्र्योत्तर भारत का एक ज्वलंत विषय बना रहा है। समस्या तब और जटिल हो गई जब इसे अनुच्छेद 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के माध्यम से संविधन में एक विशेष स्थान दिया गया-

● अनुच्छेद 370 ने इसे पृथक संविधान / संविधान सभा/ध्वज, मुख्यमंत्री का प्रधानमंत्री के रूप में तथा राज्यपाल का सदर ए रियासत के रूप में नव नामांकन, राज्य में अधिकांश संघीय नियमों का गैर-प्रवर्तन जैसे विशेष अधिकार प्रदान किए, जबकि राज्य में संपत्ति क्रय को वर्जित करता है।

● जम्मू और कश्मीर राज्य की विशेष स्थिति के एक निशान, एक प्रधान का प्रसार करते हुए राजनीतिक क्षेत्र में अनुच्छेद 370 तथा 35-ए को निरस्त करने का आह्वाहन किया गया।

● वर्तमान सरकार ने 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 तथा 35-ए के उन्मूलन हेतु राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक प्रस्तुत किया। लोक सभा में इस विधेयक को 6 अगस्त 2019 को पारित किया गया।

● 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात, धारा 370 तथा 35-ए को निरस्त कर गया तथा जम्मू और कश्मीर दो केन्द्र शासित प्रदशों, लद्दाख तथा जम्मू और कश्मीर में विभक्त हो गया।

 

 

◆ बाहरी और आंतरिक झगड़े :-

● पाकिस्तान ने सदा दावा किया को कश्मीर घाटी पाकिस्तान का हैं जिसे ‘आजाद कश्मीर ‘ कहते हैं।

● भारत दावा करता है कि इस क्षेत्र पर गैरकानूनी कब्ज़ा किया गया है।

● 1947 से कश्मीर का मामला भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का मुद्दा बना रहा ।

 

 

◆ 1948 से राजनीति :-

● पहले C.M शेख अब्दुल ने भूमि सुधार, जन कल्याण के लिए काम किया ।

● कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार और कश्मी सरकार में मतभेद हो जाते थे

● 1953 में शेख अब्दुल्ला बर्खास्त ।

● इसके बाद जो नेता आए वो शेख जितने लोकप्रिय नही थे। केंद्र के समर्थन पर सत्ता पर रहे पर धांधली का आरोप लगा

● 1953 से 1974 तक कांग्रेस का राजनीति पर असर रहा।

● 1974 में इंदिरा ने शेख अब्दुल्ला से समझौता किया और उन्हें CM बना दिया

● दुबारा National congress को खड़ा किया । 1977 में बहुमत मिला। 1982 में मौत हो गई।

● 1982 में शेख की मौत के बाद N.C की कमान उनके बेटे फारुख अब्दुल्ला ने संभाली। फारुख C.M बने ।

● 1986 में केंद्र ने N.C से चुनावी गठबन्धन किया

● 1987 में फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने।

● 1996 फारूक अब्दुल्ला जम्मू और कश्मीर के लिए क्षेत्रीय स्वायत्ता की मांग के साथ सत्ता में आई।

● 2009 में एक और मिली-जुली सरकार ( नेशनल कॉन्फ्रेंस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बनी ) उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सत्ता में आई।

● 2014 में पीडीपी के मुक्ति मोहम्मद सईद के नेतृत्व में बीजेपी के साथ एक मिली-जुली सरकार सत्ता में आई।

 ● 2016 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी महबूबा मुफ्ती बनी।

● 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया।

 

 

★ पंजाब संकट :-

● 1920 के दशक में गठित अकाली दल ने पंजाबी भाषी क्षेत्रों के गठन के लिए आन्दोलन चलाया जिसके परिणाम स्वरूप पंजाब प्रान्त से अलग करके सन् 1966 में हिन्दी भाषी क्षेत्र हरियाणा तथा पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल प्रदेश बनाये गये।

● अकाली दल से सन् 1973 के आनन्दपुर साहिब सम्मेलन में पंजाब के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग उठी। कुछ धार्मिक नेताओं ने स्वायत्त सिक्ख पहचान की मांग की और कुछ चरमपन्थियों ने भारत से अलग होकर खालिस्तान बनाने की मांग की।

● ऑपरेशन ब्लू स्टार :- सन् 1980 के बाद अकाली दल पर उग्रपन्थी लोगों का = नियन्त्रण हो गया और इन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में अपना मुख्यालय बनाया। सरकार ने जून 1984 में उग्रवादियों को स्वर्ग मन्दिर से निकालने के लिए सैन्य कार्यवाही की।

 

 

◆ इंन्दिरा गांधी की हत्या :-

● इस सैन्य कार्यवाही को सिक्खों ने अपने धर्म, विश्वास पर हमला माना जिसका बदला लेने के लिए 31 अक्टूबर 1984 को इंन्दिरा गांधी की हत्या की गई तो दूसरी तरफ उत्तर भारत में सिक्खों के विरूद्ध हिंसा भड़क उठी ।

 

 

◆ पंजाब समझौता :-

पंजाब समझौता जुलाई 1985 में अकाली दल के अध्यक्ष हर चन्द सिंह लोगोवाल तथा राजीव गांधी के समझौते ने पंजाब में शान्ति स्थापना के प्रयास किये ।

 

 

★ पूर्वोत्तर भारत :-

● पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ 1980 के दशक में एक निर्णायक मोड़ पर आ गई थी। क्षेत्र में सात राज्य हैं और इन्हें ‘ सात बहनें ‘ कहा गया है।

● इस क्षेत्र में कुल 4 फीसदी आबादी निवास करती हैं।

● यहाँ की सीमायें चीन , म्यामांर , बांग्लादेश और भूटान से लगती हैं।

● पूर्वोत्तर भारत की राजनीति में स्वायत्ता की मांग अलगाववादी आंदोलन तथा बाहरी लोंगो का विरोध मुददे प्रभावी रहे हैं।

 

 

★ स्वायत्तता के लिए आंदोलन :-

आजादी के समय मणिपुर एवं त्रिपुरा को छोड़कर पूरा क्षेत्र असम कहलाता था जिसमें अनेक भाषायी जनजातिय समुदाय रहते थे इन समुदायों ने अपनी विशिष्टता को सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग राज्यों की मांग की।

★ अलगाववादी आन्दोलन:-

1. मिजोरम सन् 1959 में असम के मिजो पर्वतीय क्षेत्र में आये अकाल का असम सरकार द्वारा उचित प्रबन्ध न करने पर यहाँ अलगाववादी आन्दोलन उभरे।

● सन् 1966 मिजो नेशनल फ्रंट (M.N.F.) ने लाल डेंगा नेतृत्व में आजादी की मांग करते हुए सशस्त्र अभियान चलाया। 1986 में राजीव गांधी तथा लाल डेगा के बीच शान्ति समझौता हुआ और मिजोरम पूर्ण राज्य बना।

2. नागालैण्ड नागा नेशनल काउंसिल (N.N.C) ने अंगमी जापू फिजो के नेतृत्व – में सन् 1951 से भारत से अलग होने और वृहत नागालैण्ड की मांग के लिए सशस्त्र संघर्ष चलाया हुआ है। कुछ समय बाद N.N.C में दोगुट एक इशाक मुइवा (M) तथा दूसरा खापलांग (K) बन गये। भारत सरकार ने सन् 2015 में N.N.CM गुट से शान्ति स्थापना के लिए समझौता किया परन्तु स्थाई शान्ति अभी बाकी है।

 

3. असम 1979 से असम के छात्र संगठन आसू (AASU) ने बाहरी लोगों के विरोध में ये आन्दोलन चलाया जिसके परिणाम स्वरूप आसू और राजीव गांधी के बीच 1985 में शान्ति समझौता हुआ। सन् 2016 के असम विधान सभा चुनावों में भी बांग्लादेशी घुसपैठ का प्रमुख मुद्दा था।

★ बाहरी लोगों का विरोध पूर्वोत्तर के क्षेत्र में बंगलादेशी घुसपैठ तथा भारत – दूसरे प्रान्तो से आये लोगों को यहां की जनता अपने रोजगार और संस्कृति के लिए खतरा मानती है।

 

 

★ द्रविड आन्दोलन :- दक्षिण भारत के इस आन्दोलन का नेतृत्व तमिल समाज सुधारक ई.वी. रामास्वामी नायकर ‘पेरियार’ ने किया।

● इस आन्दोलन ने उत्तर भारत के राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक प्रभुत्व, ब्राहमणवाद व हिन्दी भाषा का विरोध तथा क्षेत्रीय गौरव बढ़ाने पर जोर दिया।

● इसे दूसरे दक्षिणी राज्यों में समर्थन न मिलने पर यह तमिलनाडु तक सिमट कर रह गया।

● इस आन्दोलन के कारण एक नये राजनीतिक दल – “द्रविड कषैगम” का उदय हुआ।

● यह दल कुछ वर्षों के बाद दो भागो (D.M. K. एवं A.I.A.D.M.K.) में बंट गया ये दोनों दल अब तमिलनाडु की राजनीति में प्रभावी है।

★ सिक्किम का विलय :- आजादी के बाद भारत सरकार ने सिक्किम के रक्षा व विदेश मामले अपने पास रखे और राजा चोग्याल को आन्तरिक प्रशासन के अधिकार दिये। परन्तु राजा जनता की लोकतान्त्रिक भावनाओं को नहीं संभाल सका और अप्रैल 1975 में सिक्किम विधान सभा ने सिक्किम का भारत में विलय का प्रस्ताव पास करके जनमत संग्रह कराया जिसे जनता ने सहमती प्रदान की। भारत सरकार ने प्रस्ताव को स्वीकार कर सिक्किम को भारत का 22वाँ राज्य बनाया।

 

★ गोवा मुक्ति :- गोवा, दमन और दीव सोलहवीं सदी से पुर्तगाल के अधीन और 1947 में भारत की आजादी के बाद भी पुर्तगाल के अधीन रहे। महाराष्ट्र के समाजवादी सत्याग्रहियों के सहयोग से गोवा में आजादी का आन्दोलन दिसम्बर 1961 में भारत सरकार ने गोवा में सेना भेजकर आजाद कराया और गोवा दमन, दीव को संघ शासित क्षेत्र बनाया।

● गोवा को महाराष्ट्र में शामिल या अलग बने रहने के लिए जनमत संग्रह जनवरी 1967 में कराया गया और सन् 1987 में गोवा को राज्य बनाया गया।

 

 

◆ पूर्वोत्तर के सात राज्य :-

● 1947 में असम

● 1960 मे नागालैंड राज्य बना

● 1972 में मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा राज्य बने

● 1987 मे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम

 

 

◆ आनंदपुर साहिब प्रस्ताव :- सन् 1970 के दशक में अकालियों के एक वर्ग ने पंजाब के लिए स्वायत्तता की माँग उठायी। सन् 1973 ई. में, आनंदपुर साहिब में हुए एक सम्मेलन में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित हुआ। आनंदपुर साहिब प्रस्ताव में क्षेत्रीय स्वायत्तता की बात उठाई गई थी। प्रस्ताव की माँगों में केन्द्र-राज्य संबंधों को पुनर्परिभाषित करने की बात भी शामिल थी।

 

 

◆ राजीव गाँधी (1944-1991) :-

● 1984 से 1989 के बीच भारत के प्रधानमंत्री; इंदिरा गाँधी के पुत्र; 1980 के बाद राजनीति में सक्रिय।

● पंजाब के आतंकवादियों, मिजो विद्रोहियों तथा असम में छात्र संघ से समझौता: खुली अर्थव्यवस्था एवं कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के हिमायती।

● सिंहली-तमिल समस्या को सुलझाने के लिए भारतीय शांति सेना को श्रीलंका की सरकार के अनुरोध पर श्रीलंका भेजा संदिग्ध एलटीटीई आत्मघाती द्वारा ह्त्या।

 

 

◆ इंदिरा गांधी की हत्या :-

● 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गाँधी के अंगरक्षकों ने उनके ही निवास पर उनकी हत्या कर दी।

● वेयंत सिंह और सतवंत सिंह ये अंगरक्षक सिख थे और ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे।

● सिख विरोधी दंगे में कुल 2000 से अधिक सिख मारे गए थे।

 

 

 ◆ पंजाब समझौता :-

● चंडीगढ़ पंजाब को दे दिया जाएगा।

● पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के बीच नदी जल बंटवारे।

● पंजाब हरियाणा के बीच सीमा विवाद के सुलझाव के लिए आयोग।

● उग्रवाद से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाएगा।

● पंजाब से विशेष सुरक्षा बल अधिनियम वापस लेना।

 

 

 

 

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